शिप्रा पर 29 हजार 215 मीटर लंबे घाटों का होगा निर्माण

शिप्रा नदी

शनि मंदिर से जीवनखेड़ी ब्रिज, भर्तृहरि गुफा व सिद्धवट तक श्रद्धालु सिंहस्थ व विशेष पर्वों पर कर सकेंगे स्नान

उज्जैन, अग्निपथ। सिंहस्थ-2028 के पहले मोक्षदायिनी मां शिप्रा नदी के किनारों पर नए घाट बनाए जाने के साथ में पुराने घाटों का विस्तारीकरण किया जाएगा। इनका निर्माण करीब 29 हजार 215 मीटर लंबाई में किया जाएगा। इसका विस्तृत प्लान तैयार हो गया है।

जल संसाधन विभाग द्वारा तैयार प्लान के तहत ही शिप्रा नदी पर श्रद्धालुओं के लिए स्नान की सुविधा बढ़ सकेगी। इसके निर्माण में लगने वाले पत्थर और अन्य सामग्री का चयन भी विशेषज्ञ करेंगे। शिप्रा नदी पर नए घाट का निर्माण होने व पुराने घाट का विस्तारीकरण किए जाने से सिंहस्थ व विशेष पर्वों पर देश-विदेश से आने वाले श्रद्धालु शनि मंदिर से लेकर जीवनखेड़ी ब्रिज, भर्तृहरि गुफा व सिद्धवट तक स्नान कर सकेंगे। ऐसे में एक ही घाट पर भीड़ का दबाव नहीं रहेगा।

वर्तमान में कुल 9 घाट हैं, जिनकी संख्या बढऩे के साथ ही नदी क्षेत्र में पहुंचने के लिए सडक़ों को जोड़ा जाएगा और शिप्रा के दोनों तरफ सडक़ का निर्माण भी प्रस्तावित है। साथ ही शिप्रा के जल को प्रदूषण मुक्त करने के लिए कान्ह नदी पर 11 बैराजों के निर्माण किए जाएंगे।

शिप्रा नदी में सेवरखेड़ी बैराज से मानसून के समय पानी का उद्वहन करते हुए 51 मिलियन घन मीटर पानी, पूर्व निर्मित सिलारखेड़ी जलाशय के विस्तारीकरण से भरे जाने की व्यवस्था की जाएगी, जिससे मानसून के अलावा बाकी समय शिप्रा नदी में जल प्रवाहित होता रहेगा। श्रद्धालुओं एवं पर्यटकों को आचमन और स्नान के उद्देश्य से शिप्रा में निर्बाध प्रवाह का लाभ मिलेगा।

मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के निर्देश पर शिप्रा में निरंतर जल प्रवाह के लिए विस्तृत कार्ययोजना बनाई है। इसमें कान्ह नदी के प्रदूषण को रोका जा सकेगा। मोक्षदायिनी शिप्रा नदी पर तीन जिले उज्जैन, इंदौर और देवास जिले में बैराज का निर्माण किया जाएगा। इसमें करीब 18 बैराज होंगे। कान्ह नदी पर पंथपिपलई व जमालपुरा स्टापडेम व गोठड़ा में बैराज निर्माण के कार्य किए जाएंगे। इंदौर रोड स्थित शनि मंदिर के समीप त्रिवेणी घाट से लेकर वीआईपी घाट तक का भी प्लान तैयार हो गया।

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