ढाई करोड़ के सफाई उपकरण धूल खाते मिले

एमआईसी सदस्यों की ग्रांड होटल पर छापामार कार्रवाई; सफाई रोबोट के दो कैमरे ही 15-15 लाख के, दो साल से कमरे में बंद रखे

उज्जैन, अग्निपथ। नगरनिगम आयुक्त की कार्यप्रणाली से नाराज एमआईसी सदस्यों ने शुक्रवार को ग्रांड होटल में लगने वाले कार्यालय को खुलवाकर ढाई करोड़ के करीब का सफाई सामान मीडिया कर्मियों के सामने प्रदर्शित कर निगम कमिश्नर पर जनता की कमाई को बर्बाद करने का आरोप लगाया है। इसमें सफाई मित्रों के लिए खऱीदे गए कैमरे, मॉँनिटर, रोबोट सहित अन्य सामाग्री का आज तक वितरण नहीं किया। जबकि भोपाल से सीवरेज सफाई के नाम पर सफाईकर्मियों का दल बुलाकर उपरोक्त उपकरणों के माध्यम से ही बड़े चैंबर की सफाई के कार्य को अंजाम देकर वाहवाही लूटी गई।

शुक्रवार को एमआईसी सदस्य शिवेंद्र तिवारी, सत्यनारायण चौहान, प्रकाश शर्मा, योगेश्वरी ठाकुर, रजत मेहता सहित अन्य सदस्यों ने ग्रांड होटल में संचालित होने वाले निगम कार्यालय का ताला खुलवाकर तीन साल पहले 2021 में शहर के लिए खरीदे गए अत्याधुनिक उपकरण को देखा जोकि कमरे में धूल खा रहे थे।

इस पर आपत्ति लेते हुए सदस्यों ने नगर निगम उपायुक्त आरती खेडक़र को बुलावाकर नाराजगी जाहिर की और कहा कि शहर की सफाई के लिए करोड़ों रुपए में कैमरे, मास्क, रोबोट, रेनकोट, बाल्टियों सहित सफाई का अन्य सामान खऱीदा जोकि स्वच्छ भारत मिशन के तहत खरीदा गया था और अब तक संबंधित विभागों को वितरित ही नहीं किया गया। तीन वर्षों से सफाई मित्र बिना किसी उपकरण के अपना काम कर रहे है।

उपायुक्त से सवाल- कब करेंगे सफाई मित्रों को ट्रेंड

पास के ही कमरे में मौजूद नगर निगम में उपायुक्त आरती खेडक़र ने कहा कि 2021 में सफाई मित्र से संबंधित सामान रखा है, डिमांड करने पर करने पर सामान दिया जाता है। इसके लिये सफाई मित्रों को ट्रेंड करना होगा। एमआईसी सदस्य सत्यनारायण चौहान ने बताया कि सामान को ताले में रखने का क्या मतलब जब करोड़ो रुपए में सामान खरीदा गया। रोबोट लाये उसका एक बार फोटो करवा कर रख दिया जिसको आज तक नहीं खोला गया है। सफाई मित्रों को भी इसकी ट्रेनिंग नहीं दिलाई है। कम से कम भोपाल से आई हुई सफाई टीम के साथ ही उनको रखकर यहीं पर ट्रेनिंग दिलाई जाती तो आने वाले समय में काम आती।

अपना सामान ताले में, भोपाल से बुलाया था दल

बारिश से पूर्व कलेक्टर नीरजसिंह ने निगम कमिश्नर आशीष पाठक को निर्देश दिये थे कि नाले, चैंबरों की सफाई का काम तेज गति से करवाया जाय। कलेक्टर स्वयं इनका निरीक्षण करने भी निकले थे। चैंबरों की सफाई के लिये निगम कमिश्नर ने अपना ताले में रखा रोबोट, कैमरे आदि से सफाई करवाने की जगह भोपाल से सफाई कर्मियों के दल को बुलाकर सफाई करवाई। इसके ऐवज में उनको भुगतान भी करना पड़ा।

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