कोयला, गैस, पेट्रोलियम सीमित मात्रा में,  अक्षय ऊर्जा के स्रोतों का उपयोग करना चाहिए

अक्षय ऊर्जा एवं भारतीय ज्ञान परंपरा पर हुई राष्ट्रीय कार्यशाला

उज्जैन, अग्निपथ। प्रधानमंत्री कॉलेज ऑफ़ एक्सीलेंस शास. माधव महाविधालय में भूगोल विभाग, आई.क्यू.ए.सी. एवं भारतीय ज्ञान परंपरा प्रकोष्ठ के संयुक्त तत्वावधान में अक्षय ऊर्जा एवं भारतीय ज्ञान परंपरा विषय पर एक दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यशाला के विषय विशेषज्ञ भूगोलवेक्त डॉ. राजेश कुमार महौर सहायक प्राध्यापक भूगोल शासकीय महाविद्यालय महिदपुर द्वारा “अक्षय ऊर्जा एवं भारतीय ज्ञान परंपरा” विषय पर बताया कि भारत में प्राचीन काल से ही प्रकृति के साथ मानव का घनिष्ठा संबंध रहा है। वेदों और उपनिषदों में सौर, पवन और जल ऊर्जा का उल्लेख मिलता है, प्राचीन भारत के लोगों के लिए अक्षय ऊर्जा के महत्व को दर्शाता है।

आपने वैदिक ग्रंथो में अक्षय ऊर्जा का वर्णन, भारतीय आविष्कारों, ऊर्जा के प्रकारों, सौर ऊर्जा प्राचीन और आधुनिक भारत में अक्षय ऊर्जा की आवश्यकता, अक्षय ऊर्जा के लिए भारत सरकार के प्रयास, अक्षय ऊर्जा के लाभ और चुनौतियां वर्तमान स्थिति में विस्तृत जानकारी आपके द्वारा प्रदान की गई।

अध्यक्षता कर रही प्राचार्य डॉ. अल्पना उपाध्याय द्वारा विद्यार्थियों एवं प्रतिभागियों को अपने उद्बोधन में कहा कि अक्षय ऊर्जा कभी खत्म नहीं होने वाली ऊर्जा का स्रोत है, आप ने अक्षय ऊर्जा दिवस पर सभी को संकल्प दिलवा कर यह शपथ दिलाई की पर्यावरण को प्रदूषण से बचने के लिए दैनिक जीवन प्रक्रियों में ऊर्जा का विवेकपूर्ण उपयोग करूंगा। मैं यह भी जानता हूं कि परंपरागत ऊर्जा उत्पादन के संसाधनों जैसे कोयला, गैस, पेट्रोलियम एवं अन्य सीमित मात्रा में है। ऐसे में सुरक्षित भविष्य तथा प्रदूषण मुक्त पर्यावरण के लिए हमें सौर, पवन, बायोमास एवं जैव ईंधन जैसे अक्षय ऊर्जा के स्रोतों का अधिकतम उपयोग करना चाहिए। मैं यह भी संकल्पना लेता हूं कि देश के सतत विकास को सुनिश्चित करने के लिए मैं स्वयं अक्षय ऊर्जा के स्रोतों का उपयोग करूंगा तथा अपने सहयोगियों को भी अक्षय ऊर्जा के स्रोतों का उपयोग करने के लिए प्रोत्साहित करूंगा।

निबंध प्रतियोगिता का आयोजन

उक्त दिवस पर निबंध प्रतियोगिता का आयोजन भी किया गया जिसमें प्रथम स्थान पर अमन खान एमए भूगोल, द्वितीय स्थान पर कुमारी रिचा मिश्रा व वह तृतीय स्थान पर सुनील जाट बीए द्वितीय वर्ष का विद्यार्थी रहा। कार्यक्रम के संयोजक भूगोल विभागाध्यक्ष डॉ. रवि मिश्र द्वारा भी प्रतिभागियों एवं विद्यार्थियों को अक्षय ऊर्जा के उपयोग को बढ़ावा देने के लिए मार्गदर्शन प्रदान किया।

कार्यक्रम के आयोजन सचिव डॉ. मोहन निमोले द्वारा कार्यक्रम के शुभारंभ अवसर पर अतिथि परिचय एवं एक दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला का परिचय देते हुए भारतीय ज्ञान परंपरा में अक्षय ऊर्जा के क्षेत्र में भारतवर्ष की महत्वपूर्ण भूमिका को रेखांकित किया। संचालन डॉ. जफऱ महमूद द्वारा किया जाकर आपने विद्यार्थी एवं प्रतिभागियों को बताया कि भारतीय ज्ञान परंपरा ने न केवल अक्षय ऊर्जा के महत्व को समझा बल्कि इसके संरक्षण और उपयोग के लिए भी हमें मार्गदर्शन प्रदान किया है।

इस अवसर पर महाविद्यालय के प्रशासनिक अधिकारी डॉ. बी. एस.अखंड, आई.क्यू.ए.सी.प्रभारी प्रो. चंद्रकांता तेजवानी, डॉ. रवि मिश्र, डॉ. मोहन निमोले, डॉ. केशवमणि शर्मा, डॉ. संजीव शर्मा, डॉ. दिनेश जोशी, डॉ. राजश्री शर्मा, डॉ. संगीता वत्स, डॉ. एम.के. सिसोदिया, डॉ. नलिनी तिलकर, डॉ. अर्चना अखंड, डॉ. आयुषी पालीवाल व शोधार्थी आशीष पंवार, दशरथ प्रसाद सहित 40 से अधिक ऑफलाइन व 50 से अधिक ऑनलाइन विद्यार्थी एवं प्रतिभागी उपस्थित रहकर कार्यक्रम को सफल बनाएं।

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