विक्रम ने दी मरणोपरांत पीएचडी

पहली बार हुआ ऐसा, परिवार की मांग पर लिया फैसला

उज्जैन, अग्निपथ। विक्रम विश्वविद्यालय प्रशासन ने पहली बार पीएचडी करने वाले ऐसे शोधार्थी जिसका निधन हो चुका है, उनकी पीएचडी की उपाधि दीक्षांत के पहले बेटी को उपलब्ध कराई है। पीएचडी करने वाले शोधार्थी का वर्ष 2021 में निधन हो गया था। इसके बाद से ही परिवार के सदस्य विश्वविद्यालय के अधिकारियों से उपाधि देने के लिए अनुरोध कर रहे थे।

मामले में कार्यपरिषद से स्वीकृति मिलने के बाद पीएचडी की अधिसूचना जारी की गई इसके बाद गुरुवार को कुलगुरु और कुलसचिव ने उपाधि प्रदान की है। विक्रम विश्वविद्यालय के अंतर्गत कला संकाय के संगीत विषय में पीएचडी करने वाले अभ्यर्थी महेश यादव ने मालवी लोक गायकी में संत कबीर के पदों की गायन परंपरा-एक विश्लेषणात्मक अध्ययन विषय पर कन्या स्नातक महाविद्यालय के सहायक प्राध्यापक डॉ. प्रकाश कड़ोतिया के निर्देशन में शोध कार्य पूर्ण किया था।

शोध कार्य पूर्ण होने के बाद महेश यादव का निधन अप्रैल 2021 में हो गया। इसके बाद से ही यादव के परिवार के सदस्य उनकी पीएचडी उपाधि लेने के लिए प्रयास कर रहे थे।

शोधार्थी को ही उपाधि देने का नियम

विक्रम विश्वविद्यालय के सामने परेशानी यह थी कि अधिनियम के तहत पीएचडी पूरी करने वाले अभ्यर्थी को ही उपाधि प्रदान की जाती है। वहीं, दीक्षांत समारोह के पहले उपाधि बहुत ही आवश्यकता होने पर केवल शोधार्थी को ही दी जाती है। महेश यादव के परिवार के सदस्यों द्वारा बार-बार अनुरोध करने पर यह मामला अगस्त में आयोजित विश्वविद्यालय की कार्यपरिषद की बैठक में रखा गया था। स्वीकृति के बाद 24 सितंबर को पीएचडी की अधिसूचना जारी करने के बाद उपाधि तैयार कराई गई।

बेटी को प्रदान की गई पीएचडी उपाधि

कुलगुरू के प्रयास से वर्ष 2024 का दीक्षांत समारोह होने के पहले मरणोपरांत महेश यादव की पीएचडी उपाधि गुरुवार को बेटी उदिता यादव को कुलगुरु प्रो. अखिलेश कुमार पांडे, कुलसचिव डॉ. अनिल कुमार शर्मा, परीक्षा कंट्रोलर एमएल जैन की उपस्थिति में प्रदान की। महेश यादव महिला बाल विकास विभाग इंदौर में संगीत शिक्षक के रूप में कार्यरत थे। वहीं, स्वरंगिनी संस्था के माध्यम से सामाजिक कार्य करते हुए दृष्टिहीन तथा असमर्थ बच्चों को नि:शुल्क संगीत की शिक्षा देते थे।

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