10 अक्टूबर को लॉन्च, 23 को पहली रजिस्ट्री, अब तक घर बैठे एक पंजीयन नही ग्रमीण लोगो को पता नही
धार, अग्निपथ। जिला पूरे प्रदेश में पंजीयन विभाग के लिए संपदा 2.0 वर्जन की लॉचिंग हो गई है। स्थानीय पंजीयन विभाग में भी इस वर्जन को लेकर जिले में काम भी शुरु हो गया इसमें खास बात यह है कि जब किसी प्रापर्टी की रजिस्ट्री होगी तो उसमें उसकी अपडेट फोटो भी अपलोड करनी होगी। इसके अलावा अन्य नियम भी लागू होंगे। खास बात यह है कि इस बार नवरात्रि में भी लोगों ने प्रॉपर्टी के 900 से ज्यादा सौदे किए मगर संपदा में यह पहला पंजीयन था।
एआई पर आधारित संपदा 2.0 साफ्टवेयर जिले के पंजीयन विभाग में शुरू हो गया है। विभाग के काम अब इसी सिस्टम से होंगे। दरअसल, काम के इस बदलते स्वरूप का उद्देश्य उसे सरल और आसान करना है। ये साफ्टवेयर कार्य को बेहतर बनाने के साथ उसे सरल करेगा। इससे कर्मचारियों के साथ धारकों को भी लाभ मिलेगा।
अब फिंगर प्रिंट और आधार के ओटीपी के माध्यम से ही रजिस्ट्री होगी। इससे धोखाधड़ी होने की संभावना कम होगी। वहीं, खरीददार गूगल की मदद से जमीनों की लोकेशन और उसकी सरकारी गाइडलाइन भी अपने मोबाइल की स्क्रीन पर देख सकेंगे। स्टांप ड्यूटी में होने वाले घपलों की संभावना भी कम रहेगी।
पहली रजिस्ट्री सरदारपुर से हुई शुरू
जिले की सरदारपुर तहसील में संपदा 2.0 के मध्यम से पहली रजिस्ट्री की गई। जिला वरिष्ठ पंजीयक डॉ. प्रभात वाजपेयी ने बताया कि सरदारपुर उप पंजीयक ओम प्रकाश दायमा द्वारा उप पंजीयक कार्यालय सरदारपुर में जिले में संपदा 2.0 के माध्यम से प्रथम दस्तावेज पंजीकृत किए गए।
डॉ. वाजपेयी ने बताया कि जोलाना निवासी फतेह सिंह पिता महान महिपाल सिंह का दस्तावेज सेवा प्रदाता सावन कर्मा द्वारा एवं श्याम सुंदर निवासी ग्राम बरमंडल के दस्तावेज को सेवा प्रदाता धर्मेंद्र पाटीदार द्वारा पंजीयन के लिए तैयार किया गया था। पक्षकारों को तुरंत रंगीन प्रति जिला पंजीयक एवं उप पंजीयक सरदारपुर द्वारा दी गई। डॉ. वाजपेयी ने बताया कि इस नई प्रणाली पूरी तरह से ऑनलाइन है, जिसमें फर्जीवाड़े की गुंजाइश नहीं रहेगी। पहले लोग मकान को खाली प्लॉट दर्शा देते थे, लेकिन अब लोकेशन पर पहुंचकर फोटो खींचना होगा, जो लोकेशन के माध्यम से सॉफ्टवेयर पर चढ़ेगा। इससे किसी भी तरह के फर्जीवाड़े की गुंजाइश नहीं रहेगी।
10 अक्टूबर को हुई शुरुआत
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने 10 अक्टूबर को संपदा 2.0 से ई-रजिस्ट्री का शुभारंभ किया था। संपदा २.० सॉफ्टवेयर लागू होने के बाद विभाग की ओर से उपपंजीयकों के नए डिजिटल सिग्नेचर जारी करने का पत्र संबंधित एजेंसी को भेज दिया है। जैसे ही ये डीसी देरी से आई वही नवरात्रि के बाद से धार पंजीयन विभाग में कम रजिस्ट्री ह्यो रही है।
इस संपदा सॉफ्टवेयर में ई रजिस्ट्री को पहले से बेहतर बनाया गया है। इसमें जीरो बैलेंस खाता, ऑनलाइन ट्रांजेक्शन और ई। रजिस्ट्री जैसे नवाचार का समावेश है।
ऐप से ही दिखेगी कलेक्टर गाइड लाइन दर
बता दें कि संपदा 2.0 उन्नत तकनीक पर आधारित सॉफ्टवेयर है। इसमें राजस्व वित्त विभाग और नगरीय प्रशासन के साथ जीएसटी और यूनिक आईडी आधार से भी इंटीग्रेटेड किया गया है। जमीन की कलेक्टर गाइडलाइन दर ऐप में लोकेशन के माध्यम से मालूम हो सकेगी। सॉफ्टवेयर से संपत्ति की जीआईसी मैपिंग होगी, बायोमैट्रिक पहचान और दस्तावेजों की फॉर्मेटिंग भी होगी। दस्तावेजों के पंजीयन के लिए व्यक्तिगत मौजूदगी की जरूरत नहीं होगी। घर बैठे ही दस्तावेज सत्यापन और पंजीकरण हो सकेगा। दस्तावेज की सॉफ्ट कॉपी वाट्सऐप और ईमेल से आवेदक को प्राप्त होगी
फोटो की आऐगी दिक्कत
बता दे कि संपदा 2.0 में रजिस्ट्री फेसलेस हो जाएगी। इसके लिए रजिस्ट्रार कार्यालय आने की जरूरत नहीं है। लेकिन रजिस्ट्री में आधार वाली फोटो को पोर्टल उठाएगा। यदि फोटो ज्यादा पुरानी होती है तो वर्तमान और उसमें काफी अंतर आ सकता है। इसलिए लोग कोशिश करें कि रजिस्ट्रार कार्यालय में आकर रजिस्ट्री कराएं, जिससे उनका नया फोटो रजिस्ट्री में अपलोड होगा। जिसे परेशानी नही आएंगी वही जालसाज लोगो से लोगों को बचना होगा नही तो डरा धमका कर रजिस्ट्री करवाने का काम होगा। इसके लिए भी लोगो को जागरूक होना होगा।
जमीनों की धोखाधड़ी लगेगा अंकुश
रजिस्ट्री कराने वाला पक्षकार जिस जमीन को खरीदेगा उसकी पूरी डिटेल मोबाइल या ईमेल पर मिल जाएगी। वह रजिस्ट्री को खुद पढ़ सकता है। फिलहाल रजिस्ट्री में संपत्ति के फोटो अपलोड किए जाते रहे हैं। लेकिन संपदा-२ में गूगल से लोकेशन ली जाएगी। सेटेलाइट इमेज से संपत्ति की वास्तविक स्थिति दिखेगी। मकान कितने मंजिल का है या प्लॉट कितना है। रोड पर है या उससे अलग है। ये सभी जानकारी मोबाइल स्क्रीन पर पता चल जाएगी। प्रॉपर्टी की आईडी होने से स्टाम्प शुल्क की चोरी भी रुकेगी। संपत्ति की खरीद-फरोख्त से जुड़े फर्जीवाड़ों में कमी होगी। रजिस्ट्री रिकॉर्ड में रहेगी। जैसे ही दूसरे व्यक्ति को रजिस्ट्री की तो संबंधित को पता चल जाएगा। संपदा २ साफ्टवेयर हाइटेक है। कुछ दस्तावेज जैसे पावर ऑफ अटार्नी व पारिवारिक संपत्ति के मामलों में वीडियो कांफ्रेंसिंग के द्वारा खरीदी-बिक्री हो सकेगी। ।
संपदा 2.0 में ये कमियां
- अगर किसी जिओ टेगिंग में गूगल मैप से कॉलोनी की लोकेशन मिल सकती है, प्लॉट की नहीं। इसलिए प्लॉट की लोकेशन नहीं मिलने से आवेदक को परेशानी होगी।
- एक कॉलोनी में कई संचालक होते हैं, जबकि संपदा 2.0 में एक आधार पर कई रजिस्ट्रियों का प्रावधान रखा है। इससे धोखा होने की ज्यादा आशंका है।
- वसीयत के मामले में पहले उप पंजीयक के सामने बयान और जांच होती थी, लेकिन संपदा-२ में किसी को भी गवाह बनाकर संपत्ति का विक्रय या नामांतरण किए जाने की संभावना बढ़ गई है। इसलिए गड़बड़ी होने की ज्यादा संभावना है।
- संपदा वन ऑफ लाइन होने से रजिस्ट्री के समय कॉलोनाइजर को पंजीयक कार्यालय आना पड़ता है। इसके चलते क्रेता उससे परिचित हो जाता है। जबकि संपदा 2.0 में कॉलोनाइजर अपने गुर्गों (सहायकों) के जरिए संपत्ति की रजिस्ट्री करवा सकते हैं, जिससे भू माफियाओं को फायदा मिलेगा।
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