कार्तिक मेले में 9 फीट की दुकान का शुल्क लिया, आवंटित की 8 फीट

ए और बी सेक्टर में 24 दुकानों का घपला

उज्जैन, अग्निपथ। शहर का गौरव कार्तिक मेला इस बार फिर 14 नवंबर से शुरू होने जा रहा है। लेकिन पुराने व्यापारियों का इसमें रूझान कई कारणों से कम होने के कारण मेले का पुराना स्वरूप नजर आने की संभावना कम दिख रही है। एक घपला और सामने आ रहा है, आवंटन प्रक्रिया में ए और बी सेक्टर में आवंटित दुकानों में से एक फीट हर दुकान से कम कर बिना आवंटित दुकान अपने आर्थिक हितलाभ के लिये निकाल ली हैं।

नगर निगम द्वारा टेंडर प्रक्रिया आवेदन के एक ही व्यापारी से अलग-अलग दुकानों के लिये अलग अलग आवेदन 1000 रु. शुल्क लिया गया। ऐसे में यदि कोई व्यापारी ने एक साथ पांच दुकान लेना चाही तो उसको अलग-अलग आवेदन शुल्क भरने के 1000 की जगह 5000 रु. भरना पड़े, जबकि होना तो यहां चाहिए कि एक व्यापारी से एक ही आवेदन भरवा कर एक हजार रुपए शुल्क लेना चाहिए।

लेकिन नगर निगम के अधिकारियों ने कार्तिक मेला को अपने-अपने आर्थिक हित का साधन समझ लिया है, जबकि यह मेला पूरे संभाग का सबसे गौरवशाली मेला अभी तक रहा है। इसके धार्मिक और सामाजिक सरोकार भी है। कार्तिक मेले में अभी तक सस्ते झूले, खान-पान की दुकान और खिलौना चाय कॉफी की दुकान सस्ती दरों पर लोगों को साधन उपलब्ध करवाती रहीं, लेकिन इस बार से टेंडर शुल्क अधिक लिए जाने के कारण इसका प्रभाव सामान्य लोगों की जेब पर पडऩे की पूर्ण संभावना बन गई है।

18 प्रतिशत जीएसटी, नये व्यापारियों को दुकान आवंटन

जानकारी के अनुसार नगरनिगम ने इस बार पुराने व्यापारियों को दरकिनार कर नये व्यापारियों को दुकान और झूले आवंटित कर दिये हैं। एक दुकान के 35 हजार और बड़े झूलों के 9 लाख रुपये वसूले हैं। इन पर 18 प्रतिशत जीएसटी अधिभार अलग से लगाया जायेगा। कुल मिलाकर गरीबों के इस मेले को नगरनिगम ने अपनी कमाई का जरिया बनाते हुए मेले में आने वाले शहर और बाहर के लोगों की जेब पर भार बढ़ा दिया है।

बड़ा झूला झूलने पर अब 20-50 नहीं सीधे 100 रुपये लगेंगे। ऐसे में यदि कोई व्यक्ति अपने पूरे परिवार के साथ मेला घूमने आता है तो वह अपने बच्चों को झूला झुलाने की जगह सीधे चाट पकौड़ी खिलाकर वापस चला जायेगा।

ए और बी सेक्टर में छह-छह रो

दुकान आवंटन के लिये पूरे मेला क्षेत्र में दुकान आवंटन करने के लिये ए और बी सेक्टर में बांटा गया है। प्रत्येक सेक्टर में छह रो (दुकानों की लाइन) हैं। दुकानदार को 9 की जगह 8 फीट भूमि आवंटित की है। इस तरह से एक फीट हर दुकान से बचा लिया गया है। ऐसे में हर रो में दो दुकानें अतिरिक्त निकल रही हैं। जोकि नगरनिगम के अधिकारी किसी दुकानदार को देकर अपना आर्थिक हितलाभ साधेंगे।

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