मध्यप्रदेश के साथ ही देश की लोकसभा के लिये भी आज का दिन अशुभ साबित हुआ। मध्यप्रदेश में भारतीय जनता पार्टी को मजबूत करने वाले संगठनात्मक कौशल में अद्वितीय सांसद नंदकुमार सिंह चौहान को कोरोना ने अपना शिकार बना लिया। 68 वर्षीय ‘नंदू भैय्या’ खंडवा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करते थे। 11 जनवरी को कोरोना के कारण भोपाल के अस्पताल में भर्ती हुए थे, 5 फरवरी को उनके फेफड़ों में संक्रमण की शिकायत के कारण उन्हें गुरुग्राम के मेदांता अस्पताल में भर्ती करवाया गया था।
नंदू भैय्या की कोरोना रिपोर्ट भी निगेटिव आ गई थी लेकिन तबीयत में कोई सुधार नहीं हुआ और 1 मार्च की देर रात्रि को उन्होंने इस भौतिक दुनिया को अलविदा कह दिया। 68 वर्षीय नंदू भैय्या का जन्म बुरहानपुर जिले के शाहपुर में 8 सितंबर 1952 को हुआ था।
बी.ए. तक शिक्षित नंद कुमार सिंह जी ने पहली बार राजनीति की सीढ़ी पर सन् 1978 में कदम रखा जब वह 1978 में शाहपुरा नगर पालिका के अध्यक्ष पद का चुनाव लड़े और विजयी हुए, दूसरी बार 1983 से 1987 तक फिर से शाहपुरा नगर पालिका अध्यक्ष पद पर आसीन हुए।
सन् 1985 और फिर 1991 में मध्यप्रदेश विधानसभा का चुनाव लडक़र वह बुरहानपुर का प्रतिनिधित्व करने में सफल रहे। सन् 1996 में भारतीय जनता पार्टी ने उनकी सेवाओं को देखते हुए 11वीं लोकसभा के लिये लोकसभा प्रत्याशी घोषित किया। नंदू भैय्या विजयी होकर लोकसभा पहुँचे परंतु यह लोकसभा ज्यादा दिन तक नहीं चली और प्रधानमंत्री अटल जी ने इस्तीफा दे दिया।
सन् 1998 में 12वीं लोकसभा के लिये नंदू भैय्या फिर चुने गये दुर्भाग्यवश यह सरकार भी ज्यादा दिन नहीं चल पायी समर्थन देने वाले दलों द्वारा समर्थन वापस ले लिये जाने के कारण एक बार फिर अटल जी की सरकार गिर गई। उसके बाद नंदू भैय्या 13वीं और 14वीं लोकसभा के लिये 1999-2004 के चुनाव में फिर विजयी होकर लोकसभा पहुँचे।
सन् 2009 में 15वीं लोकसभा के लिये हुए चुनाव में वह सहकारिता के पुरोधा और मध्यप्रदेश के पूर्व उप मुख्यमंत्री सुभाष यादव के बेटे अरुण यादव से चुनाव हार गये तब भारतीय जनता पार्टी ने वर्ष 2009 में मध्यप्रदेश भारतीय जनता पार्टी के प्रदेशाध्यक्ष का दायित्व सौंप दिया जिसे उन्होंने 2013 तक बखूबी निभाया। वर्ष 2013 में नंदकुमार सिंह चौहान को भाजपा प्रदेशाध्यक्ष पद से हटाकर श्री नरेन्द्र सिंह तोमर को प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया।
वर्ष 2014 में 16वीं लोकसभा के लिये हुए चुनाव में भाजपा ने पुन: नंदू भैय्या पर विश्वास व्यक्त कर उम्मीदवार बनाया और वह पाँचवीं बार लोकसभा पहुँचे। भाजपा ने फिर एक बार प्रदेशाध्यक्ष का दायित्व उन्हें सौंपा जिसे उन्होंने 2018 तक निभाया।
वर्ष 2019 में 17वीं लोकसभा के लिये हुए मतदान में भी भाग्य ने नंदू भैय्या का साथ दिया और वह फिर से 6वीं बार सांसद बनने में कामयाब रहे। नंदकुमार सिंह जी चौहान का यूँ इस तरह चले जाना भारतीय जनता पार्टी के लिये त्रासदायी है।
खंडवा क्षेत्र में भाजपा का एक आधार स्तंभ ढह गया है। सुचिता के साथ ईमानदारी और साफगोई की राजनीति के लिये जाने जाते रहे नंदू भैय्या लंबे समय तक कार्यकर्ताओं के दिलो-दिमाग में जीवित रहेंगे क्योंकि उनके सहज, सरल, सौम्य, व्यवहार कुशल होने के कारण भाजपा के आम कार्यकर्ता की पहुँच उन तक थी। नंदू भैय्या अपने पीछे एक बेटा हर्षवर्धन सिंह और दो बेटियां छोड़ गये हैं।
कोरोना ने नंदू भैय्या के पूर्व दो और सांसदों को हमसे छीन लिया है। पहले रेल राज्यमंत्री सुरेश अंगडी और कर्नाटक बेलगाम के 65 वर्षीय सांसद को भी कोरोना काल अपना ग्रास बना चुका है। दैनिक अग्निपथ परिवार स्वर्गीय नंदू भैय्या के प्रति अपने श्रद्धासुमन अर्पित करते हुए भावांजलि प्रकट करता है।
ओम शांति-शांति