उच्च न्यायालय द्वारा रजिस्टर्ड किरायानामा पर रोक लगाने से प्रदेश के लाखों विद्यार्थियों को बड़ी राहत

10 हजार से अधिक स्कूल बंद होने से बचे, लाखों शिक्षक शिक्षिका बेरोजगार नहीं होंगे

उज्जैन, अग्निपथ। उच्च न्यायालय जबलपुर के चीफ जस्टिस माननीय श्री सुरेश केत एवं माननीय विवेक जैन की पीठ द्वारा अशासकीय स्कूलों को मान्यता नवीनीकरण को लेकर रजिस्टर्ड किरायानामा की शर्त पर रोक लगाते हुए मध्य प्रदेश शासन को अपना जवाब प्रस्तुत करने हेतु 6 मई तक का समय दिया है। इस आदेश से प्रदेश के हजारों आ शासकीय स्कूल बंद होने से राहत पाएंगे। वही लाखों विद्यार्थी शिक्षा से वंचित होने से बच जाएंगे।

उल्लेखनीय है कि राज्य शिक्षा केंद्र द्वारा मनमानी करते हुए इस वर्ष नवीन मान्यता एवं मान्यता नवीनीकरण को लेकर रजिस्टर्ड किरायानामा एवं 40000 सुरक्षा निधि जमा करने का मनमाना नियम लागू कर दिया गया था द्य इस आदेश को मध्य प्रदेश प्राइवेट स्कूल वेलफेयर संचालक मंच के द्वारा उच्च न्यायालय जबलपुर में चुनौती देते हुए एक याचिका दायर की गई थी।

संचालक मंच द्वारा न्यायालय में कहा गया कि भारत सरकार 2009 के नि:शुल्क शिक्षा अधिकार अधिनियम के अंतर्गत 2011 में किया अधिनियम लागू किया गया था उसे समय अधिनियम में रजिस्टर्ड किरायानामा सुरक्षा निधि और प्रत्येक वर्ष मान्यता शुल्क लिए जाने का कोई नियम निर्धारित नहीं किया गया था।

इस नियम के लागू किए जाने से प्रदेश के हजारों अशासकीय स्कूल मान्यता नवीनीकरण को लेकर आवेदन नहीं कर सके विशेष कर ग्रामीण क्षेत्रों में डायवर्सन एवं अन्य कारणों से रजिस्टर्ड किरायानामा बन ही नहीं रहे थे। इस कारण नए नियमों से लगभग 20 से 25 वर्षों से संचालित स्कूल रजिस्टर्ड किरायानामा के कारण स्थाई रूप से बंद होने की स्थिति में आ गए 30 से 40 प्रतिशत स्कूल संचालकों द्वारा नोटरी का किरायानामा लगाकर आवेदन किया था जिनकी मान्यता राज्य शिक्षा केंद्र के आदेश पर निरस्त की जाने लगी नए नियमों के कारण लगभग 10000 स्कूल के बंद होने की संभावना हो गई थी।

1 लाख से अधिक शिक्षक शिक्षिकाएं बेरोजगार होने से बचे

प्रदेश के लगभग 10000 और शासकीय स्कूल बंद होने से उनमें कार्यरत 1 लाख से अधिक शिक्षक शिक्षिकाएं बेरोजगार होने से बच गए अन्यथा यह प्रदेश शासन के लिए एक चुनौती भरा कदम होता।

लाखों निशुल्क शिक्षा प्राप्त कर रहे विद्यार्थी को बड़ी राहत

अशासकीय स्कूलों में निशुल्क शिक्षा अधिकार अधिनियम के तहत निशुल्क पढ़ रहे विद्यार्थियों का भविष्य भी लगभग 10000 स्कूलों के बंद होने से अंधकार में होने जा रहा था बंद हो रहे स्कूलों में लाखों विद्यार्थी शिक्षा के अधिकार से वंचित हो जाते इस आदेश से लाखों विद्यार्थियों के हजारों पालकों ने राहत की सांस लेते हुए संचालक मंच के प्रति धन्यवाद ज्ञापित किया है कि उनके प्रयासों से उनके गरीब बच्चों का भविष्य खत्म होने से बच गया।

संचालक मंच ने सभी को पीछे छोड़ा

राज्य शिक्षा केंद्र द्वारा रजिस्टर्ड किरायानामा आदि को लेकर नियम लागू करने से प्रदेश के लगभग 30000 से अधिक स्कूलों के सामने बड़ी समस्या खड़ी हो गई थी इस समस्या को लेकर प्रदेश के सभी संगठनों द्वारा एक दिन का बंद का आह्वान किया जाकर स्कूलों को बंद रखा गया कुछ संगठनों द्वारा पूरे प्रदेश में ज्ञापन दिए गए वहीं संचालक मंच द्वारा भोपाल में धरना प्रदर्शन आदि किया।

अंत में सिर्फ संचालक मंच द्वारा उच्च न्यायालय जबलपुर मे वरिष्ठ अधिवक्ता सुश्री स्मिता वर्मा अरोरा द्वारा एक याचिका दायर की जाकर संचालक मंच का पक्ष रखा जिससे सहमत होते हुए उच्च न्यायालय ने 7 मई 2025 तक राज्य शिक्षा केंद्र द्वारा 6 जनवरी 2023 के राजपत्र अधिसूचना को स्थगित रखने का आदेश दिया।

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