नगर निगम मेंटेनेंस में 2 साल में कर चुकी 1.50 करोड़ खर्च
उज्जैन, अग्निपथ। नगरनिगम द्वारा शहर भर में लगाई गईं, स्ट्रीट लाइटों के खराब होने और इसका संधारण स्मार्ट सिटी द्वारा नहीं करवाने के मुद्दे को लेकर जांच उपसमिति बार बार स्मार्ट सिटी कार्यपालन यंत्री पलाश राय की बांट जोह रही है, लेकिन हर बार की बैठक में वह नहीं पहुंचकर अपने प्रतिनिधियों को पहुंचा रहे हैं, जिसके चलते जांच पूरी नहीं हो पा रही है। अब जांच समिति ने उनसे निवेदन किया है कि आप अपनी ओर से ही तारीख तय कर बता दें कि कब उपस्थित होंगे।
स्ट्रीट लाइट जांच उपसमिति की बैठक अभी तक चार से पांच बार हो चुकी है, लेकिन हर बार कभी फाइल तो कभी कार्यपालन यंत्री स्मार्ट सिटी पलाश राय की अनुपस्थिति के कारण अपने मुकाम पर नहीं पहुंच पा रही है।
स्मार्ट सिटी कार्यपालन यंत्री ने प्रतिनिधि भेज दिया
9 मई 2025 को भी डिप्टी कमिश्नर और जांच समिति सचिव योगेन्द्र पटेल, जांच समिति अध्यक्ष दुर्गा चौधरी, सदस्य शिवेन्द्र तिवारी, योगेश्वरी राठौर, जितेन्द्र कुंवाल की उपस्थिति में बैठक आयोजित हुई थी। जिसमें स्मार्ट सिटी कार्यपालन यंत्री को तलब किया गया था। लेकिन उनकी जगह प्रतिनिधि अर्जुनसिंह राजपूत और सोनू शर्मा को भेज दिया गया। जो कि जांच समिति द्वारा पूछे गये प्रश्नों का जवाब नहीं दे पाये थे। इसी तरह 15 मई को भी कार्यपालन यंत्री पलाश राय का पौन घंटे इंतजार किया गया, लेकिन हर बार की तरह वह इस बार भी अनुपस्थित रहे। जिसके चलते स्ट्रीट लाईट जांच समिति की जांच आगे नहीं बढ़ पा रही है।
हर बार बना रहे बहाना
इसके पूर्व दिसम्बर में भी जांच उपसमिति की बैठक रखी गई थी। बैठक में जांच समिति सदस्यों ने स्ट्रीट लाइट खरीदी की फाइल अधिकारी को पेश करने को कहा। इस दौरान उपयंत्री आनंद भंडारी ने कहा कि फाइल लेकर नहीं आ पाये। उपयंत्री भंडारी ने कहा कि फाइल स्मार्ट सिटी कार्यालय में पड़ी हुई है।
अध्यक्ष दुर्गा चौधरी सहित अन्य सदस्यों ने कहा कि मामले की जांच करना है, फाइल लाना आवश्यक है। इसके बाद जांच उपसमिति के सदस्यों ने नगरनिगम द्वारा स्ट्रीट लाइट संधारण कार्य के किये गये भुगतान की फाइल के बारे में पूछा तो निगम अधिकारियों की ओर से यही जवाब मिला कि इस फाइल को भी नहीं लाये हैं। जबकि यह फाइल निगम कार्यालय में ही पड़ी हुई थी।
नगरनिगम के संधारण कार्य में हो चुके 1.50 करोड़ खर्च
शहर में करीब 26 हजार स्ट्रीट लाइटें लगाई गई हैं। स्मार्ट सिटी द्वारा ईईसीएल कंपनी के माध्यम से इनकी खरीदी की गई थी। लेकिन गुणवत्ता के आधार पर यह कमजोर पाई गई। लिहाजा इनको संधारण कार्य की आवश्यकता पडऩे लगी। स्मार्ट सिटी के द्वारा अपने हाथ खींच लेने के कारण संधारण का कार्य नगरनिगम को अपने मद से करवाना पड़ रहा है।
लिहाजा अभी तक संधारण कार्य के लिये निगम 2 साल में डेढ़ करोड़ रुपये मेंटेनेंस के उपर खर्च कर चुकी है। जबकि स्मार्ट सिटी को अपने मद से मेंटेनेंस का कार्य करवाना चाहिये। ज्ञात रहे कि ईईसीएल कंपनी को 11 करोड़ रुपये से शहरभर में स्ट्रीट लाइट लगाने का काम दिया गया था। लेकिन कम गुणवत्ता की होने के कारण यह खराब अधिक हो रही हैं, जिनका मेंटेनेंस नगरनिगम को अपने मद से करवाना पड़ रहा है। नगरनिगम कंपनी को 8.50 करोड़ का पेमेंट भी कर चुकी है। कंपनी को अब टर्मिनेट कर दिया गया है।