23 मार्च 2020 के ही दिन भारत में जनता कफ्र्यू लगा था पूरा एक वर्ष हो गया इस वैश्विक महामारी को। सारी दुनिया के 12 करोड़ 32 लाख 45 हजार 26 लोग अभी तक संक्रमित हो चुके हैं जिसमें से 27 लाख 16 हजार 196 लोग मौत का शिकार हो चुके हैं। भारत में अभी तक 1 करोड़ 16 लाख 86 हजार 796 भारतीय कोरोना संक्रमण का शिकार हो चुके हैं जिनमें से 1 लाख 60 हजार 166 भारतीयों की मौत हो गई है।
ष्ट कोरोना ने पूरी दुनिया का अमनो-चैन छीन लिया है जो विकसित देश थे वह तो इसकी मार झेल गये परंतु भारत जैसे विकासशील देशों पर इसकी मार महँगी साबित हुई। बढ़ी बेरोजगारी ने पूरे देश के सामने संकट खड़ा कर दिया है। बढ़ती महंगाई ने आम आदमी का जीना दूभर कर दिया है। विश्व बैंक द्वारा जारी आँकड़ों के अनुसार भारत में मध्यमवर्गीय परिवारों में अब तक की सबसे बड़ी गिरावट आयी है।
भारत के 3 करोड़ 20 लाख परिवार जो पहले मध्यमवर्गीय परिवारों की श्रेणी में आते थे अब वह गरीबी रेखा के नीचे जीवन यापन करने वाले परिवारों की श्रेणी (बी.पी.एल.) में आ गये हैं। वहीं अपनी नौकरी गँवाने वाले करोड़ों भारतीय भी बी.पी.एल. परिवारों की श्रेणी में आ गये हैं। इस क्षेत्र में सर्वे करने वाली कंपनी का कहना है कि भारत 40 वर्षों की सबसे बड़ी आर्थिक मंदी के दौर से गुजर रहा है। एशिया की तीसरे सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था वाले भारत में बड़े पैमाने पर नौकरियाँ चली जाने से भारत मंदी के सागर में डूब रहा है।
भारत की 3.2 करोड़ की तुलना में चीन में मात्र 1 करोड़ मध्यमवर्गीय परिवार ही प्रभावित हुए हैं। अंतरर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष के अनुसार वर्ष 2020-2021 के दौरान भारत की अर्थव्यवस्था में जहाँ 8 प्रतिशत गिरावट का अनुमान लगाया है वहीं चीन की अर्थव्यवस्था में 2.3 प्रतिशत बढऩे की उम्मीद जताई है।
महामारी के पहले देश में मध्यमवर्गीय परिवारों की संख्या 9 करोड़ 90 लाख और गरीबी रेखा के नीचे जीवन यापन करने वाले परिवारों की संख्या 5 करोड़ 90 लाख थी जो महामारी के एक वर्ष बाद मध्यमवर्गीय परिवार 9 करोड़ 90 लाख से घटकर 6 करोड़ 60 लाख रह गये हैं और बी.पी.एल. परिवारों की संख्या 5 करोड़ 90 लाख से बढक़र वर्तमान में 13 करोड़ 40 लाख हो गई है।
बी.पी.एल. परिवारों की बढ़ती संख्या ने गरीबी को खत्म करने की भारत की मेहनत पर पानी फेर दिया है। देश की आजादी के वक्त 1947 में जब भारत की आबादी 35 करोड़ थी उस समय गरीबों की संख्या 70 प्रतिशत यानि उस समय 24 करोड़ 50 लाख लोग गरीब हुआ करते थे और आज 138 करोड़ की आबादी में 22 प्रतिशत नागरिक यानि 30 करोड़ लोग गरीबी रेखा के नीचे जीवन यापन कर रहे हैं।
हरून रिच लिस्टर्स के मुताबिक मध्यमवर्गीय परिवार वह कहलाता है जिसकी प्रतिवर्ष 2 लाख 50 हजार आय और 7 करोड़ से कम संपत्ति हो वह इस वर्ग के तहत आता है। यह तो हुई गरीबी और मध्यमवर्गीय की बात अब दूसरी रिपोर्ट के आँकड़े भी चौकाने वाले हैं। हरून इंडिया रिच की सूची अनुसार वर्ष 2013 से 2020 तक बीते सात वर्षों में भारत में अरबपतियों की संख्या दुगनी हो गई है। 1 हजार करोड़ से अधिक व्यक्तिगत संपत्ति वाले लोगों की संख्या जो 2013 में 100 थी वह 2020 में बढक़र 827 हो गई है। 2013 में देश एक महिला उद्योगपति थी जो 2020 में 25 हो गई है।
भारत में इस समय कम से कम प्रतिवर्ष 7 करोड़ कमाने वाले घरों की संख्या 4 लाख 12 हजार है। राज्यों की बात करें तो सबसे ज्यादा मध्यमवर्गीय श्रेणी के लोग पंजाब, गुजरात और महाराष्ट्र में निवास करते हैं और सबसे ज्यादा अमीरजादे महाराष्ट्र में और उसके बाद उत्तरप्रदेश में रहते हैं।
शीर्ष दस राज्यों में जहाँ करोड़पति रहते हैं उसकी बानगी देखिये महाराष्ट्र में 56 हजार, उत्तरप्रदेश में 36 हजार, तमिलनाडु में 35 हजार, कर्नाटक में 33 हजार, गुजरात में 29 हजार, पश्चिम बंगाल में 24 हजार, राजस्थान में 21 हजार, आंध्रप्रदेश में 20 हजार, तेलंगाना में 18 हजार और हमारे मध्यप्रदेश में भी 18 हजार करोड़ निवास करते हैं।
यदि शहरों की बात करें तो मुम्बई में सबसे ज्यादा 19 हजार 933 करोड़पति, दिल्ली में 16 हजार, कोलकाता में 10 हजार और बेंगलूर में 7 हजार 500 करोड़पति रहते हैं। हरून ग्लोबल रिच लिस्ट 2020 की सर्वे रिपोर्ट बताती है कि नये अरबपतियों के मामले में भारत दुनिया में तीसरे स्थान पर है। एक नया मध्यम वर्ग भी आ गया है उसे उच्च मध्यम वर्ग का नाम दिया गया है जिसकी औसत आय 50 लाख प्रतिमाह है। अब आप देखिये कोरोना ने भारत में जहाँ गरीबी की संख्या में वृद्धि की है वहीं अमीरों की और खुशहाल करके गरीबी और अमीरी की खाई को और बढ़ा दिया है।