झारड़ा, स्वस्तिक चौधरी। विश्व व्यापी कोरोना महामारी थमने का नाम ही नहीं ले रही। पहला दौर कुछ सामान्य था, जिसमें इसकी तीव्रता कमजोर थी। किंतु दूसरे दौर में कोरोना तीन गुना तेजी से अपनी रफ्तार में अभिवृद्धि कर रहा है। इस मायावी संक्रमण ने महानगरों, शहरों को अपने आगोश में लेकर कई घरों को सुना तक कर दिया। तो कई को काल के गाल में समा दिया। देश की आर्थिक कमर तोड़ दी तो कई मजदूर पेशा व्यक्तियों के सामने रोजी-रोटी का महासंकट पैदा कर दिया। साथ ही संगिमण के आगोश में आ जाने से महँगें दवाई इंजेक्शन आदि खर्च का सुनते ही गरीबों ने यूं ही अपने प्राण गवा दिए।
वर्तमान में यह महामारी अब ग्रामीण क्षेत्र में अपने पैर पसार रही है। धीरे-धीरे ग्रामीण अंचलों में भी अब संक्रमित निकलने लगे है। झारड़ा से लगे व्यापारी केन्द्र बिंदु इन्दौख में इन दिनों दहशत का माहौल है। संक्रमण से लगातार एक के बाद एक पाँच मौतें होने से ग्रामवासियों में भय का माहौल है। इसी को लेकर नगर के प्रबुद्ध नागरिकों ने जन-जन के आराध्य श्री मारुति नंदन हनुमान जी का हवन पूजन कर यज्ञ में आहुतियाँ दी। साथ ही यज्ञ की पूर्णाहुति महाआरती के पश्चात पवित्र जल की धार पुरे गाँव की सीमा में धारा चलाई गई। साथ गाँव के सभी देवी-देवताओं का पूजन अभिषेक श्रंगार कर उत्तम स्वास्थ्य की प्रार्थना की गई।
ग्राम पंचायत इन्दौख के संरपच ओम प्रकाश शर्मा ने बताया कि कोरोना महामारी के प्रकोप से पुरे इन्दौख में दहशत का माहौल है। श्री राम नवमी पर गोठड़ा वाले माता की भविष्यवाणी मोबाइल पर सुनकर गाँव के प्रबुद्धजनों श्री हनुमत यज्ञ और नगर पुजा का निर्णय लिया और पुरा गाँव खाली कराकर यज्ञ पूजन कर पवित्र जल को संपूर्ण गाँव की सीमा में छिडक़ा गया।
पूजन के दौरान गाँव हुआ खाली
श्री गोठड़ा वाले माता जी भविष्यवाणी के पश्चात प्रात:काल से ही पुरा गाँव खाली हो गया। सभी नागरिक अपने खेत खलियान में चले गए और वहाँ अपने-अपने आराध्य का ध्यान करने लगे। नगर पूजा संपन्न होने के पश्चात ही सभी ग्रामवासी देर शाम अपने-अपने घरों को लौटे। प्रात:काल गाँव खाली हो जाने के पश्चात स्थानीय श्री हनुमान मन्दिर पर यज्ञ पूजन प्रारम्भ हुआ। यज्ञाचार्य द्वारा श्री हनुमान जी का पंचामृत से अभिषेक पूजन कर हवन प्रारंभ किया। यज्ञ की आहुति दिनभर लगातार चली पूर्णाहुति के पश्चात महाआरती की गई।
पवित्र जल की धार चलाई
नगर के देवी-देवताओं का पूजन यज्ञ की पूर्णाहुति के पश्चात् पवित्र जल की धार संपूर्ण गाँव में चलाई गई। पवित्र जल से प्रत्येक घर-घर को पवित्र किया गया। इसके पश्चात ही रहवासी देर शाम देवताओं से क्षमा याचना कर अपने घर लौटे और उत्तम स्वास्थ्य की प्रार्थना की।