
मुंबई। कोरोना की दूसरी लहर से सबसे अधिक प्रभावित महाराष्ट्र है। मगर राजधानी मुंबई ने जिस तरह से ऑक्सीजन संकट की समस्या का उपाय निकाला, उसके लिए वह चर्चा का विषय बना हुआ है। मुंबई में ऑक्सीजन सप्लाई की बेहतर व्यवस्था ने कई मरीजों की जान बचाई और ऑक्सीजन टैंकों की सप्लाई को कभी बाधित नहीं होने दिया। यही वजह है कि जब दिल्ली में ऑक्सीजन संकट पर सुनवाई चल रही थी तो सुप्रीम कोर्ट ने मुंबई की तारीफ की। बुधवार को जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा था कि दिल्ली सरकार के स्वास्थ्य सचिव को बीएमसी के अधिकारियों से सीखना चाहिए कि कैसे उन्होंने ऑक्सीजन संकट का हल निकाला।
दरअसल, मुंबई ने अन्य शहरों से दो कदम आगे चलते हुए पिछले साल ही कई ऑक्सीजन टैंकों का निर्माण कर लिया था। जब कोरोना की दूसरी लहर में देश में ऑक्सीजन की कमी हो गई, तो पिछले साल मई और जून में छह अस्पतालों और कई जंबो कोविड-19 सेंटरों में स्थापित किए गए 15 बड़े और 11 छोटे तरल मेडिकल ऑक्सीजन (लिक्विड मेडिकल ऑक्सीजन यानी एलएमओ) टैंकों ने मुंबई में ऑक्सीजन संकट को गहराने नहीं दिया। इन टैंकों ने मेडिकल ऑक्सीजन की दैनिक मांग को पूरा करने में मदद की जो पिछले महीने 270 मीट्रिक टन तक बढ़ गई थी। बता दें कि मुंबई में पहली लहर में मेडिकल ऑक्सीजन की मांग 210 मीट्रिक टन (एमटी) थी।
बीएमसी के एडिशनल कमिश्नर पी वेलरासू ने कहा कि अतिरिक्त एलएमओ टैंकों के निर्माण करने से हमें कोरोना वायरस की दूसरी लहर का सामना करने में मदद मिली। उन्होंने आगे कहा कि टैंक्स, उनके निर्माण, फिटिंग और पाइपिंग पर करीब 14 करोड़ से अधिक खर्च हुए। हालांकि, उस वक्त हमें नहीं पता था कि उनका किस तरह से उपयोग किया जाएगा, मगर फिर भी हम इस योजना पर आगे बढ़े और ऑक्सीजन सप्लाई के उस बुनियादी ढांचे का निर्माण किया।
अब कोरोना की संभावित तीसरी लहर से बचने के लिए भी मुंबई ने तैयारियां शुरू कर दी हैं। बृहन्मुंबई नगर निगम यानी बीएमसी जुलाई और सितंबर के बीच आने वाली संभावित तीसरी लहर की तैयारी में 10 और LMO टैंक बनाने की योजना बना रही है। दरअसल, एलएमओ टैंक अत्यधिक दबाव और प्रबलित कंक्रीट (रीइन्फोर्स्ड कंक्रीट) संरचनाओं पर बनाए जाते हैं। उन्हें वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय के तहत पेट्रोलियम और एक्सप्लोसिव सुरक्षा संगठन द्वारा प्रमाणन की आवश्यकता होती है, जो संकट के दौरान ऑक्सीजन की आपूर्ति और वितरण की देखरेख करता रहा है।
इसी साल अप्रैल में जब मुंबई में कोरोना के औसत मामले ने 7,786 के आंकड़े को पार किया था, तब ऑक्सीजन की कमी के कारण कई रोगियों को एक अस्पताल से दूसरे अस्पताल में स्थानांतरित कर दिया गया था। उदाहरण के लिए, केवल 17 अप्रैल को ऑक्सीजन की आपूर्ति प्रभावित होने के बाद 6 सरकारी अस्पतालों में से 168 मरीजों को जंबों सेंटर्स में शिफ्ट किया गया।
उस वक्त ऑक्सीजन की कमी को दूर करने के लिए बीएमसी ने ऑक्सीजन आपूर्तिकर्ताओं, 24 नगरपालिका वार्डों के सहायक नगर आयुक्तों और खाद्य और औषधि प्रशासन के बीच समन्वय स्थापित करने के लिए छह अधिकारियों की नियुक्ति की घोषणा की। अधिकारी मौजूदा ऑक्सीजन की आपूर्ति को बनाए रखने और यह सुनिश्चित करने के लिए जिम्मेदार होंगे कि उनका उपयोग ठीक से किया जा रहा है।
नगर निगम के अधिकारियों ने कहा कि उन्होंने ऑक्सीजन सिलेंडर के सुरक्षित परिवहन को भी सुनिश्चित किया। केवल दो बीएमसी संचालित अस्पताल- कस्तूरबा अस्पताल और एचबीटी ट्रॉमा केयर में ऑक्सीजन उत्पादन संयंत्र हैं। अन्य बड़े अस्पतालों में एलएमओ टैंक हैं, जिन्हें प्रतिदिन कम से कम एक बार रिफिल किया जाता है। अन्य अस्पताल ऑक्सीजन सिलेंडर पर निर्भर हैं। सभी अस्पतालों में सिलेंडर को बैकअप के रूप में रखना अनिवार्य है। संकट की स्थिति से निपटने केलिए नगर निकाय ने जरूरतमंद अस्पतालों में सिलेंडर और कंसंट्रेटर के लिए छह त्वरित प्रतिक्रिया वाहनों को तैनात किया है।
ऑक्सीजन के सप्लाई को सुचारू रखने के लिए किस कदर काम किया गया, इस पर बीएमसी के मुख्य अभियंता कृष्णा एच परेकर ने कहा कि सरप्लस ऑक्सीजन को एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जाने और ले आने के लिए वार्ड स्तर की टीमों का गठन किया गया। अधिकारियों ने कहा कि अस्पतालों में ऑक्सीजन के उपयोग और बुनियादी ढांचे की संसाधन सूची मददगार साबित हुई। नवी मुंबई और ठाणे जैसे उपनगरों में अक्सर ऑक्सीजन की आपूर्ति की जाती थी। हमारी सूची में हर वह छोटी डिटेल हैं, जैसे जंबो ऑक्सीजन सिलेंडर और ड्यूरा सिलेंडर की संख्या और सभी अस्पतालों में एलएमओ टैंक की क्षमता कितनी है। हमारे पास प्रत्येक अस्पताल में ऑक्सीजन के उपयोग का सटीक विवरण भी है। हमने यह सुनिश्चित करने के लिए कई टीमों का गठन किया ताकि एलएमओ टैंक मुंबई तक आसानी से पहुंचें। इन टीमों को नवी मुंबई में सिलेंडर रिफिलिंग प्लांट पर तैनात किया गया था ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि मुंबई को सिलेंडर का कोटा प्राप्त हो रहा है।
जब ऑक्सीजन की मांग अपने पीक पर थी, जब मुंबई ने महज 15 से 20 एमटी ऑक्सीजन की कमी का सामना किया और इसे गुजरात से पूरा किया गया। मुंबई में कई टीमों के प्रयास से ऑक्सीजन पर मचे हाहाकार को काबू पाया गया। यही वजह है कि गुरुवार को बॉम्बे हाईकोर्ट ने कहा कि बीएमसी के मुखिया इकबार चहल को अन्य नगर निकायों के साथ एक वीडियो कॉन्फ्रेंस आयोजित करना चाहिए और समझाना चाहिए कि मुंबई ने कैसे कोरोना की दूसरी लहर को मैनेज किया।