धर्मशाला । हिमाचल के जिला कांगड़ा में सूरजपुर स्थित ट्यूलिप फॉर्मूलेशन प्राइवेट लिमिटेड कंपनी बिना किसी अनुमति के रेमडेसिविर इंजेक्शन बना रही थी। रेमडेसिविर की कालाबाजारी मामले का खुलासा इंदौर क्राइम ब्रांच ने किया है। इंदौर क्राइम ब्रांच ने इस मामले में डॉ. विनय त्रिपाठी नामक व्यक्ति को गिरफ्तार किया है। इसके पास से नकली रेमडेसिविर के 16 बॉक्स मिले हैं। एक बॉक्स में 25 इंजेक्शन थे। डॉ. विनय त्रिपाठी इस कंपनी को 2020 से चला रहा था।
जानकारी के मुताबिक, डॉ. विनय त्रिपाठी ने दिसंबर 2020 को कंपनी के मैनेजर पिंटू कुमार के माध्यम से जिला कांगड़ा के एडिशनल ड्रग कंट्रोलर धर्मशाला के पास इंजेक्शन के उत्पादन के लिए अनुमति मांगी थी। लेकिन, ऑथोरिटी ने कंपनी को इसके उत्पादन की अनुमति नहीं दी थी। वर्तमान में कंपनी पैंटाजोल टेबलेट्स का ही उत्पादन कर रही थी।
ट्यूलिप फॉर्मूलेशन प्राइवेट लिमिटेड कंपनी के मैनेजर पिंटू कुमार ने बताया कि पिछले साल लॉक डाउन लगने के बाद कंपनी बंद थी। अगस्त 2020 को इंदौर के रहने वाले डॉ. विनय त्रिपाठी ने ही कंपनी में फिर से उत्पादन शुरू करवाया था और स्टाफ को हर महीने सैलरी भी डॉ. विनय त्रिपाठी ही दे रहा था।
पिंटू ने बताया,‘दिसंबर 2020 को डॉ. विनय त्रिपाठी के कहने पर मैंने ही एडिशनल ड्रग कंट्रोलर धर्मशाला आशीष रैना को रेमडेसिविर इंजेक्शन बनाने के लिए लाइसेंस के लिए आवेदन किया था। लेकिन अनुमति नहीं मिली थी। रेमडेसिविर इंजेक्शन कंपनी में बनाया जा रहा था मुझे इसकी कोई जानकारी नहीं है। कंपनी में वर्तमान में सात कर्मचारी काम कर रहे हैं। इनमें दो सिक्योरिटी गार्ड भी शामिल हैं।
एडिशनल ड्रग कंट्रोलर धर्मशाला आशीष रैना ने बताया कि सूरजपुर स्थित ट्यूलिप फॉर्मूलेशन प्राइवेट लिमिटेड कंपनी को रेमडेसिविर इंजेक्शन बनाने की कोई भी अनुमति विभाग ने नहीं दी है। नूरपुर के ड्रग इंस्पेक्टर प्यार चंद को मामले की जांच करने के आदेश दिए गए हैं।