गैर अनुभवी साहब चक्रतीर्थ पर नहीं शुरू करवा पा रहे विद्युत शवदाह गृह

उज्जैन, अग्निपथ। कोरोना काल में चक्रतीर्थ पर लाशों की फजीहत होने और लंबे वक्त से चक्रतीर्थ के इलेक्ट्रिक शवदाह गृह के बंद हो जाने के पीछे की अलग ही कहानी सामने आई है। नगर निगम ने एक ऐसे कर्मचारी को इलेक्ट्रिकल विभाग का प्रभारी अधिकारी बना रखा है जिसे इलेक्ट्रिकल का ज्ञान ही नहीं है। इलेक्ट्रिक शवदाहगृह में एक तकनीकी पेंच फंसा तब यह पोलपट्टी सामने आई। नतीजा, अब प्रभारी अधिकारी के बजाए उनके अधीन काम करने वाले उपयंत्री को इलेक्ट्रिक शवदाह गृह जल्द चालू करवाने की जिम्मेदारी सौंपी गई है।

चक्रतीर्थ का इलेक्ट्रिक शवदाह गृह 25 अप्रैल से ही बंद है। कोरोना पॉजिटिव या संदिग्ध मरीजों के शवों का दाह संस्कार भी लकड़ी-कंडो से ही करना पड़ रहा है। नगर निगम ने बड़ौदरा की एक फर्म अल्फा इक्यूपमेंट को इलेक्ट्रिक शवदाह को दुरूस्त करने का काम सौंप रखा है। दो दिन पहले नगर निगम आयुक्त क्षितिज सिंघल ने शवदाह को दुरूस्त किए जाने के काम की समीक्षा की। सूत्र बताते है कि इस बैठक में आयुक्त उपायुक्त संजेश गुप्ता, कार्यपालन यंत्री अरूण जैन, प्रकाश विभाग के प्रभारी अधिकारी, उपयंत्री और अल्फा इक्यूपमेंट कंपनी के जिम्मेदारों पर खासे नाराज हुए।

आयुक्त ने इन लोगों को हिदायत दे दी कि किसी भी सूरत में एक सप्ताह के भीतर इलेक्ट्रिक शवदाह गृह चालू हो जाना चाहिए। इस काम में नगर निगम का करीब 27 लाख रूपया खर्च हो रहा है। आयुक्त के नाराज होने के बाद काम में तेजी लाई गई। शुक्रवार शाम तक इलेक्ट्रिक शवदाहगृह को 600 डिग्री टेंपरेचर तक टेस्ट करने का काम जारी था। संभावना है कि एक या दो दिन में ही इसे चालू कर दिया जाएगा।

बाबू बने बड़े साहब, अंडर में डिग्री वाला

नगर निगम में प्रकाश विभाग के वर्तमान प्रभारी का मूल पद टाइमकीपर है। 2010 में वह स्थाई हुए। 2017 में वर्कशॉप में बाबू रहे, पूर्व निगम आयुक्त प्रतिभा पाल ने उन्हें एक पद आगे का प्रभारी बना डाला।

बतौर टाईम कीपर उक्त बाबू के पास सिविल वर्क का अनुभव है, पीटीडीसी से 2016 में इन्होंने मैकेनिकल का डिप्लोमा लिया है और इनके पास प्रभार इलेक्ट्रिकल विभाग में असिस्टेंड इंजीनियर का है। यह ठीक वैसा ही है जैसे

इलेक्ट्रिकल विभाग के प्रभारी बने बैठे टाईम कीपर को नगर निगम में न सिर्फ असिस्टेंड इंजीनियर का पद दे रखा है बल्कि वाहन, ड्राइवर आदि सुविधाएं भी दे रखी है।

इसके ठीक विपरीत इसी विभाग में इलेक्ट्रिक इंजीनियरिंग (बीई) किए हुए आनंद भंडारी टाईम कीपर बाबू के अंडर में उपयंत्री है। टाईम कीपर के अंडर में डिग्री वाला इंजीनियर ऐसा कारनामा सिर्फ नगर निगम में ही हो सकता है।

इलेक्ट्रिकल वाले से ले रहे सिविल का काम

नगर निगम के पास इलेक्ट्रिकल का काम करने वाले और भी लोग है। जोन 6 में पदस्थ उपयंत्री जितेंद्र श्रीवास्तव इलेक्ट्रिकल इंजीनियर (डिप्लोमा) है। 2016 तक वे इलेक्ट्रिकल डिपार्टमेंट में प्रभारी असिस्टेंड इंजीनियर रहे। विधानसभा में भेजी जाने वाली एक जानकारी में कुछ गड़बड़ी सामने आने के बाद श्रीवास्तव को निलंबित कर दिया गया था। 2018 में जितेंद्र श्रीवास्तव फिर से बहाल हुए लेकिन इसके बाद से ही इलेक्ट्रिकल इंजीनियर से सिविल वर्क करवाया जाने लगा। बिजली वाला इंजीनियर सरिए-सीमेंट का हिसाब रख रहा है, ऐसा कारनामा भी सिर्फ उज्जैन नगर निगम में ही हो सकता है।

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