झाबुआ: अंचल में न जांच और न ही वैक्सीनेशन, मौत का कोई आंकड़ा नही

झाबुआ से मनोज चतुर्वेदी
पूरा देश कोविड की दूसरी लहर से अब सरकारी दावों से उबरने लगा है। मार्च-अप्रेल को छोड़ दे तो मई में अचानक महानगरों, शहरों, नगरों कस्बो से अंचल के ठेठ गाव फलियो,मजरों टोलो तक फैला कोरोना अचानक काबू में होने लगा। प्रतिदिन जारी आंकड़ो ओर जनचर्चा में विरोधाभास का खुलासा करने जब थांदला क्षेत्र के आधी से अधिक आबादी वाले पालवाड़ क्षेत्र के मात्र तीन कस्बो का भ्रमण किया तो सरकारी दावे घुटने टेकते नजऱ आए।

आलम यह कि ग्रामीण क्षेत्रो में कोरोना से मौत का आंकड़ा तीन अंकों को पार कर गया होगा किन्तु सरकारी रेकॉर्ड में एक भी मौत अंचल में दर्ज नही है। कामोबेश यही स्थिति गावो में रेपिड टेस्ट और आरटीपीसीआर टेस्ट तथा वैक्सिनेशन को ले कर है। सरकार और उसका तंत्र वैश्विक महामारी को भी सरकारी योजनाओं अनुसार हल्के में ले कर कागजी घोड़े दौड़ाने में सफल नजऱ आ रहा है।

जनसंख्या लगभग 5 हजार, टीकाकरण मात्र 290

कोरोना के केस कम होने और पॉज़ीटिवी बढऩे के साथ ग्रामीणों की जनचर्चा में विरोधाभास का दूध का दूध पानी का पानी करने सुबह 9.56 बजे पर थांदला से 8 किमी दूर ग्राम परवलिया जहां इस क्षेत्र में अचानक कोरोना के केस न केवल ज्यादा वरन मौत की भी खबर आने लगी वहां के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पर वस्तुस्थिति जानने पहुचे तो वहां एएनएम शोभना मुनिया कपड़े धोते नजर आयी।

स्वास्थ्य केंद्र में प्रभारी कौन है प्रश्न पर कहने लगी आपको क्या काम है,कौन है आप जब बताया कि प्रेस से है तो एएनएम ने प्रभारी सीएचओ नीलू परमार का होना बताते हुए कहा कि मेडम 11 साडे 11 बजे तक आएगी। कोरोना के बारे में बताया कि परवलिया की जनसंख्या 4 हजार 870 हो कर यहां कुल 8 फलिये है। परवलिया में कोरोना से अभी तक रिकार्ड अनुसार किसी की भी मौत कोरोना से नही हुई।

कोरोना संक्रमित को ले कर कहा कि अप्रेल में कुल 21 लोगो मे कोरोना संक्रमण पाया गया था जिसमे 2 मरीज भारतमाला 8 लेन प्रोजेक्ट में कार्य कर रहे कर्मचारी थे। अभी तक परवलिया क्षेत्र में 31 लोगो मे कोरोना संक्रमण रिकार्ड में दर्ज हुआ है। वैक्सिनेशन की बात करे तो यहां प्रथम चरण में 290 लोगो का ही अभी तक वेक्सीनेशन हो पाया है। यहां वेक्सीन के 10 डोज़ 6 अप्रेल को मिले थे उसके बाद से अभी तक वेक्सीन नही आई

यहां हुई ही नहीं संक्रमण की जांच

10 बज कर 28 मिनिट पर जब पालवाड़ क्षेत्र के सबसे बड़े कस्बे काकनवानी पहुचे ओर चिकित्सक डाक्टर सोबान बबेरिया से कोरोना सम्बन्धी चर्चा की तो बताया कि माह अप्रेल तक काकनवानी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पर कोरोना संक्रमण की कोई जांच नही हुई।सभी लक्षण धारियों की जांच थांदला में ही हुई। वेक्सीनेश को ले कर बताया कि काकनवानी की जनसंख्या 6 हजार हो कर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के अंतर्गत 30 गाव आते है। यहां अप्रेल में 532 ओर मई में अभी तक मात्र 74 लोगो को ही लग पाई। जब इतनी कम संख्या में वैक्सिनेशन का पूछा तो बताया कि की वेक्सीन आगे से ही नही मिल पा रही है।

हरिनगर को मिले 25 जांच किट

काकनवानी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के डॉक्टर सोबान बबेरिया के अनुसार अप्रेल तक काकनवानी में कोरोना संक्रमण की कोई जांच नही हुई वही जब 11 बज कर 8 मिनिट पर काकनवानी से 12 किमी दूर गुजरात की सीमा से सटे ग्राम हरिनगर उप स्वास्थ्य केंद्र पहुचे तो वहां उप स्वास्थ्य केंद्र पर दवाईया ले कर पहुच कम्युनिटी हेल्थ ऑफिसर अभिलाषा भूरिया ने बताया कि उप स्वास्थ्य केंद्र के तहत हरिनगर,रामनगर,ओर थेथम कुल तीन गाव आते है।

हरिनगर की जनसंख्या 4263 है। अभी तक यहां 5 लोग संक्रमित हो कर स्वस्थ्य हो चुके है। गाव में कोरोना से दो मौत भी हुई है लेकिन दोनों ही मृतकों का इलाज सरकारी में नही होने से यहां इनका कोई रिकार्ड नही है।वेक्सीन अभी तक यहां 354 डोज़ पहुँचे जिनमे मार्च में 157 अप्रेल में 169 ओर मई में अभी तक 28 डोज़ मिले थे जो 60 वर्ष ओर 45 वर्ष से अधिक उम्र वालो को लगाए जा चुके है। कोरोना जांच किट के बारे में बताया कि अभी तक 25 किट ही मिले थे जिनमें प्रथम चरण में 15 ओर दूसरी बार मे 10 किट प्राप्त हुए थे।

अभिलाषा ओर केंद्र में पदस्थ प्रवीण धमानिया बताते है कि क्षेत्र में लगातार केम्प लगा कर जांच कर रहे तथा सर्दी खासी,बुखार के लक्षण वालो को दवाईया उपलब्ध करवाने के साथ कोविड जांच और वेक्सीनेशन के लिए अधिकारियों के मार्गदर्शन में प्रेरित कर रहे है।

गुजरात सीमा पर बंद मिला उपस्वास्थ्य केंद्र

थांदला क्षेत्र गुजरात और राजस्थान की सीमा से लगा हुआ है राजस्थान महज 13 किमी तो गुजरात 25 किमी पर है। गुजरात मे क्षेत्र के हजारों लोग पलायन करते है जो काकनवानी,हरिनगर बालवासा से हो कर ही आते जाते है गुजरात सीमा के मात्र एक किमी पहले बेस बालवासा उपस्वास्थ्य केंद्र पर ताले लगे नजर आए तो बाहर स्वास्थ्य और सफाई सम्बन्धी लिखे गए संदेश का पालन होते नही दिखाई दिया। कमोबेस यही स्थिति उपस्वास्थ्य केंद्र पाचखेरिया की भी नजर आयी।

जांच और मौत में बड़ा गड़बड़ झाला

अप्रेल माह में अचानक पूरे देश प्रदेश सहित आदिवासी बाहुल झाबुआ जिले में भी कोरोना संक्रमितों का ग्राफ एक दम बढऩे लगा। आलम यह कि सरकारी स्वास्थ्य केंद्रों पर सुविधाओ के अभाव में जिले के गावो,कस्बो,नगरों के मरीजो को हमेशा की तरह गुजरात के दाहोद, गोधरा, बड़ोदा, अहमदाबाद मध्यप्रदेश के धार, रतलाम इंदौर इलाज करवाने जाना पड़ा। इन मरीजो में कई लोगों की मौत भी हो चुकी है उनका मृत्यु रिकार्ड जिले के सरकारी रिकार्ड में कही भी नहीं है।

जब इस कि तहकीकात की तो सामने आया कि जिन संक्रमित लोगो ने सरकारी इलाज करवाया और जो स्वस्थ्य हुए या अत्यधिक संक्रमित हो कर मौत के मुह में चले गए उन्ही के आंकड़े दर्ज है। जबकि जिले के ग्रामीण अंचल से ले कर नगरों यहां तक जिला मुख्यालय पर ही कई लोग कोरोना संक्रमण से दम तोड़ चुके है। प्रशासन अब भी ईमानदारी से कोरोना से हुई मौत का आंकड़ा जुटाए तो सरकारी और गैर सरकारी आंकड़ों में जमीन आसमान का फर्क सामने आ सकता है।

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