सूत्रों के मुताबिक, अगर कोई छात्र इस रिजल्ट से संतुष्ट नहीं होता है तो उसे कोरोना के हालात सुधरने पर परीक्षा का भी मौका दिया जा सकता है। एजुकेशन सेक्टर के एक्सपर्ट और आईड्रीम करियर्स डॉट कॉम के फाउंडर आयुष बंसल से हमने ये समझने की कोशिश की कि छात्रों के लिए आगे की राह कैसी होगी..
1. अब सबसे बड़ा सवाल कि कॉलेज एडमिशन पर क्या असर पड़ेगा?
रिजल्ट को तय समयसीमा के भीतर तैयार करने का निर्देश प्रधानमंत्री ने दिया है, लेकिन अभी स्पष्ट नहीं है कि ये किस तारीख तक आएगा। ऐसे में कॉलेजों में होने वाले एडमिशन की टाइम लाइन पर असर पड़ेगा। दरअसल, जून शुरू हो चुका है। 9वीं, 10वीं और 11वीं के इंटरनल्स के असेसमेंट में कम से कम 2 महीने का वक्त लगेगा। इसके अलावा अगर कोई स्टूडेंट परीक्षा देना चाहता है तो उसके लिए भी हालात के सुधरने का इंतजार करना होगा। ऐसे में रिजल्ट अगस्त से पहले आना संभव नहीं है। फिर कॉलेजों में एडमिशन की प्रोसेस अक्टूबर-नवंबर तक खिंच सकती है।
2. एंट्रेंस एग्जाम पर इस फैसले का क्या असर होगा?
रिजल्ट देर से आएगा तो दिल्ली यूनिवर्सिटी और ऐसे ही कॉलेजों के एंट्रेंस एग्जाम भी देर से ही होंगे। ऐसे में बच्चों और पैरेंट्स को अलर्ट रहने और टाइम के हिसाब से अपना प्लान बनाने की जरूरत है।
3. एंट्रेंस के लिए किस तरह से तैयारी करनी होगी?
अभी से तैयारी रखें। कोर सब्जेक्ट्स के अलावा जो फील्ड आप चुनना चाहते हैं, उनकी तैयारी शुरू कर दें। एंट्रेंस एप्लीकेशन प्रोसेस को समझ लें। पैरेंट्स की भी मदद लें, क्योंकि वक्त और सहूलियत कम ही मिलेगी।
4. कॉलेज में एडमिशन के लिए जारी होने वाली कट ऑफ लिस्ट पर क्या असर होगा?
अगर नतीजे इंटरनल असेसमेंट के जरिए दिए जाते हैं तो कट ऑफ लिस्ट का परसेंटेज काफी ऊंचा रखा जा सकता है। वजह ये है इंटरनल एसेसमेंट में नंबर भी ज्यादा मिलने की संभावना है और ऐसे में कट ऑफ लिस्ट का हाई होना भी उतना ही लाजिमी है। इससे नुकसान छात्रों को ही होगा, क्योंकि उनकी वास्तविक क्षमता इंटरनल एसेसमेंट के आधार पर सामने नहीं आ पाएगी।
5. विदेश में एजुकेशन का प्लान करने वाले स्टूडेंट्स क्या करेंगे?
विदेशों में स्थित कॉलेजों में एंट्रेंस स्टैंडर्डाइज्ड एडमिशन टेस्ट (SAT) के जरिए होते हैं। ये टेस्ट ऑनलाइन लिए जाते हैं। आमतौर पर स्टूडेंट्स जून-जुलाई तक विदेशों में स्थित अपने कॉलेजों में पहुंच जाते हैं। उन्हें अपना फाइनल रिजल्ट जमा करने में देरी हो सकती है। अब उन्हें विदेशों में स्थित कॉलेजों में बात करनी होगी।
6. इंजीनियरिंग और मेडिकल के एंट्रेंस का क्या होगा?
इंजीनियरिंग और मेडिकल कॉलेजों में एंट्रेंस एग्जाम पर अभी कोई फैसला नहीं लिया गया है। लेकिन, ये एग्जाम कैंसिल करना मुश्किल है, क्योंकि 12वीं पास करने वाले छात्रों को अगर इन कॉलेजों में दाखिला नहीं दिया जाता है, तो उनका पूरा साल बर्बाद हो जाएगा।