भुगतान की फाइल पर लॉक डाउन में लगे पंख, नगर निगम के झोन-4 से आगे बढ़ा 60 लाख का विवादास्पद बिल

उज्जैन, अग्निपथ। नगर निगम में पिछले 4 साल से अधिक समय से रूकी पड़ी भुगतान की एक फाइल को लॉक डाउन में पंख लग गए। सिंहस्थ 2016 से पहले रूद्रसागर क्षेत्र में हुए विकास कार्यो के बिलों की जो फाइल लंबे वक्त से नगर निगम से गायब थी, अचानक जोन क्रमांक 4 में सामने आई। उपयंत्री से लेकर निगम कमिश्नर तक के इस पर ताबड़तोड़ दस्तखत हुए और इसे भुगतान की प्रक्रिया में पहुंचा दिया गया। बुधवार को इस विवादास्पद भुगतान की प्रक्रिया पर नगर निगम के ही एक पूर्व कर्मचारी ने आपत्ति लगा दी है।

सिंहस्थ 2016 से पहले नगर निगम द्वारा रूद्रसागर क्षेत्र में चारधाम मंदिर के सामने जमीन समतल कराने और यहां बिजली के पोल लगाने का कार्य करवाया गया था। इस काम को करने वाली इंदौर की फर्म द्वारा नगर निगम में तकरीबन 60 लाख रूपए का बिल प्रस्तुत किया गया था। इस काम की तब देखरेख कर रहे नगर निगम के उपयंत्री संजय भावसार ने बाद में इसी बिल पर आपत्ति ली।

भावसार का तर्क था कि वास्तव में जमीन समतलीकरण जैसा कोई काम हुआ ही नहीं था। बिजली के पोल और यहां लगाई गई स्ट्रीट लाइट का मेंटनेंस 5 साल तक ठेकेदार को करना था लेकिन ठेकेदार के बजाए नगर निगम के प्रकाश विभाग ने इसका मेंटनेंस किया। तत्कालीन उपयंत्री संजय भावसार ने ही ठेकेदार द्वारा प्रस्तुत बिल की जानकारी तब के आयुक्त व मेला अधिकारी अविनाश लवानिया को दी गई थी।

लवानिया के निर्देश पर ही ठेकेदार के बिल से 32 लाख रूपए काटने के निर्देश जारी हुए थे। इसके बाद से ही इस प्रकरण की फाइल नगर निगम से नदारद हो गई थी। मामले की शिकायत करने वाले तत्कालीन उपयंत्री संजय भावसार के मुताबिक कुछ वक्त पहले लॉक डाउन की अवधि में सिंहस्थ पूर्व हुए इस कार्य के भुगतान की फाइल एकाएक फिर से सामने आ गई।

जोन क्रमांक 4 के उपयंत्री श्यामचंद्र शर्मा ने इसे आगे बढ़ाया और सारे ही जिम्मेदारों की टेबल से होती हुई भुगतान की यह फाइल भुगतान की प्रक्रिया तक पहुंच गई। मामले की जानकारी लगने के बाद शिकायतकर्ता संजय भावसार ने एक बार फिर से आपत्ति लेते हुए नगर निगम प्रशासक, आयुक्त, अपर आयुक्त को मामले की दोबारा से शिकायत की है।

शिकायत में दिए ये तर्क

  • बिल में जिन लाइट, लाइट के पोल, हाईमास्ट लगाने का जिक्र है, उनका संधारण नगर निगम के प्रकाश विभाग द्वारा किया गया है, जबकि यह काम ठेकेदार को करना था।
  • ठेकेदार का फाइनल बिल इंजीनियर श्यामसुंदर शर्मा ने तैयार किया, जिन्हें उस वक्त हुए किसी भी काम की जानकारी नहीं है। फिर वे फाइनल बिल कैसे तैयार कर सकते है।
  •  लाइट के पोल, हाईमास्ट आदि का ठेकेदार द्वारा 5 साल तक मेंटेनेंस किया जाना था, उल्टे 5 साल की अवधि में नगर निगम से इस काम पर 5 से 10 लाख रूपए खर्च हो गए।

इस प्रकरण की जानकारीा नहीं है। अभी मुझ तक ऐसे किसी भुगतान की फाइल नहीं पहुंची है। यदि कोई फाइल आती भी है तो परिस्थितियों के अनुरूप विधिसम्मत निर्णय लिया जाएगा। – गणेश धाकड़, अपर आयुक्त वित्त

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