कोविड मरीज कम होने से अस्पताल में दूसरे मरीजों को भी मिले उपचार की सुविधा, अभी 12 अस्पताल में कोविड मरीजों का उपचार
उज्जैन, अग्निपथ। कोविड संकट के दौरान शहर में 12 अस्पतालों में कोविड मरीजों को भर्ती कराने की व्यवस्था प्रशासन ने कराई थी। इन अस्पतालों में प्रशासन का एक-एक प्रतिनिधि भी तैनात था ताकि विवाद या अप्रिय स्थिति न बन पाए। अभी तक यही व्यवस्था चल रही थी। अब इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) की स्थानीय इकाई ने प्रशासन को नया प्रस्ताव दिया है। इसमें एक या दो अस्पतालों को ही कोविड मरीजों के लिए अधिकृत करने का सुझाव दिया गया है। प्रशासन के अफसर इस पर अंतिम फैसला लेंगे।
आईएमए के कात्यायन मिश्र ने बताया कि यह सुझाव नगर निगम आयुक्त क्षितिज सिंघल के साथ गुरुवार को बृहस्पति भवन में हुई बैठक में दिया गया। इस सुझाव का मतलब यह नहीं है कि प्राइवेट अस्पताल में कोविड मरीजों को नहीं देखा जाएगा। गंभीर मरीज को तत्काल ही उपचार दिया जाएगा।
लेकिन कोविड के सभी मरीजों को प्रशासन से चिन्हित अस्पतालों में भर्ती करने भेजा जाएगा। इससे पूरा शहर संक्रमित होने से बच जाएगा। साथ ही इन अस्पतालों में ही मरीज के भर्ती होने से इलाज के लिए परेशान नहीं होना पड़ेगा। बैठक में पाटीदार अस्पताल के उमेश पाटीदार, महेंद्र पाटीदार, एसएस अस्पताल से सुशील गुप्ता, महेंद्र गुप्ता, पुष्पा मिशन अस्पताल से डायरेक्टर, सहर्ष अस्पताल से हर्ष मंगल, तेजनकर अस्पताल से अनिल तेजनकर आदि मौजूद थे।
अभी जो मरीज उनका उपचार करेंगे अस्पताल
मिश्रा ने बताया कि अभी 12 अस्पतालों में एक से पांच मरीज ही भर्ती हैं। इनका उपचार वे अस्पताल करेंगे। इनके डिस्चार्ज होने पर नए मरीज को प्रशासन द्वारा चिन्हित अस्पतालों में भेजा जाएगा। परन्तु अगर किसी अस्पताल में कोई गंभीर मरीज आता है तो उसे भेजने के स्थान पर पहले उपचार करा जाएगा। इसके बाद उसे चिन्हित अस्पतालों में भेजा जाएगा। मिश्रा का कहना है कि सभी अस्पतालों के मरीजों की संख्या 10 से 15 ही है।
ऑक्सीजन सप्लायर का दावा 70 लाख के सिलेंडर गायब
प्रशासन से साथ बैठक के दौरान शहर के चार शिवानी इंटर प्राइजेस के संचालक, जय गोविंद और प्रदीप आक्सीजन सप्लायर भी पहुंचे थे। इसमें शिवानी इंटरप्राइजेस के संचालक ने दावा किया कि उनके 70 लाख रुपए के आक्सीजन सिलेंडर गायब है। इस दौरान अस्पताल संचालकों ने कहा कि प्रशासन ने ऑक्सीजन सप्लाय की व्यवस्था अपने हाथ में ले ली थी। इसलिए जैसे ही सिलेंडर खत्म होता था वे ऑक्सीजन भरने के लिए भेज देते थे। कौन से सिलेंडर किसका है उन्हें इस बात का ध्यान रखने का समय नहीं था। इसलिए अब अस्पतालों में जो सिलेंडर हैं वह भरे हुए हैं। ऑक्सीजन सप्लायर आपस में बैठक करके अपने-अपने सिलेंडरों की पहचान कर लें।