बिछड़ौद, चित्रांगन बोडाना। 10 हजार की आबादी वाले गांव बिछड़ौद के शासकीय विभागों का भगवान ही मालिक है। मुख्यालय के किसी भी विभाग का कोई भी कर्मचारी मुख्यालय पर निवास नहीं करता है। यहां तक कि स्वास्थ्य विभाग का भी कोई कर्मचारी यहां नहीं रहता है।
90 प्रतिशत किसानों की आबादी होने के बावजूद पिछले 10 वर्षों से कृषि विस्तार अधिकारी कौन है, किसानों को पता नहीं है। जबकि अभी खरीफ की फसल की बुवाई का समय चल रहा है। ऐसे में कृषि विस्तार अधिकारी की अनुपस्थिति से किसानों को शासकीय योजनाओं का कोई लाभ नहीं मिल पा रहा है। ग्राम पंचायत के सचिव और पटवारी भी मुख्यालय पर नहीं रहते है। किंतु समय-समय पर उपलब्ध हो जाते है।
कहने को यहां शासकीय आयुर्वेदिक औषधालय है पर चिकित्सक 10 बजे आते है और 4 बजे चले जाते है। ऐसे में रात्रि में जब किसी ग्रामीण को स्वास्थ्य संबंधी आवश्यकता होने पर जिला मुख्यालय उज्जैन जाना पड़ता है। बिछड़ौद क्षेत्र के आसपास 50 से अधिक गांव के लोगों को विनोद मुख्यालय होने की वजह से यहां उप स्वास्थ्य केंद्र की आवश्यकता महसूस की जा रही है। शासन को इस ओर भी ध्यान देना होगा। सबसे बड़ी बात यह है कि यहां के सरपंच ही मुख्यालय पर निवास नहीं करते हैं।
पिछले दोनों कोरोना काल में यहां के सरपंच ना गांव वालों के सुख-दु:ख में कोई सहयोग नहीं किया है। 1 दिन भी अपने मतदाताओं के बीच सरपंच की उपस्थिति नहीं होने से ग्रामीण अपने आप को ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं। ग्रामीणों का कहना है कि जब गांव का मुखिया ही गांव के प्रति अपनी जवाबदेही नहीं समझते तो फिर शासकीय कर्मचारियों पर लगाम कैसे लगा पाएंगे।
कोरोना काल में ग्राम पंचायत द्वारा ग्रामीणों को कोई सहयोग भी नहीं किया गया। यहां ना मास्क वितरित किए गए और ना सेनेटाइज का वितरण किया गया, दिखाने के लिए ग्राम पंचायत द्वारा बाजार में नाममात्र के सेनेटाइज का छिडक़ाव किया गया।