गंगा दशहरा एक सप्ताह बाद २० जून को है। मान्यता है कि गंगा की शुद्धि भी शिप्रा स्नान से हुई थी, इस कारण यह पर्व शिप्रा किनारे भी धूमधाम से मनाने की परपंरा है, इस साल कोविड गाइड लाइन के मुताबिक लिमिटेड श्रद्धालुओं की मौजूदगी में मनाया जा रहा है।
लेकिन प्रशासनिक नुमाइंदों की अनदेखी ने इस बार जनसमुदाय की आस्था को बुरी तरह चोट पहुंचाई है। एक सप्ताह पहले तक साफ-स्वच्छ शिप्रा को इन लोगों ने मटमैला और बदबूदार कर दिया है और वो भी उस वक्त जब लोग में शिप्रा स्नान और पूजा के लिए पहुंचने वाले थे। त्रिवेणी के नजदीक शिप्रा में मिलने वाला खान नदी का पानी शिप्रा को गंदा कर बदबूदार बना रहा है। इस पानी को खान प्रोजेक्ट के तहत शिप्रा से बायपास किया गया है।
त्रिवेणी के पहले ही इस पानी को कच्चे डेम के जरिए रोककर पाइप लाइन के जरिए बायपास कर दिया जाता है। लेकिन अधिकारियों की अनदेखी के चलते यह कच्चा डेम ओवरलोड होकर फूट गया और गंदा पानी शिप्रा में मिल गया। समय रहते जिम्मेदारों को जगाने का प्रयास भी किया गया था, लेकिन डेम टूटने से बचाने के प्रयास नहीं हुए। नतीजा सबके सामने है।
गंगा दशहरा महोत्सव के दौरान ही शिप्रा मैली हो गई और लोगों की आस्था पर चोट पहुंचा रही है। इस घोर लापरवाही के जिम्मेदार नि:संदेह सजा के हकदार हैं।