हाल ही में हम कोरोना के प्रकोप से मुक्त हुए हैं। रोज 250-300 संक्रमितों के मिलने का सिलसिला धीरे-धीरे थम कर जीरो तक आया है। संक्रमितों की संख्या में आई इस कमी का श्रेय शहर की जनता को तो कतई नहीं है। क्योंकि लॉकडाउन खत्म होते ही लोगों की लापरवाही शुरू हो गई है।
यह लापरवाही भी हदें पार कर देने वाली हैं। बाजारों में बेवजह भीड़ देखकर ऐसा लगता है मानों कोई त्यौहार का वक्त है। इन लोगों में खरीदार कम है और तफरीह करने वाले ज्यादा। कोरोना गाइड लाइन का पालन तो लगभग बंद ही हो गया है। न सेनिटाइजर और न ही सोशल डिस्टेेंसिंग। मास्क भी पुलिस को देखकर ही चेहरे पर आता है, नहीं तो गले में लटका रहता है। जनता का यह रुख काफी खतरनाक है।
शनिवार को ही एक्स के डायरेक्टर की ओर से चेतावनी आई है। पूरे देश में अनलॉक के बाद बिंदास घूम रहे लोगों को देखते हुए एम्स डायरेक्टर ने चेतावनी देते हुए कहा है कि भीड़ को रोकिए नहीं तो सिर्फ छह से आठ सप्ताह के बीच ही कोरोना की तीसरी खतरनाक लहर आ सकती है।
हाल ही में हम में से कई लोग इस खतरनाक बीमारी से रूबरू हो चुके हैं। कई लोग अपनों को खो चुके हैं। फिर भी लापरवाही बरती जा रही है। क्या लॉकडाउन ही हमें कोरोना गाइड लाइन पालन करवा सकता है, हम खुद इसका पालन नहीं कर सकते।