कोरोना से मृत पंडे-पुजारियों का मामला
उज्जैन, अग्निपथ। श्री महाकालेश्वर मंदिर प्रबंध समिति की बैठक हाल ही में गुरुवार को संपन्न हुई। जिसमें कोरोना से मृत पुजारी को आर्थिक सहायता देने पर सहमति बनी। लेकिन मंदिर के जिम्मेदारों की अनदेखी के कारण एक अन्य पुरोहित जिसकी मौत भी कोरोना से हुई, उसका नाम मंदिर समिति की बैठक में नहीं रखा गया। अब पुरोहितों के बीच इस बात की चर्चा चल रही है कि पुजारी को तो आर्थिक सहायता मिल जाएगी, लेकिन पुरोहित को इससे वंचित कर दिया गया।
श्री महाकालेश्वर मंदिर प्रबंध समिति की बैठक में 28 जून से आम श्रद्धालुओं के दर्शन को खोलने को लेकर निर्णय हुआ। इसमें वैक्सीनेशन सर्टिफिकेट अथवा 24 या 48 घंटे में की गई आरटी पीसीआऱ रिपोर्ट देखने के बाद ही मंदिर में प्रवेश देने पर विचार हुआ था। दर्शन के अलावा मंदिर के अन्न क्षेत्र को आदि को आधी क्षमता के साथ खोलने के साथ-साथ 127 मकानों के मालिकों को 3 – 3 लाख रुपए देने पर भी विचार बना था। इसके अलावा पुजारी महेश उस्ताद की कोरोना से मौत होने पर आर्थिक सहायता देने पर भी निर्णय हुआ।
पुरोहित का नाम क्यों छोड़ दिया
महाकालेश्वर मंदिर प्रबंध समिति की बैठक में कोरोना से मृत पुजारी महेश उस्ताद को तो मुआवजा देने पर विचार विमर्श हुआ, जोकि अच्छी पहल है। लेकिन बैठक में मंदिर के कोरोना से मृत पुरोहित कांति गुरु के मुआवजे के संबंध में मंदिर प्रबंध समिति को अवगत ना कराते हुए उन को अंधेरे में रखा गया। ऐसे में भागसीपुरा में रहने वाले पुरोहित को मुआवजे से वंचित कर दिया गया और दो की जगह केवल एक पुजारी का नाम मंदिर समिति के पटल पर आर्थिक सहायता स्वीकृति के लिए रख दिया गया।
चंद्रमोहन काका की रिपोर्ट नेगेटिव
कोरोना महामारी के दौर में मंदिर के एक अन्य पुजारी चंद्रमोहन काका की इंदौर में इलाज के दौरान मौत हुई थी। उस दौरान इस बात की चर्चा चल पड़ी थी कि उनकी मौत कोरोना से हुई है। लेकिन परिवारजनों ने इस बात का खंडन किया था और कहा था कि उनकी कोरोना रिपोर्ट नेगेटिव आई है। ऐसे में उनका नाम मंदिर प्रबंध समिति की बैठक में नहीं उठा।
क्यूआर टीम होगी भंग
मंदिर में सुरक्षा का ठेका केएसएस कंपनी द्वारा संभाल लिया गया है। फिलहाल मंदिर में पुराने क्यूआर (क्विक रिस्पांस) टीम के 12 सदस्य पहले की तरह कार्य कर रहे हैं। जानकारी में आया है कि इस टीम को शीघ्र ही भंग किया जाकर 1 जुलाई से तीन शिफ्टों में नए क्यूआर टीम सदस्यों को लगाया जाएगा। प्रत्येक शिफ्ट में पूर्व की ही तरह 4-4 नए सदस्य अपनी ड्यूटी निभाएंगे।
ज्ञातव्य रहे कि एसआईएस कंपनी के क्यूआर टीम सदस्य मंदिर के आसपास कार्रवाई करने की जगह केवल ई-रिक्शा में घूमकर समय पास करते रहते थे। उनके द्वारा इतने वर्षों में ऐसा कोई उल्लेखनीय कार्य नहीं किया गया है, जिसको देखते हुए उनकी तारीफ की जाए।
इनका कहना है
मंदिर के पुरोहितों की अधिकृत लिस्ट में उनका नाम नहीं था। अतिरिक्त प्रतिनिधि में भी उनका नाम नहीं था। वह सरकारी नौकरी में थे। -अशोक शर्मा, अध्यक्ष पुरोहित समिति