चार महकमों की उलझन में फंसा 25 लाख का टेनिस कोर्ट
उज्जैन, अग्निपथ। उत्तर विधानसभा क्षेत्र में 25 लाख रूपए की लागत से तैयार होने वाले टेबल टेनिस कोर्ट की प्लानिंग अजीब उलझन में पड़ गई है। प्लानिंग बन गई, टेंडर हो गए, टेंडर के बाद वर्क आर्डर भी जारी हो गया लेकिन पिछले 6 महीने से न तो कोर्ट बनाने के लिए भूमिपूजन हो सका न ही एक ईंट रखी जा सकी है।
नगर निगम ने जिस जमीन पर टेबल टेनिस कोर्ट को बनाने का फैसला किया वहां उस जमींन पर राजस्व, हाउसिंग बोर्ड और सहकारिता विभाग भी अपना दावा कर रहा है।
नए शहर यानि दक्षिण विधानसभा क्षेत्र में महाकाल खेल परिसर में टेबल टेनिस कोर्ट बना हुआ है। इसी तर्ज पर नगर निगम ने पिछले साल उत्तर विधानसभा क्षेत्र के कस्तूरी बाग पानी की टंकी के पास टेबल टेनिस कोर्ट बनाने के काम को मंजूरी दी थी। इसके लिए 25 लाख रुपए का प्रावधान किया गया। पिछले साल नवंबर में टेंडर भी निकल गए और निर्माण करने वाली एजेंसी को वर्क आर्डर भी जारी हो गया। वर्क आर्डर जारी होने के तत्काल बाद ही भारत हाउसिंग सोसायटी की और से सहकारिता विभाग ने नगर निगम के प्रस्तावित निर्माण पर आपत्ति ले ली।
भारत हाउसिंग सोसायटी का दावा है कि जमींन उनकी है। इसी जमींन को हउसिंग बोर्ड अपनी बता रहा है जबकि इलाके के पटवारी ने अपने रिकार्ड में जमींन नजूल यानि राजस्व विभाग की बता रखी है। जमींन के स्वामित्व को लेकर राजस्व और हाउसिंग बोर्ड के साथ भारत हाउसिंग सोसायटी का न्यायालयीन प्रकरण भी चल रहा है।
भारत हाउसिंग सोसायटी का इस वक्त बोर्ड भंग है और सहकारिता निरीक्षक मुकेश जोशी इसके प्रशासक बने हुए है। खास बात यह है कि सहकारिता विभाग से काम रोकने के लिए नगर निगम को जो चिठ्ठी भेजी गई है, उसमें विवादास्पद जमींन के सर्वे नंबर का ही उल्लेख नहीं है। 25 लाख की प्लानिंग अटकी पड़ी है लिहाजा अब नगर निगम ने सहकारिता विभाग को फिर से पत्र लिखकर सर्वे नंबर क्लियर करने को कहा है।
इनका कहना
भारत गृह निर्माण सोसायटी के रिकार्ड के मुताबिक जमींन सोसायटी की है। नगर निगम ने वहां निर्माण प्रस्तावित किया है इसलिए हमने एसडीएम कोर्ट में वाद दायर किया है। हाउसिंग बोर्ड के साथ भी स्वामित्व को लेकर संस्था का न्यायालयीन प्रकरण चल रहा है।
– मुकेश जोशी, सहकारिता निरीक्षक व प्रशासक भारत हाउिसंग सोसायटीसहकारिता विभाग की तरफ से पत्र तो आया लेकिन सर्वे नंबर क्लियर नहीं किया गया। सर्वे नंबर स्पष्ट हो जाए तो हम अपनी योजना में बदलाव कर पाएंगे। फिलहाल तो वर्कआर्डर के बावजूद काम रुका पड़ा है। – मोहित मिश्रा, उपयंत्री जोन 2, नगर निगम