ट्रैफिक डीएसपी ने राष्ट्रपति पुरस्कार के लिए छिपाया गबन का केस

पुलिस वेलफेयर पेट्रोल पंप प्रभारी रहते हुए हुई थी धांधली

उज्जैन, (ललित जैन) अग्निपथ। ट्रैफिक डीएसपी सुरेंद्रपालसिंह राठौर को 15 अगस्त को मिलने वाला राष्ट्रपति पुरस्कार खटाई में पड़ सकता है। वजह मंदसौर में उन पर चल रहा गबन का केस है। दावा किया जा रहा है कि डीएसपी राठौर ने पदोन्नति और पुरस्कार के लिए दिए शपथ पत्र में उन पर कोई भी जांच और केस नहीं होना बताया था।

सूत्रों के अनुसार एक एडवोकेट ने वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों को डीएसपी राठौर के खिलाफ शिकायत की। आरोप लगाया कि राठौर ने शासन को झूठा शपथ पत्र देकर राष्ट्रपति पुरस्कार के लिए चयन करवाया है। दावा किया कि राठौर के मंदसौर आरआई और पुलिस वेलफेयर पेट्रोल पंप प्रभारी रहते 26 जनवरी 2004 से वर्ष 2007 तक लाखों रुपए का गबन हुआ था।

जांच में राठौर के साथ पूर्व आरआई एलएस शर्मा, प्रधान आरक्षक फिरोज कुरैशी व रामगोपाल भी दोषी पाए गए थे। इस पर मंदसौर कोतवाली के पूर्व टीआई रामदयाल मिश्रा ने चारों पर 15 मार्च 2012 को धारा 409 व 34 का केस दर्ज किया था। प्रकरण अब भी मंदसौर सेशन कोर्ट में विचाराधीन है।

सर्वविदित है 24 जनवरी को डीएसपी राठौर को राष्ट्रपति पुरस्कार के लिए नामित किया था। उनका चयन संपूर्ण सेवाकाल में बेदाग छवि के कारण हुआ था। पुरस्कार के नियमानुसार जनवरी 2020 में शपथ पत्र दिया कि उन पर कोई विभागीय जांच नहीं है और न कोई केस लंबित है। पुरस्कार 15 अगस्त 2021 को दिए जाना है। इस संबंध में डीएसपी राठौर से चर्चा का प्रयास किया, लेकिन संपर्क नहीं हो सका।

पदोन्नति के लिए भी झूठा शपथ पत्र

1988 बैच के सूबेदार राठौर 1997 में आरआई बने थे। उन पर मंदसौर आरआई रहते हुए अमानत में खयानत का केस दर्ज हो गया था। लेकिन वर्ष 2013 में पदोन्नति के दौरान दिए शपथ पत्र में बताया कि कोई केस नहीं है। यहीं वजह है कि मामला खुलने पर उन पर विभागीय कार्रवाई हो सकती है।

राशि भरी, कोर्ट सेे खारजी नामंजूर

बताया जाता है पेट्रोल कांड उजागर होने पर 3.27 लाख रुपए भर कर घोटाले को सेवा पुस्तिका में अंकित नहीं होने दिया गया था। यहीं नहीं खारजी का भी प्रयास किया था कि खारजी कट जाए, लेकिन कोर्ट ने अस्वीकार कर दिया।

सवा साल अटकाया मामला, फिर केस

खास बात यह है कि पेट्रोल घोटाले की जांच तत्कालीन एएसपी पंकज श्रीवास्तव (अब शाजापुर एसपी) ने 23 अप्रैल 2010 को तत्कालीन मंदसौर एसपी डॉ. जीके पाठक को सौंपी थी, लेकिन 2 अगस्त 2011 को रिपोर्ट मिलने पर तत्कालीन आईजी उपेंद्र जैन (अब एडीजीपी) ने सवा साल में रिपोर्ट पहुंचने पर जिम्मेदार पर कार्रवाई के आदेश दिए थे। बाद में उनके निर्देश पर ही राठौर आदि पर केस दर्ज हुआ था। एसपी सत्येंद्र कुमार शुक्ल ने कहा कि कमेटी की रिपोर्ट पर पुरस्कार तय हुआ होगा। मामला सामने आने पर परीक्षण कराएंगे।

एक्सपर्ट व्यू : धारा 409 का अपराध

सरकारी कर्मचारी,अधिकारी बैंकर्स आदि द्वारा इस तरह का कृत्य करने पर आईपीसी की धारा 409 के तहत केस दर्ज किया जाता है। प्रकरण की सुनवाई सेशन कोर्ट में होती है। मामले में 10 वर्ष या आजीवन कारावास तक की सजा का प्रावधान है। -प्रमोद चौबे, जिला लोक अभियोजक

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