अपात्रों को लाभ देने की दोबारा जांच में हो रहे कई चौंकाने वाले खुलासे
सुसनेर, (मंजूर मोहम्मद कुरैशी) अग्निपथ। शहर में आवासीय पट्टे देने के लिए तैयार सूची में अपात्र व्यक्तियों को शामिल करने की जांच में कई चौंकाने वाले खुलासे हो रहे हैं। नगर परिषद के जिम्मेदारों ने पात्रता के लिए जरूरी दस्तावेजों के बगैर ही कई लोगों के नाम शामिल कर लिए। खास बात यह है कि जिन लोगों के नाम सूची में हैं उनमें से कई के मकान तक उक्त भूमि पर नहीं थे।
दरअसल मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान की घोषणा के अनुसार बेघर लोगों को उन शासकीय जमीन पर पट्टे दिये जाने थे जहां वे रह रहे हैं। इसके लिए नगर परिषद द्वारा तैयार सूची में शामिल 386 लोगों को इस वर्ष स्वतंत्रता दिवस पर आवासीय पट्टे देने की तैयारी हो गई थी। वर्ष 2019 में कांग्रेस सरकार के दौरान तैयार की गई इस सूची में अपात्र व्यक्तियों को भी हितग्राही बना लिया था। जिसका विरोध होने पर पट्टा आवंटन टालने के साथ ही इसकी जांच भी शुरू हो गई है।
इस जांच में सामने आया कि सूची में दर्ज नामों में से अधिकांश लोगों के पात्रता के दस्तावेज जिसमें बिजली बिल, अतिक्रमण हटाने वालों की सूची में दर्ज नाम आदि कोई भी प्रमाण नहीं थे जिसके आधार पर इन्हें पात्र घोषित किया जा सके। साथ ही अधिकांश लोगों के मौके पर मकान ही नहीं हैं।
सूची में 150 नाम, जांच में 30 ही पात्र निकले
उदाहरण के तौर पर डग रोड पर 150 से 180 लोगों के मकान वर्ष 2014 से पहले के बने बताकरनिवास कर उन्हे पट्टा वितरण किया जा रहा था जबकि दोबारा जांच में इसमें 30 व्यक्ति भी अभी तक पात्रता की श्रेणी में नहीं आए हैं। ऐसे में सवाल उठता हैं कि अन्य जगह पर शासकीय भूमि पर काबिज लोग जिन्हे पात्र बनाया गया क्या वे पात्रता की श्रेणी में आते हैं।
यहां से हुई गड़बड़
जुलाई 2017 में शिवराज सरकार ने भूमिहीन गरीबों को पट्टा देने का वादा किया था। इसके लिए उन्होंने नगरीय निकायों के माध्यम से सर्वे कराया था और लोगों से आवेदन बुलाए थे। शर्त के अनुसार पट्टे सिर्फ उन्हें दिए जाने थे जो 31 दिसम्बर 2014 से पहले शहरी क्षेत्र में झुग्गी बनाकर रह रहे हैं। उन्हें उसी सरकारी जमीनों पर आवास बनाने के लिए पटटे देने का निर्णय लिया गया था। सर्वे के बाद पात्र गरीबों को फरवरी 2018 से पहले पहले पटटे देने के निर्देश दिए थे। जिसमें सुसनेर में एक भी पात्रता की श्रेणी में नहीं आया था।
इसके बाद कांग्रेस सरकार ने वर्ष 2019 में इस योजना को आगे बढ़ाते हुए पटटा देने की योजना बनाई थी। इसके तहत नगर परिषद सुसनेर ने आगर जिला योजना अधिकारी को भेजी सूची में 386 नाम भेजे थे। जिन्हें वर्ष 2014 में काबिज होने के नियम के तहत ही पट्टे मिलने थे।
अधिकारियों ने भी नहीं जांच
कांग्रेस सरकार के दौरान तत्कालीन राजस्व एवं नगर परिषद के लोगों के द्ववारा जो पटटा सूची तैयार की उसमें पट्टे के लिए शासन के निर्धारित मापदंड का पालन ना कर अनुमोदन के लिए वरिष्ठ अधिकारियों को भेज दी गई थी। जिसे जिला कलेक्टर ने अनुमोदित भी कर दिया था।
इनका कहना
भूमिहीन व्यक्तियों को दिए जाने वाले आवासीय पट्टों की सूची की दोबारा जांच की जा रही है। सूची किस आधार पर तैयार की गई इसकी जानकारी मुझे नहीं है। पात्रता के लिए शासन के द्ववारा निर्धारित दस्तावेज होना आवश्यक है। – देवेन्द्र धनगढ़, नायब तहसीलदार एवं जांच अधिकारी पटटा वितरण कार्य सुसनेर