सूखे के हालात बने तो कुओं-बावडिय़ों पर निर्भर हो जाएगा शहर
उज्जैन, अग्निपथ। बारिश का आधा सीजन बीत चुका है। अब तक 21 इंच ही बरसात हुई है। गंभीर बांध के साथ ही शहर के आसपास के सारे तालाब भी सूखे पड़े है। ऐसे में अब नगर निगम ने आने वाले दिनों के लिए योजना बनाना शुरू कर दिया है। वार्ड वार इंजीनियरों की तैनाती कर उनसे कुएं, बावड़ी, तालाब की ताजा स्थितियों की रिपोर्ट तलब की गई है।
नगर निगम कंट्रोल रूम से शहर के 6 जोन में पदस्थ सभी इंजीनियरों को एक प्रोफार्मा दिया गया है जिसमें उन्हें अपने प्रभार वाले वार्ड में मौजूद सार्वजनिक कुएं, बावड़ी, तालाब, सरोवर की संख्या, नाम, पते की जानकारी मांगी गई है। इसी प्रोफार्मा के एक कॉलम में कुएं-बावडिय़ों की ताजा स्थिति की जानकारी मांगी गई है, इसके अलावा यदि निकट भविष्य में इन सार्वजनिक कुएं-बावडिय़ों की मरम्मत हुई है तो उसकी भी जानकारी तलब की गई है। इंजीनियरों की इसी रिपोर्ट के आधार पर आने वाले महीनों में शहर में पानी की आपूर्ति के लिए प्लानिंग बनाई जाएगी।
पीएचई में सबकुछ हवा-हवाई
- पीएचई का एक भी अधिकारी फिलहाल ऐसा नहीं है जो यह सटिक आंकड़ा दे सकें कि 12 घंटे तक गंभीर या शिप्रा के पंप चलने पर कितने एमजीडी पानी टंकियों तक पहुंचता है।
- एक भी अधिकारी यह साफ तौर पर नहीं बता सकता है कि शहर में एक बार के सप्लाय में कितनी मात्रा में पानी की खपत होती है और कितने पानी का नुकसान होता है।
- पीएचई के पास ऐसी कोई सटिक रिपोर्ट नहीं है जो यह बता सके कि शिप्रा नदी में तीन मुख्य स्टापडेम पर कितनी मात्रा में जल संग्रहित रहता है।
- एक बार के सप्लाय में 5 से 6 एमसीएफटी पानी की खपत हर बात बताई जाती है, लेकिन यह सालों पुराना आंकड़ा है। इसके बाद शहर की भौगोलिक स्थिति, टंकियों की संख्या, पंप की कैपेसिटी में बदलाव हो चुके है। बांध से खपत का आंकड़ा पिछले 10 साल से हर रोज वहीं 6 एमसीएफटी बताया जा रहा है।
- आने वाले दिनों में गऊघाट स्टापडेम पर फिर से फ्लोटिंग पंप डालने की नौबत आ सकती है, इन पंप के लिए रोड़ क्रास कर लाइन डालना है अभी वक्त भी है लेकिन यह काम टाला जा रहा है। जल संकट के समय इसी काम के लिए हाय-तौबा हो सकती है।