उज्जैन, अग्निपथ। श्री कृष्ण जन्माष्टमी आज सोमवार को एक ही दिन मनाई जाएगी। शैव और वैष्णव परंपरा में श्रद्धालुओं के लिए भगवान श्रीकृष्ण का प्रकट उत्सव एक ही दिन मनाने का संयोग ग्रह नक्षत्रों के कारण एक ही दिन बना है। द्वापर युग जैसा संयोग इस बार बना है। लेकिन कोरोना संक्रमण का साया इस उत्सव पर भी देखा जा रहा है। रात्रि 12 बजे की महाआरती में श्रद्धालुओं को प्रवेश नहीं दिया जाएगा।
कोरोना संक्रमण के चलते सांदीपनि आश्रम में श्रद्धालुओं को सुबह 7 से लेकर रात्रि 10 बजे तक ही भगवान श्रीकृष्ण के दर्शन हो पाएंगे। पुजारी पं. रूपम व्यास ने बताया कि सुबह 10.40 बजे के लगभग प्रदेश के राज्यपाल मंगू भाई पटेल पूजन आरती में शामिल होंगे। भगवान को पुजारी परिवार की महिलाओं की ओर से जरी पर आकर्षक बूटे बनाकर पोशाक तैयार की गई है। भगवान के आसपास 10 क्विंटल हरि सब्जियों और फलों से आकर्षक श्रृंगार किया गया है। पश्चात रात्रि 12 बजे उच्च शिक्षा मंत्री मोहन यादव सहित अन्य गणमान्य अतिथियों के सानिध्य में भगवान कृष्ण का जन्मोत्सव उल्लास पूर्वक मनाया जाएगा और महाआरती की जाएगी। इस दौरान किसी भी श्रद्धालु को प्रवेश नहीं दिया जाएगा।
जन्माष्टमी पर कहां-क्या कार्यक्रम
बड़ा गोपाल मंदिर

इसी तरह बड़ा गोपाल मंदिर में रात 12 बजे होने वाले जन्म आरती में श्रद्धालुओं को शामिल नहीं किया जाएगा। मंदिर के व्यवस्थापक अजय ढोकले के अनुसार मंदिर में शाम 7 बजे से अभिषेक पूजन होगा। भगवान का श्रृंगार किया जाएगा। रात 12 बजे आरती होगी। इस दौरान दर्शन बंद रहेंगे। अगले दिन नंद उत्सव मनाया जाएगा।
इस दिन तडक़े 4.30 बजे से रात 9 बजे तक मंदिर खुला रहेगा। श्रद्धालु दर्शन कर सकेंगे। बछ बरस पर 4 सितंबर को मटकी फोड़ का आयोजन होगा। इसमें भी शामिल होने की अनुमति नहीं है। भगवान की पोशाक इस बार शहर में ही तैयार करवाई गई है।
इस्कॉन मंदिर
महानंदा नगर स्थित इस्कॉन मंदिर में भी आज 30 अगस्त को जन्माष्टमी मनेगी। श्रद्धालुओं को रात 10.30 बजे तक ही मंदिर में दर्शन के लिए प्रवेश दिया जाएगा। कोरोना संक्रमण के चलते छह के क्रम में प्रवेश दिया जाएगा। पीआरओ पंडित राघव पंडित दास के अनुसार एसडीएम नरेंद्र सूर्यवंशी और एसपी अमरेंद्र सिंह ने किए जा रहे प्रबंधों का निरीक्षण किया। जन्माष्टमी पर श्रद्धालुओं को मास्क और सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करना होगा।
महाकाल बनेंगे बालकृष्ण
महाकालेश्वर मंदिर के वरिष्ठ महेश पुजारी ने बताया कि जन्माष्टमी पर संध्या आरती में भगवान महाकाल का बालकृष्ण रूप देखने को मिलेगा। पुजारियों द्वारा भगवान का भांग से आकर्षक श्रृंगार किया जाएगा। प्रतिवर्ष इस तरह की परंपरा को निभाया जाता है। सोमवार को भगवान महाकाल की सवारी भी निकलेगी। इस तरह से भगवान महाकाल के दरबार में आज दो उत्सव मनेंगे।
द्वापर युग जैसा बना संयोग
ज्योतिर्विद पं. चंदन श्यामनारायण व्यास के अनुसार सम्पूर्ण भारत में इस वर्ष श्री कृष्ण जन्माष्टमी का महापर्व 30 अगस्त सोमवार को मनाया जाएगा। इस बर्ष श्री कृष्ण जन्माष्टमी पर दुर्लभ संयोग बन रहा है। सोमवार को सूर्यउदय अष्टमी तिथि में ही होगा। उक्त तिथि 30 अगस्त की रात 2 बजे तक रहेगी। रोहिणी नक्षत्र प्रात: 6.42 से प्रारम्भ होगा जो 31 अगस्त प्रात: 9.44 तक रहेगा। हर्षण योग प्रात: 7.44 से प्रारम्भ होगा। इसी विशेष योग में श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का महापर्व मनाया जायगा। हर्षण योग 31 को प्रात: 8.48 तक रहेगा। जन्माष्टमी के दिन अष्टमी तिथि और रोहिणी नक्षत्र एक साथ होने से इसे जयंती योग मानते हैं और इसलिए यह संयोग और भी विशेष शुभता और दिव्यता लिए है। द्वापरयुग में जब भगवान श्रीकृष्ण का जन्म हुआ था, तब भी जयंती योग था।
राशि अनुसार लगायें श्रीकृष्ण को भोग
- मेष- इस दिन गाय को गेहूं गुड़ खिला कर भगवान को गुड़ का नेवैद्य लगाएं।
- वृष- मीठा दूध व दही और सफ़ेद बफऱ्ी का विशेष भोग लगावे।
- मिथुन- गाय को हरा घास या पालक खिलाएं और मिश्री का भोग लगाएं।
- कर्क- माखन मिश्री मिलाकर लड्डू गोपाल को भोग लगाकर प्रसाद वितरण करें।
- सिंह- श्रीकृष्ण भगवान को पंच मेवा और केसर युक्त लड्डू का भी भोग लगावें।
- कन्या- केसर मिश्रित दूध का भोग लगाएं और गाय की सेवा करें।
- तुला- भगवान श्रीकृष्ण को फलों का भोग लगाएं और रबड़ी का भोग लगाएं।
- वृश्चिक- केसरिया भात का भगवान को भोग लगाएं।
- धनु- केसर युक्त मोहन भोग का भोग लगाकर पूजन करें।
- मकर- धनिया की पंजीरी में खसकस के दाने मिलाकर कृष्णजी को भोग लगाएं।
- कुंभ- कृष्णजी के पास गुलाब की धूप जलाएं। बर्फी का भोग लगावें।
- मीन- प्रभु श्रीकृष्ण को मालपुवे और खीर का भोग लगाएं।