नगर निगम कांट्रेक्टर सरेंडर आधे ठेकेदार टेंडर लेने को राजी

नगर निगम

5 ठेकेदारों की स्मार्ट सिटी कार्यालय में आयुक्तसे मुलाकात के बाद बदले हालात

उज्जैन, अग्निपथ। दीपावली के वक्त से ही नगर निगम में भुगतान की लेतलाली से नाराज नगर निगम ठेकेदारों की एसोसिएशन में फूट पड़ गई है। आधे से ज्यादा ठेकेदार भुगतान नहीं मिल पाने के बावजूद भी नगर निगम के लिए काम करने पर राजी हो गए है। ठेकेदारों की बैठक से एक दिन पहले 5 खास ठेकेदारों ने नगर निगम आयुक्त से स्मार्ट सिटी कार्यालय में बंद कमरे में मुलाकात की, इस मुलाकात के बाद पूरे हालात ही बदल गए।

नगर निगम के 100 से ज्यादा ठेकेदारों को करीब 70 करोड़ रूपए लेना बाकी है। नगर निगम की खराब माली हालत की वजह से ठेकेदारों का लंबे वक्त से भुगतान अटका पड़ा है। यहीं वजह थी कि दीपावली के ठीक बाद नगर निगम बिल्डर एसोसिएशन ने भुगतान की स्थिति ठीक नहीं होने तक नगर निगम के किसी भी टेंडर में शामिल नहीं होने का फैसला किया था। दो महीने तक ठेकेदार अपने इस फैसले पर अड़े रहे।

नगर निगम को स्वच्छ भारत मिशन-2022 के कई सारे काम करवाना है लिहाजा पिछले कुछ दिनों से अधिकारी ठेकेदारों को काम करने के लिए राजी करने का प्रयास कर रहे थे। इसी कड़ी में शुक्रवार शाम को 5 ठेकेदारों ने आयुक्त अंशुल गुप्ता से स्मार्ट सिटी कार्यालय में मुलाकात की। शनिवार को देवासरोड़ स्थित फूड जोन में नगर निगम के ठेकेदारों की बैठक आयोजित की गई।

इस बैठक में आधे से ज्यादा सदस्य इस पर बात पर सहमत हो गए कि वे नगर निगम के टेंडर्स में भाग लेंगे। एसोसिएशन में फूट पड़ती देख आखिरकार तय किया गया कि जिन्हें टेंडर डालना है वे डाले, यदि भविष्य में भुगतान संबंधी कोई परेशानी आती है तो एसोसिएशन इसकी जिम्मेदारी नहीं लेगी।

बाहरी ठेकेदारों का भी डर

नगर निगम आयुक्त अंशुल गुप्ता की कार्यप्रणाली की वजह से नगर निगम में खासा खौफ का माहौल है। आयुक्त भले ही आईएएस अधिकारी है लेकिन पहले की आईपीएस नौकरी वाला उनका रूबाब अभी बाकी है। स्वच्छता मिशन 2022 के टेंडर में स्थानीय ठेकेदारों द्वारा भाग नहीं लिए जाने के बाद आयुक्त ने स्मार्ट सिटी कंपनी के ठेकेदारों को मैदान में उतारने की तैयारी कर ली थी।

इससे भी स्थानीय ठेकेदारों में घबराहट का माहौल बना हुआ था। यहीं वजह रही कि स्थानीय ठेकेदार भी स्वच्छता मिशन के काम लेने पर राजी हो गए।

हमें एक हजार परिवारों की चिंता

नगर निगम बिल्डर एसोसिएशन के अध्यक्ष नीलेश अग्रवाल के मुताबिक एसोसिएशन की हड़ताल की वजह से स्थानीय ठेकेदार काम नहीं ले पा रहे थे जबकि बाहरी ठेकेदार आकर काम लेने लगे थे। एसोसिएशन में 140 फर्म सदस्य है, इनसे प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष रूप से 1 हजार से ज्यादा परिवार जुड़े है। हमें उन परिवारों की रोजी-रोटी की भी चिंता करना थी।

अग्रवाल ने बताया कि बाहरी ठेकेदारों यहां आते काम लेते और तत्काल भुगतान लेकर निकल जाते तो स्थानीय ठेकेदारों के साथ ज्यादती होती। यहीं वजह रही कि हमने अपने ठेकेदारों को एसोसिएशन की शर्तो के बंधन से मुक्त कर दिया है।

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