इंदौर में 6 महीने से बन रही 21 फीट की प्रतिमा
उज्जैन, अग्निपथ। महाकाल के आंगन में विराजित होने वाली भगवान गणेश की प्रतिमा इंदौर में तैयार हो रही है। 21 फीट ऊंची यह अनूठी प्रतिमा को 6 महीने पहले तैयार करना शुरू किया। प्रतिमा में 1100 गणेश के दर्शन होंगे। 17 बंगाली कारीगरों ने इसे इतनी महीन कारीगरी से तैयार किया है कि एक बार देखने वाले इसे निहारते ही रह जाएंगे।
इस मूर्ति को इंदौर के अतुल पाल, विवेक पाल अपने 17 बंगाली कारीगरों के साथ मिलकर बना रहे हैं। 21 फीट की इस गणेश प्रतिमा में भगवान गणेश के मुख्य चेहरे को छोडक़र उनके पूरे शरीर पर भगवान गणेश के 1100 चेहरे के भी दिखाई देंगे। प्रतिमा की स्वरूप कुछ ऐसी है कि भगवान के मुकुट, हार, हाथ-पैर, कान, शंख, लड्डू पर भी गणेश जी के चेहरे दिखाई देंगे। अतुल पाल की माने तो 1 महीने का वक्त मूर्ति पर इन चेहरों को उकेरने में लगा है। वैसे इस मूर्ति का काम 6 महीने पहले शुरु किया गया। 28 अगस्त को ये मूर्ति बनकर तैयार हो जाएगी।
गूगल पर सैकड़ों प्रतिमाएं देखकर आया ऐसी प्रतिमा बनाने का आइडिया
जब ये मूर्तिकार नेट पर गणेश प्रतिमाओं को तलाश कर रहे थे, तब गणेश का ये स्वरूप उन्हें नजर आया। हालांकि इस स्वरूप की प्रतिमा पहले कभी बनी हो तो इसकी जानकारी तो नहीं है, लेकिन उन्होंने सोचा की इस प्रतिमा को वे बना सकते है। इसके चलते उन्होंने इस प्रतिमा का प्रिंट निकालकर अपने कैटलॉग में रखा।
अतुल पाल बताते है कि पिछले काफी वक्त से संस्था महाकाल इंटरनेशनल चौराहा मित्र मंडल, उज्जैन के लिए वे गणेश प्रतिमा बनाते आ रहे है। हर बार वे कुछ अलग करना चाहते है, इसलिए इस बार भगवान की ये प्रतिमा की डिजाइन चुनी।
कोलकाता की मिट्टी व रंग से बनेगी
मूर्तिकारों की माने तो इस प्रतिमा पर कोलकाता में बने फूलों के रंग का इस्तेमाल किया जाएगा। इसमें भगवान के हर चेहरे पर अलग रंग किया जाएगा। इसके अलावा इस मूर्ति को बनाने में 50 बांस, 100 बोरी चॉक मिट्टी, 20 बोरी गंगा मिट्टी (कोलकाता से लाई), 4 लोडिंग घास, दो ट्रैक्टर काली मिट्टी का इस्तेमाल किया गया है। इसके पहले भी वे 51 हाथ-चेहरे के गणेश, बड़ी नंदी पर सवार गणेश, 5 शेर पर सवार गणेश की मूर्ति बना चुके है।
साधारण मूर्ति में लगता है 1 महीने का वक्त
उन्होंने बताया कि 21 फीट की सामान्य मूर्ति बनाने में करीब 1 महीने का वक्त लगता है। 1 महीने में ये मूर्ति बनकर तैयार हो जाती है, लेकिन इस मूर्ति को बनाने में वक्त लगा है। क्योंकि इसमें बारीकी का काम ज्यादा है और मेहनत भी काफी लगी है। भगवान के एक-एक चेहरा कारिगरों द्वारा हाथों से तैयार किया गया है। भगवान के सभी चेहरे अलग है। सिर्फ चेहरे बनाने में ही 1 महीने का समय लगा है।
2011 से बैठा रहे बड़ी प्रतिमा
संस्था महाकाल इंटरनेशनल चौराहा मित्र मंडल, उज्जैन के आयोजक ऋषभ बाबू यादव ने बताया कि पिछले 40 साल से ज्यादा समय वे गणेश प्रतिमा यहां विराजित करते आ रहे हैं। 2011 से 20-21 फीट की स्थापित करना शुरू किया, जो अब भी लगातार जारी है। इस बार भी भगवान गणेश की कई चेहरों वाली मूर्ति यहां विराजित की जाएगी। यहां विराजित होने वाले भगवान का नाम महाकाल वन के युवराज रखा गया है। भगवान की इस प्रतिमा के साथ ही महाकाल के चंद्रमौलेश्वर स्वरूप में एक प्रतिमा विराजित की जाएगी, जो विशेष आकर्षण का केंद्र रहती है।