महापौर की घोषणा को किया दरकिनार
उज्जैन अग्निपथ। नगर निगम ने हर वर्ष की तरह इस बार भी दिवाली पर दीपक, बाती और रंगोली विक्रेताओं से शुल्क वसूला है। जबकि 17 अक्टूबर को हुई महापौर पंचायत में महापौर मुकेश टटवाल ने घोषणा की थी कि इस वर्ष दीये, बाती और रंगोली विक्रेताओं से शुल्क नहीं लिया जाएगा।
फ्रीगंज स्थित विक्रेताओं से बातचीत के दौरान मालूम हुआ कि हर विक्रेता से अलग-अलग तर्क देकर शुल्क लिया गया। दीये बेच रही लक्ष्मी चवाण ने बताया कि 8 दिनों से सिर्फ दीये ही बेच रही हूँ लेकिन फिर भी निगम वालों ने 30 रूपये कि रसीद काटी है। गुमटी लगाकर रंगोली बेच रही रेखा गोमे ने बताया कि बेटा ज़मीन पर बैठकर रंगोली बेच रहा था, निगम वालों ने अन्य पूजन सामग्री के साथ रंगोली बेचने के भी कुल मिलाकर 273 रूपये पर्ची के काटे। निगम कर्मचारियों ने तर्क दिया की एक से ज्यादा सामग्री बेचने वालों से शुल्क लिया जा रहा है।
महापौर ने खुद किया था निरीक्षण
निगम अधिकारियों को निर्देश देने के बाद 18 अक्टूबर को महापौर मुकेश टटवाल और विधायक पारस जैन ने स्वयं बाजार में घूमकर दुकानदारों और फुटकर व्यापारियों से पूछा था कि शुल्क की रसीद कट तो नहीं रही है ? इस दौरान तो किसी ने भी पर्ची कटना नहीं स्वीकारा, परन्तु दूसरे ही दिन निगम ने अपना काम शुरू कर दिया था। इस दौरान निगम कर्मचारियों और व्यापारियों में कई बार बहस हुई। फि़लहाल, नगर निगम और महापौर ने इस पर कोई कार्यवाही नहीं की है।