उज्जैन, अग्निपथ। लोक शिक्षण संचालनालय मध्यप्रदेश भोपाल द्वारा आयोजित इक्कीसवें राज्य स्तरीय शालेय कालिदास समारोह का शुभारंभ प्रात: 11 बजे राजेंद्र सूरी जयंत सेन शताब्दी शोध संस्थान, देवास रोड, उज्जैन पर उच्च शिक्षा मंत्री, मध्यप्रदेश शासन, डॉ. मोहन यादव के मुख्य आतिथ्य में हुआ।
कार्यक्रम की अध्यक्षता उज्जैन उत्तर के विधायक पारस चंद्र जैन ने की। सारस्वत अतिथि के रूप में महर्षि पाणिनि संस्कृत एवं वैदिक विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर सी.जी. विजय मैनन उपस्थित थे। जिला पंचायत उज्जैन की अध्यक्ष श्रीमती कमला कुंवर- अंतर सिंह देवड़ा तथा जिला पंचायत की उपाध्यक्ष व शिक्षा स्थाई समिति की अध्यक्ष श्रीमती शिवानी कुंवर- भूपेंद्र सिंह सोलंकी भी विशिष्ट अतिथि के रूप में मंचासीन थी।
अतिथियों द्वारा दीप प्रज्वलन एवं कालिदास जी के चित्र पर माल्यार्पण कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया गया। महाकालेश्वर वैदिक प्रशिक्षण एवं शोध संस्थान के बटुकों द्वारा स्वस्ति वाचन किया गया। इसके पश्चात गणेश स्तुति की नृत्य प्रस्तुति कु. तनिषा जैन द्वारा दी गई। श्रीमती शेफाली चतुर्वेदी एवं विवेक धवन के निर्देशन में स्वागत गीत शासकीय उत्कृष्ट उमावि माधव नगर के विद्यार्थियों द्वारा प्रस्तुत किया गया। अतिथियों का स्वागत शाल एवं श्रीफल से संयुक्त संचालक, लोक शिक्षण, संभाग उज्जैन आर.के. सिंह, जिला शिक्षा अधिकारी आनंद शर्मा एवं सहायक सांख्यिकी अधिकारी श्रीमती संगीता श्रीवास्तव द्वारा किया गया। अतिथि परिचय एवं स्वागत भाषण आर.के. सिंह द्वारा दिया गया।
उच्च शिक्षा मंत्री डॉ. मोहन यादव ने अपने उद्बोधन में कहा कि महाकवि कालिदास साहित्य के सूर्य थे। उनका साहित्य अत्यंत समृद्ध है। अवंतिका वासी एवं समस्त भारतवर्ष कवि कालिदास का ऋणी है। मध्य प्रदेश शासन संस्कृत भाषा के उत्थान के लिए कृत संकल्पित है। आगामी समय में स्कूल शिक्षा विभाग के विद्यार्थियों को और व्यापक मंच प्रदान करने के लिए उनकी भागीदारी विक्रम विश्वद्यालय द्वारा आयोजित अखिल भारतीय कालिदास समारोह में कराई जावेगी, जिससे कि उनके आत्मविश्वास में वृद्धि हो सके तथा उनकी सांस्कृतिक प्रतिभा का भी विकास हो सके।
अध्यक्षीय उद्बोधन में पारस चंद्र जैन ने कहा कि कवि कालिदास जी के व्यक्तित्व एवं कृतित्व से विद्यार्थियों को परिचित कराने का स्कूल शिक्षा विभाग का यह एक सराहनीय कार्यक्रम है, मैं इस अवसर पर स्कूल शिक्षा विभाग को बधाई देता हूं कि उज्जयिनी में इस तरह के साहित्यिक सांस्कृतिक कार्यक्रम वर्षभर वृहद स्तर पर होते रहते हैं।
कालिदास का साहित्य एक श्रेष्ठ साहित्य
सारस्वत अतिथि प्रोफेसर सी.जी. विजय मैनन अपने उद्बोधन में कहा कि उज्जयिनी जैसी पौराणिक एवं ऐतिहासिक नगरी में इस प्रकार के आयोजन करना निश्चित ही गर्व का विषय है। उज्जयिनी में ही महाकवि कालिदास ने अपने साहित्य का सृजन किया था। उन्होंने कहा कि कवियों में महाकवि कालिदास श्रेष्ठ कवि हैं तथा काव्यों में कालिदास का साहित्य एक श्रेष्ठ साहित्य है। सभी शास्त्रों की झलक हमें कालिदास के साहित्य में मिलती है। संस्कृत युवाओं की भाषा है जिसका अध्ययन प्रत्येक भारतीय युवा को अवश्य करना चाहिए जिससे कि उसे अपनी सांस्कृतिक विरासत पर गर्व हो सके।
कार्यक्रम का संचालन संदीप नाडकर्णी एवं पद्मजा रघुवंशी ने किया तथा आभार जिला शिक्षा अधिकारी आनंद शर्मा द्वारा व्यक्त किया गया। प्रचार प्रसार समिति के संयोजक अमितोज भार्गव एवं संजय लालवानी ने बताया कि शुभारंभ कार्यक्रम के पश्चात विभिन्न संभागों से आए कनिष्ठ एवं वरिष्ठ वर्ग के प्रतिभागियों द्वारा नृत्य नाटिका प्रतियोगिता अंतर्गत प्रभावी प्रस्तुतियाँ दी गई।
कार्यक्रम में विभिन्न संभागों के विद्यार्थी, उनके मार्गदर्शी शिक्षक, विभिन्न समितियों के प्रभारी, उज्जैन नगर के विद्यालयों के संस्कृत शिक्षक, विद्यार्थी एवं गणमान्य नागरिक उपस्थित थे।