कलेक्टर की सख्ती के बाद भी असर नहीं, ड्रेस कोड और किराए के नियमों को अनदेखा कर रहे चालक
उज्जैन, अग्निपथ। महाकाल लोक की बढ़ाती लोकप्रियता और निरंतर त्योहारों के चलते इन दिनों शहर में सैलानियों की भीड़ उमड़ रही है । सार्वजनिक परिवहन संसाधनों की कमी और रास्तें छोटे होने के कारण आम यात्रियों को घूमने में दिक्कतें आ रहीं हैं । ऐसे मौकों का ऑटो चालक भी खूब फायदा उठा रहें हैं ।
शहर में ऑटो रिक्शा चालक यात्रियों से मनमाना किराया वसूल कर रहें हैं । इसे रोकने के लिए यातायात विभाग ने 7 स्थानों पर प्रिपेड़ बूथ शुरू करवाएं थें । इनका कुछ दिनों संचालन हुआ लेकिन बाद में कर्मचारियों की कमी होने के चलतें इनपे ताला लगा दिया गया । अब स्टेशन व अन्य स्थानों पर ये टीन के खंडहर डब्बे बन कर रह गए है । रेलवे स्टेशन से महाकाल तक के 150 रूपये ले रहें हैं और बस स्टैंड से तो आकड़ा 200 रूपये तक पहुँच जाता है ।
बाहर से आए श्रद्धालु अज्ञानता के कारण ज्यादा किराया चुका रहें हैं । इसके अलावा शहर की तंग गलियों में अंधाधुंध ऑटो दौड़ाया जाता है । कई ऑटो चालक सवारी से अभद्र व्यवहार करतें हैं । बाहर से आए सैलानियों को कई बार तीर्थ स्थलों पर लंबे रास्तों ले जाया जाता है । इस व्यवहार के कारण शहर की छवि धूमिल होने के साथ इमानदार ऑटो चालकों के प्रति भी लोगों का नजरिया नकारात्मक हो जाता है ।
सितंबर में कलेक्टर ने बैठक कर तय किये थे नियम
बीते सितंबर माह में कलेक्टर आशीष सिंह ने ऑटो चालक संघ और यातायात विभाग के साथ मिलकर एक बैठक की थी । इसमें चालकों के लिए ड्रेस कोड़ अनिवार्य करना, मीटर लगाकर कर उसके हिसाब से किराया लेना और प्रीपैड बूथ से जुडऩा अनिवार्य करने के निर्देश दिए गए थे । कलेक्टर सिंह ने अधिकारीयों को नियमों का सख्ती से पालन करवाने की हिदायद भी दी थी। आरटियो संतोष मालवीय ने 20 रूपये प्रति किलोमीटर के हिसाब से तय किये थें । इन सारे नियमों का पालन न करने पर 25,000 रूपये तक का जुर्माना और 1 वर्ष तक कारावास की सजा का प्रावधान है । इतनी कोशिशों के बाद भी अभी तक ऑटो वालों की मनमानी हो रही है ।