कचरे की कालाबाजारी में कूदे नेता; नगर निगम के प्लांट से खरीदा जा रहा था प्लास्टिक

महापौर ने चोरी पकड़ी तो बगले झांकने लगे अधिकारी

उज्जैन, अग्निपथ। क्या आप जानते है आपके घर से निकलने वाले कचरे से कुछ लोग लाखों-करोड़ो रूपए बनाने में जुटे है। कचरे का कारोबार इतना बड़ा हो गया कि इसमें अब कालाबाजारी और कचरे की चोरी भी होने लगी है। हद तो यह है कि इसमें सत्ताधारी दल के कुछ लोग तक शामिल हो गए है। हर रोज 40 से 50 हजार रुपए कीमत तक का वेस्ट प्लास्टिक चोरी कर बेचा जा रहा है। बड़ी बात यह है कि यह अवैध धंधा पिछले लंबे वक्त से चल रहा है लेकिन नगर निगम का कोई अधिकारी इस पर सीधे जवाब ही नहीं दे पा रहा है।

मंगलवार को खुद महापौर मुकेश टटवाल ने वेस्ट प्लास्टिक की चोरी का मामला पकड़ा है। कचरे में कालाबाजारी का खुलासा हुआ तो महापौर सहित उनकी परिषद के सदस्य भी चौंक गए। अधिकारियों से जवाब तलब किए गए तो कोई भी सीधे जवाब नहीं दे सका। महापौर ने उपायुक्त संजेश गुप्ता से पूरे मामले की रिपोर्ट तलब की है।

सत्ताधारी दल के नेता भी शामिल!

नगर निगम के कचरा ट्रांसफर स्टेशन पर पूरे शहर से कचरा संग्रहित करने वाली गाडिय़ा खाली होती है। यहां कचरे की छंटाई कर गीले कचरे को गोंदिया ट्रेचिंग ग्राउंड भेज दिया जाता है। सूखे कचरे और बिल्डिंग वेस्ट मटेरियल को एमआर-5 रोड के प्लांट पर भेजा जाता है। नगर निगम ने कचरा संग्रहण करने वाले लोगों की एक संस्था के साथ प्लास्टिक वेस्ट लेने को प्रोसेस करने का अनुबंध किया था। इस संस्था तक तो वेस्ट प्लास्टिक पहुंचता ही नहीं था, लिहाजा संस्था ने काम बंद कर दिया।

इसके बाद से ही निजी लोग वेस्ट प्लास्टिक के धंधे में उतर गए। एक अनुमान के मुताबिक हर रोज यहां से 40 से 50 हजार रुपए कीमत का वेस्ट प्लास्टिक निकलता है। सत्ताधारी दल के शहर के एक पदाधिकारी और एक पार्षद की भी इसमें संलिप्तता सामने आई है।

ऐसे पकड़ी गई कचरे की चोरी

  • मंगलवार को महापौर मुकेश टटवाल, एमआईसी सदस्यों के साथ गंदे नालों के पंपिंग स्टेशनों की स्थिति जांचने निकले थे। दोपहर के वक्त वे गऊघाट पंपिंग स्टेशन पर पहुंचे।
  • यहां से पैदल ही घूमते हुए कचरा ट्रांसफर स्टेशन पर पहुंच गए। यहां महापौर ने देखा कि ग्लोबल वेस्ट मैनेजमेंट कंपनी को सौंपी गई नगर निगम की कचरा गाडिया लगातार खाली हो रही थी और कुछ कर्मचारी कचरे की छंटाई में लगे हुए थे।
  • यहीं एक कुर्सी और चेयर लगाकर एक लडक़ा बैठा मिला, पास ही प्लास्टिक तौलने का कांटा लगा था। कचरे से जितना भी प्लास्टिक निकला, उसे तुलवाया गया, लडक़े ने रजिस्टर में इंट्री की और प्लास्टिक वेस्ट को निजी गाडिय़ों में भर दिया गया।
  • तौल करने वाला कौन था, किसकी गाडिय़ों में प्लास्टिक भरा जा रहा था इसका कोई भी जवाब नहीं दे सका।
  • एमआईसी सदस्य रजत मेहता ने वर्कशॉप इंचार्ज विजय गोयल से फोन पर निजी गाडिय़ों के संबंध में सवाल किया तो वे कहने लगे, वहां का काम आदित्य शर्मा देख रहे है।
  • आदित्य शर्मा को फोन किया गया तो उनका जवाब था मेरा तो अभी आर्डर ही नहीं हुआ। उपायुक्त संजेश गुप्ता को फोन किया गया तो उन्होंने जवाब दिया- सुबह 5 बजे ही घर पहुंचा हूं। मुझे नहीं मालूम गाडिय़ां कौन सी और किसकी है।
  • महापौर के दौरे में साथ चल रही सहायक आयुक्त नीता जैन से सवाल किया गया तो उन्होंने जवाब दिया- ये काम स्वास्थ्य विभाग के जिम्मे है।

परिसर नगर निगम का है, शेड नगर निगम का है। कचरा नगर निगम संग्रहित करवा रही है फिर भी कोई बाहरी व्यक्ति प्लास्टिक वेस्ट का तौल करवा रहा था, निजी गाड़ी में वेस्ट भरा जा रहा था। यह देखकर शंका हुई, अधिकारियों से इसकी रिपोर्ट मांगी है। किसी के संरक्षण के बिना यह संभव नहीं है। पता करवा रहे है।

– मुकेश टटवाल, महापौर

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