कार्तिक मेले में झूले वालों की हड़ताल

बाहरी व्यापारी को जगह मिलने पर हो रही दबाव बनाने की राजनीति

उज्जैन, अग्निपथ। कार्तिक मेले में परंपरागत रूप से झूले-चकरी और दुकानें लगाने की मोनोपाली को खत्म करने की नगर निगम की कोशिशों को फिर से एक झटका लगा है। कार्तिक मेले में झूला लगाने कोटा राजस्थान से आए एक व्यापारी के खिलाफ स्थानीय कई सारे झूले वाले एकजुट हो गए। कोटा के व्यापारी को कार्तिक मेले में जगह मिल गई तो सोमवार की शाम दूसरे सारे झूले वालों ने अपने झूले बंद कर दिए। कोटा के व्यापारी के साथ मारपीट भी की गई।

कार्तिक मेले में अब तक इंदौर के खालिद और उज्जैन के नवीन शुक्ला का ही कब्जा रहा है। ये दोनों व्यापारी ही मिलकर झूलों के रेट तय करते है। दूसरे झूले वालें भी इनके कहने में रहते है। कार्तिक मेले में इस बार झूलों के लिए 24 ब्लॉक तय हुए थे। इनमें से 17 ब्लॉक को नगर निगम ने पहले के सालों से झूले लगाते आ रहे व्यापारियों को आवंटित कर दिया। इनमें एक नियम स्पष्ट था, एक व्यापारी- एक ब्लॉक का आवंटन। शेष रहे 7 ब्लॉक के आवंटन के लिए नगर निगम ने टेंडर बुलाए थे।

इनमें से एक ब्लॉक कोटा से झूला लगाने आए मोहम्मद कामरान को मिल गया। कार्तिक मेले में पिछले कई सालों से झूला लगाते आ रहे व्यापारी किसी भी तरह से मोहम्मद कामरान को मेले से हटाने की जुगत में लगे है। यह पूरा खेल मेले में अपना वर्चस्व बनाए रखने के लिए रचा गया है। रविवार को मोहम्मद कामरान को विधिवत टेंडर के जरिए मेले में झूला आवंटन का ब्लॉक मिला गया।

जैसे ही यह खबर दूसरे झूले वालों को लगी तो वे कामरान के खिलाफ लामबंद हो गए और रूपए लेन-देन कर जगह आवंटन के आरोप लगाने लगे। अपनी एकजुटता बताने के लिए स्थानीय झूले वालों ने सोमवार को अपने झूले भी बंद रखे।

ऐसा रहा तो दूसरा कौन आएगा?

मोहम्मद कामरान के पास 6 तरह के झूले है। 2019 में भी वह अपना सामान लेकर उज्जैन कार्तिक मेले में आया था लेकिन स्थानीय रंगदारों की दबंगई की वजह से उसे जगह नहीं मिल सकी थी। इस बार फिर से कामरान अपने झूले लेकर राजस्थान से उज्जैन आया। 4 दिन पहले उसके खिलाफ महाकाल थाने में एक शिकायत दर्ज करवाई गई और महाकाल पुलिस ने उस पर शांति भंग करने की धारा के अंतर्गत केस दर्ज कर लिया। कामरान 2 दिन भैरवगढ़ जेल में बंद रहा।

बाहर निकलकर उसने नगर निगम से विधिवत टेंडर के जरिए जगह का आवंटन कराया। अब दूसरे व्यापारी उसका विरोध कर रहे है। कार्तिक मेले में यह स्थिति अकेले कामरान के साथ नहीं है। दूसरे शहरों से मेले में कारोबार करने आने की मंशा रखने वाले कई लोगों के साथ यहां इसी तरह का व्यवहार होता है। पहले से स्थापित कई लोग बाहरी व्यापारियों को यहां टिकने ही नहीं देते है। यहीं वजह है कि कार्तिक मेले का स्वरूप 20 साल पहले जैसा था, आज भी वैसा ही है। यहां कारोबार का कभी विस्तार नहीं हो सका।

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