भैरवनाथ को चढ़ाई 60 किस्म की शराब

बीड़ी-सिगरेट, तंबाकू, अफीम और गांजा का भी भोग

उज्जैन, अग्निपथ। आपने मठ-मंदिरों में 56 भोग से लेकर अन्नकूट तक की कई तस्वीरें देखी होगी। लेकिन उज्जैन में भैरवनाथ को लगाया महाभोग खास है। इसमें शराब भी है, तो बीड़ी-सिगरेट, तंबाकू के साथ ही गांजा, भांग और अफीम भी चढ़ाई गई।

उज्जैन के प्राचीन 56 भैरव मंदिर में भगवान भैरवनाथ को 1500 तरह की खाने-पीने की चीजों का भोग लगाया गया। इनमें 60 किस्म की देसी-विदेशी शराब, 22 तरह की बीड़ी-सिगरेट, 30 अलग-अलग तंबाकू और सादे पाउच से लेकर अफीम, चिलम, भांग और गांजा शामिल है। बुधवार देर रात इस अनूठे महाभोग के श्रद्धालुओं ने दर्शन किए। रात 12 बजे महाआरती हुई। भोग का यह प्रसाद श्रद्धालुओं में बांट दिया गया।

उज्जैन में भागसीपुरा स्थित काल भैरव मंदिर में शराब चढ़ाने की परम्परा है। लेकिन, बुधवार रात भैरव अष्टमी थी, इसी वजह से यहां 1500 तरह की खाने-पीने की चीजों का भोग लगाया गया। इंदौर के एक श्रद्धालु नीरज देसाई यहां 18 साल से हर साल अष्टमी पर काल भैरव को भोग लगा रहे हैं। उनकी ओर से ही सबसे ज्यादा भोग लगाया जाता है। वे ऐसा अपनी पत्नी और मां के स्वप्न की वजह से कर रहे हैं। इसकी कहानी आगे जानेंगे।

जानते हैं मंदिर का नाम 56 भैरव क्यों?

यह मंदिर अतिप्राचीन है। यहां भैरव बाबा की 56 प्रतिमाएं एक ही स्थान पर होने से इनका नाम चमत्कारी छप्पन भैरव पड़ा। पुजारी पं. व्यास ने बताया कि राजा भर्तृहरि और सम्राट विक्रमादित्य भी यहां आकर पूजा करते थे। अवंतिका तीर्थ के अष्ट भैरव में इनकी गणना होती है।

मदिरा से सजा मंदिर

भैरव अष्टमी पर छप्पन भैरव का मंदिर मदिरालय के रूप में नजर आ रहा था। पकवानों के साथ देसी-विदेशी मदिरा की कई बोतलें भी रखी हुई थीं। इतना ही नहीं, बाबा को सिगरेट, कोल्ड्रिंक्स आदि भी भोग स्वरूप परोसी गई।

सास-बहू को सपने में दिखे थे भैरवनाथ

18 साल से मंदिर में हर अष्टमी पर भोग लगाते आ रहे इंदौर के नीरज देसाई ने बताया कि 2004 में एक साथ उनकी मां कला देवी और पत्नी डॉ. संतोष देसाई को भैरव भगवान ने दर्शन दिए। उन्होंने 56 भोग लगाने के लिए कहा। सुबह मां और पत्नी ने अपने इस सपने के बारे में बताया। मैंने इसे गंभीरता से लिया। इंदौर से उज्जैन आकर पहली बार 56 भैरव को 60 प्रकार की मदिरा का भोग लगाया। इसके बाद 300 तरह का भोग लगाया, फिर 450 … और अब 1500 चीजों का भोग लगाया है।

इस बार चांदी के बर्तन में लगाया गया भोग

भैरव मंदिर में प्रति हर साल अष्टमी को 56 भोग के लिए भव्य श्रृंगार किया जाता है। इस बार भैरव भगवान को चांदी के बर्तन में भोग लगाया गया। मंदिर में हर साल बिजली सज्जा करने के लिए धार से भारत रावल को बुलाया जाता है। इस बार भजन का कार्यक्रम पंडित सुरेंद्र व्यास ने किया। खास बात यह है कि कार्यक्रम खत्म होने के बाद भोग को वितरित कर दिया जाता है।

2004 से पहले मदिरा नहीं चढ़ाते थे…

पुजारी पं. राजेश व्यास ने बताया कि ब्राह्मण होने के कारण हम लोग बाबा को शराब का भोग नहीं लगाते थे। हमारे घर में मांस-मदिरा प्रतिबंधित है, यही वजह रही कि हम बाबा को भी मदिरा नहीं चढ़ाते थे। जब साल 2004 में बहन को बाबा ने स्वप्न दिया, तो फिर तभी से बाबा को मदिरा का भोग लगाने लगे।

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