उज्जैन, अग्निपथ। जिले के महिदपुर स्थित कृष्ण-सुदामा के सबसे प्राचीन मंदिरो में से एक नारायणा मंदिर में होली के पर्व पर 151 किवंटल फूल और गुलाल की होली खेलते हुए पारम्पारिक गैर निकाली गई जिसमे बड़ी संख्या में भक्त शामिल हुए।
होली पर्व पर मंगलवार को नारायणा मंदिर में ध्वजा को बदलने की परम्परा है, इस के लिए बड़ी संख्या में भक्त अल सुबह से पहुंचने लगे थे। दोपहर 12 बजे ध्वजा बदलने से पहले गाँव में 151 किवंटल फूल और गुलाल की होली खेलते हुए भक्त मंदिर पहुंचे इस दौरान बेंड बाजे ढोल ऊंट हाथी के साथ ध्वज समारोह पुरे गाँव में भ्रमण करते हुए नारायणा मंदिर पंहुचा।
यहाँ मंदिर के शिखर पर वर्ष में एक बार बदलने वाले नए ध्वज का रोहण किया गया। कार्यक्रम से जुड़े हरीश जोशी ने बताया कि होली पर फाग उत्सव मनाया गया है ब्रह्म मुहर्त में अभिषेक आरती के पश्चात ध्वज को सिर पर निकले जिसमें बड़ी संख्या में ग्रामीण शामिल हुए कार्यक्रम के बाद 11000 लोगो को भोज भी किया गया।
इसलिए प्रसिद्ध है मंदिर
सुदामा अत्यधिक गरीब थे और उनकी दोस्ती भगवान श्रीकृष्ण से उज्जैन में गुरु सांदीपनि के आश्रम में हुई। कहा जाता है कि एक दिन गुरु माता ने श्रीकृष्ण व सुदामा को लकडिय़ां लाने के लिए भेजा। आश्रम लौटते समय तेज बारिश शुरू हो गई और श्रीकृष्ण-सुदामा ने एक स्थान पर रुक कर विश्राम किया। मान्यता है कि नारायण धाम वही स्थान है जहां श्रीकृष्ण व सुदामा बारिश से बचने के लिए रुके थे तथा सुदामा ने श्रीकृष्ण के हिस्से के चने खाये थे । इस मंदिर के आसपास पेड़ पौधों के बारे में मान्यता है कि ये उन्ही लकडिय़ों के ग_र से फले-फूले है जो कृष्ण और सुदामा ने एकत्र किए थें।