श्री विक्रमादित्य शिव महापुराण के पहले दिन पं. मिश्रा ने सुनाया राजा भर्तृहरि का प्रसंग
उज्जैन, अग्निपथ। सीहोर वाले पंडित प्रदीप मिश्रा की श्री शिव महापुराण कथा के पहले दिन मंगलवार को भक्तों की भारी उमड़ी। पहले दिन उन्होंने राजा भर्तृहरि का जीवन प्रसंग सुनाते हुए कहा कि जोरू और जमीन मनुष्य का जीवन कभी भी बदल देती है।
बडऩगर रोड पर निरंजनी अखाड़े के सामने वाली रोड पर भक्तों का ऐसा सैलाब दिखा जो खत्म ही नहीं हो रहा था। कथा शुरू होने से दो घंटे पहले ही तीनों डोम फुल हो चुके थे। कार्तिक मेला ग्राउंड के पास वाहनों को रोक दिया गया यही से लोग कथा स्थल तक करीब दो-तीन किलो मीटर तक पैदल चले। ऐसे ही चारो और बनाई गयी पार्किंग पर गाड़ी रख कर आये श्रद्धालुओं को काफी पैदल चलना पड़ा। इसके बाद लोगो को पांडाल में जगह नहीं मिली तो बाहर धूप में ही बैठकर कथा सुनते रहे। इसमें बड़ी संख्या में महिला पुरुष और बच्चे शामिल थे।
शहर में 4 अप्रैल से 10 अप्रैल तक कथा वाचक पंडित मिश्रा की शिव महापुराण कथा का आयोजन किया जा रहा है । रोजाना 5 लाख भक्तों के आने का अनुमान लगाया गया था। आयोजन स्थल पर कथा शुरू होने से पहले 2 लाख लोग पहुंच चुके थे। पांडाल छोटे पड़ गये तो आयोजक कार्यालय से ही गायब हो गये। 3 बजे करीब ढाई से तीन लाख लोग कथा स्थल पर थे और करीब 50 हजार लोग रास्ते में थे जो आयोजन स्थल पर पैदल पहुंच रहे थे। भारी भीड़ के बीच कई लोग परेशांन होते रहे कुछ लोग जिन्हे जगह नहीं मिली वे अपने घर लौट गए। कुछ लोग जिन्हे जहां जगह मिली वे वहां कथा सुनने बैठ गए।
महाकाल ने दिया साथ, बदला मौसम का अंदाज
दोपहर दो बजे तक यह हालात थे कि काफी संख्या में लोग धूप में खड़े होकर शिवमहापुराण कथा सुन रहे थे। तभी अचानक मौसम बदला और तेज धूप की जगह बादल छा गये। जिससे गर्मी में खुले में बैठे भक्तों को राहत मिली। कार्यक्रम में आगे भी और भीड़ बढऩे की उम्मीद जताई जा रही है।
बाहर के भक्तों ने आगे की जगह रोकी
कथास्थल पर दो दिन पहले से ही भक्तों की भीड़ आना शुरू हो गई थी।जो भक्त बाहर से आये है वे पांडाल में ही सो रहे है इसलिए कथा शुरू होने से पहले ही वे आगे वाली जगह अपने लिए रोक लेते है। लेकिन आसपास के इलाकों और उज्जैन शहर के लोग देर से कथा में पहुंचे इस कारण उन्हें जगह ही नहीं मिली। राजस्थान, बिहार, यूपी, महाराष्ट्र, गुजरात, उड़ीसा सहित अन्य राज्यों के अलग – अलग शहरों से श्रद्धालु उज्जैन पहुंचे हैं।
सडक़ के दूसरी ओर बैठे लोगों तक आवाज ही नहीं पहुँच पाई
कथा पांडाल पहले ही दिन पूरी तरह से खचाखच था। हजारों श्रद्धालु पांडाल में नहीं जा पाए और बडऩगर रोड पर जहां छायादार स्थान मिला वहां बैठकर कथा का श्रवण करने लगे। लेकिन समिति ने पांडाल के अलावा आसपास के किसी भी स्थान लाउड स्पीकर नहीं लगवाए, ऐसी स्थिति में पांडाल से दूर बैठे श्रद्धालुओं तक आवाज नहीं पहुँच पा रही थी और वे कथा श्रवण नहीं कर पाए। समिति को मुरलीपुरा और कार्तिक चौक की ओर की तरफ लाउड स्पीकर लगवाने चाहिए ताकि बाहर बैठे श्रद्धालुओं तक भी कथा पहुंच सके।
शिवमहापुराण : बहुत वीआईपी हैं उज्जैनवासी
विक्रमादित्य शिवमहापुराण कथा के पहले दिन मंगलवार को पं. प्रदीप मिश्रा ने व्यास पीठ से कहा कि उज्जैनवासी बहुत वीआईपी हैं। काशी में मृत व्यक्ति मां पार्वती के वरदान से तुरंत मोक्ष प्राप्त करता है। लेकिन उज्जैनवासी को मृत्यु के बाद नंदी पर बैठाकर स्वयं महादेव अपने साथ कैलाश ले जाते हैं। महादेव कहते हैं उज्जैनवासी मोक्ष नहीं मांगता, वो तो कैलाश धाम आकर फिर उज्जैन में जन्म लेने की जिद करता है।
- राजा भर्तृहरि और विक्रमादित्य की माता शिवभक्त सौम्यदर्शना का जिक्र करते हुए पं. मिश्रा ने बताया कि राजा भर्तृहरि को एक बार शिवकृपा से ऐसा फल मिला जिसके सेवन से आजीवन युवा रहा जा सकता है। प्रेमवश यह फल उन्होंने अपनी रानी को दिया और रानी के जरिए सेनापति व दासी के पास से होता हुआ वह फल पुन: राजा भर्तृहरि के पास पहुंचा तो पत्नी की बेवफाई के कारण राजा के मन में वैराग्य उत्पन्न हुआ। इसी आधार पर पं. मिश्रा ने जोरू और जमीन से जीवन बदलने का उदाहरण दिया।
- बुधवार को कथा के दूसरे दिन राजा भर्तृहरि की बहन मैनावती द्वारा दी गई समझाइश के आधार पर शिवमहापुराण कथा का क्रम शुरू होगा।
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