30 किमी प्रतिघंटे की स्पीड से चली आंधी बारिश ने शहर में बरपाया कहर

मंगलनाथ क्षेत्र में चने के बराबर ओले गिरे, कई जगह पेड़ों की डालियां गिरीं, चद्दर उड़ीं, होर्डिंग्स धराशाई हुए

उज्जैन, अग्निपथ। प्री मानसून एक्टिविटी का असर रविवार को देखने में नजर आया। जिसने शहर में कहर बरपा दिया। 30 किमी प्रतिघंटे की स्पीड से चली आंधी और बारिश ने कई जगहों पर पेड़ों की डालियों को गिरा दिया। कई घरों की चद्दरें उड़ गईं। दुकानों के हार्डिंग्स गिरकर सडक़ पर आ गये। महाकाल लोक में मूर्तियां क्षतिग्रस्त हो गईं। इसके साथ ही बारिश के साथ ग्रामीण क्षेत्रों में ओले भी गिरे। हालांकि इससे तापमान में बड़ी कमी तो आई है।

रविवार को सुबह से ही बादलों में सूरज की लुकाछिपी चल रही थी। शाम 3.40 बजे के आसपास तेज आंधी चलना शुरू हुई। आंधी की गति 30 किमी प्रतिघंटा और चक्रवातिय होने के कारण इसका असर पेड़ों पर सबसे अधिक देखने को मिला। शहर के कई स्थानों पर पेड़ों की डालियां टूटकर गिर पड़ीं। नई सडक़, मालीपुरा सहित कई स्थानों पर लगे पेडों पर इसका असर देखने को मिला।

मंगलनाथ सहित अन्य ग्रामीण क्षेत्रों में चने के दाने बराबर ओले भी गिरने के समाचार हैं। जीवाजी राव वेधशाला अधीक्षक राजेन्द्र प्रकाश गुप्त ने बताया कि औसत रूप से 12 किमी प्रतिघंटे की रफ्तार से हवा चली है। हवा की गति औसत रूप से सुबह 8 बजे और शाम को 5 बजे ली जाती है। इसलिये हवा की गति का सही आंकलन नहीं हो पाया है। फिर भी हवा की गति 30 किमी प्रतिघंटा रही है।

6 डिग्री गिरा दिन का तापमान

रविवार की सुबह से ही सूरज आसमान में बादलों की ओट में लुकाछिपी करता नजर आ रहा था। यह सिलसिला लगातार शाम तक चलता रहा। इस दौरान आंधी और बारिश के कारण दिन का अधिकतम तापमान विगत दिवस की अपेक्षा 38.5 डिग्री से गिरकर 32.5 डिग्री पर पहुंच गया। यह अभी तक इस सीजन की दिन के पारे में 6 डिग्री सबसे बडस़ी गिरावट दर्ज की गई है। वहीं रात के न्यूनतम पारे में मामूली गिरावट आई है। पारा 27 से गिरकर 26.8 डिग्री पर पहुंच गया था।

वेधशाला नहीं बता पाया हवा की गति

वेधशाला का औचित्य मौसम की सटीक जानकारी देना होता है। लेकिन यहां पर भी लापरवाही बरती जा रही है। केवल एवरेज हवा की गति ही नापी जाती है। बताया जाता है कि सुबह 8 और शाम को 5 बजे हवा की गति ली जाती है। ऐसे में सवाल इस बात का उठता है कि तेज आंधी तूफान के समय इसकी गति का आंकलन क्यों नहीं किया जाता। ऐसे में हवा की गति का सही आंकलन नहीं हो पाना कहीं ना कहीं शहर को नुकसान के मुहाने पर ले जाने का काम है। यदि इस दौरान गति नाप ली जाय तो आगे आने वाले समय में लोग अतिरिक्त सतर्कता बरस पाएं।

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