सोशल मीडिया पर बुकिंग कर पीली पूजा की 2100, 3100 व 5100 की काट रहे रसीद
उज्जैन, अग्निपथ। इन दिनों धर्म नगरी उज्जैन के प्रसिद्ध मंदिरों के नाम पर लोगों से ठगी करने वाला गिरोह सक्रिय है, जो कि पहले लोगों को उनकी समस्त प्रकार की समस्या का हल यानी कि पूजन और उसका स्थान बताता है और उसके बाद पूजन को ऑनलाइन करने के नाम पर भोले भाले लोगों से 2100, 3100 और 5100 तक की ठगी कर देता है। भोले भाले श्रद्धालु कष्टों के निवारण के लिए इन लोगों की बातों में आकर बताई गई लिंक व अन्य साधनों से पेमेंट कर देते हैं, लेकिन उन्हें यह पता ही नहीं कि जिन मंदिरों में ऑनलाइन पूजा के नाम पर यह राशि ली जा रही है वहां ऑनलाइन पूजा होती ही नहीं है।
महंत ने कार्रवाई हेतु पुलिस व एसडीएम से की लिखित में शिकायत
श्री ऋणमुक्तेश्वर महादेव मंदिर के अधिकृत शासकीय पुजारी एवं महंत श्री महवीरनाथ महाराज ने कहते हुए बताया कि सोशल मीडिया पर इन दिनों इस तरह का फ्रॉड चल रहा है। जबकि उज्जैन में स्थित श्री ऋणमुक्तेश्वर महादेव मंदिर में किसी भी प्रकार की वेबसाइट व एप के जरिए कोई ऑनलाइन पूजन आदि नहीं करवाई जाती है। देशभर के श्रद्धालु स्वयं यहां आकर अपने हाथों से मंदिर में मौजूद अधिकृत पंडित से पूजन कराते हैं तथा दान की सामग्री भगवान के चरणों में अर्पित करते हैं।
महंत जी ने बताया कि ऋणमुक्तेश्वर महादेव का मंदिर नाथ सम्प्रदाय का होकर इसकी संपूर्ण व्यवस्थाएं भर्तृहरि गुफा के गादीपति पीर योगी महंत श्री रामनाथ जी महाराज के सानिध्य में धार्मिक परंपरा के आधार पर की जाती है। श्रद्धालुओं से अपील है कि वे ऐसे किसी भी फर्जी वेबसाइट व एप के जरिए ऑनलाइन पूजा के नाम पर बाहरी पंडितों को किसी प्रकार की दक्षिणा आदि न दें। मंदिर की ओर से महंत ने वेबसाइट व एप को बंद कराने तथा संबंधित फर्जी लोगों पर कार्रवाई के लिए संबंधित पुलिस व एसडीएम को लिखित शिकायत दर्ज कराई है।
मंदिर में पीली पूजा का है विशेष महत्व
ऋणमुक्तेश्वर महादेव मंदिर में पंडितों-पुरोहितों द्वारा शनिवार को एक विशेष पूजा कराई जाती है। इस पूजा को पीली पूजा के नाम से जाना जाता है। इस पूजा को करने से व्यक्ति जल्द ही सभी प्रकार के कर्ज से मुक्त हो जाता है। पीली पूजा में सिर्फ पीली ही सामग्री का इस्तेमाल होता है। जैसे पीले वस्त्र, चने की दाल, मसूर की दाल, हल्दी की गांठ, पीले फूल और गुड़ इन सभी वस्तुओं को अपनी मनोकामना के साथ बांधकर जलाधारी में अर्पित करना होता है।