शिक्षा में भारतीयकरण का प्रारंभ हो गया है -कड़ेल

शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास के स्थापना दिवस पर हुआ कार्यक्रम

उज्जैन, अग्निपथ। शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास के स्थापना दिवस पर मध्यप्रदेश हिंदी ग्रंथ अकादमी के निदेशक अशोक कडेल ने कहा कि स्वतंत्रता के पश्चात इतिहास, संस्कृति, धर्म और अध्यात्म के साथ अनर्गल, अमर्यादित बातों का उल्लेख पाठ्यक्रम में किया जाने लगा था। इन बातों के विरोध में शिक्षा बचाओ आंदोलन खड़ा हुआ 2 जुलाई 2004 से आरंभ हुए इस आंदोलन ने 2007 में शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास को जन्म दिया। न्यास ने शिक्षा में आमूलचूल परिवर्तन के लिए कृत संकल्पित होकर महत्वपूर्ण योगदान दिया। परिणाम स्वरूप राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 का निर्माण हुआ है। अब न्यास उसके क्रियान्वयन पर पूरे देश में काम कर रहा है।

यह जानकारी देते हुए न्यास के प्रचार प्रसार प्रभारी डॉ.जफर महमूद ने बताया कि स्थापना दिवस कार्यक्रम का आयोजन शासकीय शिक्षा महाविद्यालय परिसर में हुआ। न्यास के राष्ट्रीय सचिव अतुल कोठारी ने अपने संदेश में कहा कि चरित्र निर्माण और व्यक्तित्व का समग्र विकास, मूल्य आधारित शिक्षा न्यास के विषयों के मूल आधार हैं।

न्यास वैदिक गणित, पर्यावरण शिक्षा, शिक्षक शिक्षा, प्रबंधन शिक्षा, इतिहास में भारतीय दृष्टि, तकनीकी शिक्षा और प्रतियोगी परीक्षा के साथ भारतीय भाषा मंच और भारतीय भाषा अभियान के अंतर्गत मातृभाषा के लिए कार्यकर्ता संपूर्ण राष्ट्र में कार्य कर रहे हैं।

कार्यक्रम का संचालन प्रांत संयोजक डॉ. राकेश ढांड ने किया। कार्यक्रम में डॉ. प्रेमलता चुटेल, डॉ. एस.एन.शर्मा, डॉ. अर्पण भारद्वाज, डॉ. वी.के. गुप्ता, डॉ एस.के. मिश्रा, डॉ. राजीव पंड्या, डॉ.डी.डी. बेदिया, डॉ. नीरज सारवान, डॉ. प्रदीप लाखरे, डॉ. आलोक गोयल, डॉ .आशीष रावल, डॉ. अजय शर्मा, डॉ. सुनीता श्रीवास्तव, डॉ. हिम्मत सिंह ठाकुर, डॉ. रेनू लाखरे, विजय निगम, डॉ. कजोड़मल मिमरोट, महेंद्र उपाध्याय, दीपक उपाध्याय, अविनाश राठौर, डॉ. शैलेंद्र वर्मा, रवि भिलाला, रतनदीप मिश्रा सहित कार्यकर्ता उपस्थित थे।

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