चंद्रयान-3 पृथ्वी की कक्षा में पहुंचा

श्रीहरिकोटा। इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गेनाइजेशन यानी इसरो ने आज शुक्रवार (14 जुलाई) को चंद्रयान-3 मिशन सक्सेसफुली लॉन्च किया। दोपहर 2 बजकर 35 मिनट पर सतीश धवन स्पेस सेंटर से एलवीएम3-एम4 रॉकेट के जरिए चंद्रयान को स्पेस में भेजा गया है।
16 मिनट बाद रॉकेट ने इसे पृथ्वी की ऑर्बिट में प्लेस किया।

इसरो चीफ एस सोमनाथ ने इस सक्सेसफुल लॉन्च के बाद कहा कि चंद्रयान 3 ने चंद्रमा की ओर अपनी यात्रा शुरू कर दी है। 23 अगस्त को शाम 5.47 बजे चंद्रयान 3 की सॉफ्ट लैंडिंग प्लान की गई है। चंद्रयान-3 स्पेसक्राफ्ट में लैंडर, रोवर और प्रोपल्शन मॉड्यूल हैं। लैंडर और रोवर चांद के साउथ पोल पर उतरेंगे और 14 दिन तक वहां एक्सपेरिमेंट करेंगे। प्रोपल्शन मॉड्यूल चंद्रमा के ऑर्बिट में रहकर धरती से आने वाले रेडिएशन्स की स्टडी करेगा। मिशन के जरिए इसरो पता लगाएगा कि लूनर सरफेस कितनी सिस्मिक है, सॉइल और डस्ट की स्टडी की जाएगी।

भारत ऐसा करने वाला चौथा देश बन जाएगा

अगर मिशन सक्सेसफुल रहा तो अमेरिका, रूस और चीन के बाद भारत ऐसा करने वाला चौथा देश बन जाएगा। अमेरिका और रूस दोनों के चंद्रमा पर सक्सेसफुली उतरने से पहले कई स्पेस क्राफ्ट क्रैश हुए थे। चीन 2013 में चांगई-3 मिशन के साथ अपने पहले प्रयास में सफल होने वाला एकमात्र देश है। चंद्रयान-3 का बजट लगभग 615 करोड़ रुपए है। इससे 4 साल पहले भेजे गए चंद्रयान 2 की लागत भी 603 करोड़ रुपए थी। हालांकि, इसकी लॉन्चिंग पर भी 375 करोड़ रुपए खर्च हुए थे।

भारत की अंतरिक्ष यात्रा में एक नया अध्याय

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चंद्रयान-3 की सक्सेसफुल लॉन्चिंग के बाद इसे भारत की अंतरिक्ष यात्रा में एक नया अध्याय बताया। उन्होंने ये भी कहा कि यह महत्वपूर्ण उपलब्धि हमारे वैज्ञानिकों के अथक समर्पण का प्रमाण है। मैं उनकी भावना और प्रतिभा को सलाम करता हूं!

चंद्रयान की सफलता के लिए उज्जैन में पूजन

चंद्रयान-3 की सफलता के लिए उज्जैन में भोलेनाथ को पूजा जा रहा है। इसरो प्रमुख डॉ. एस. सोमनाथ पिछले महीने जब उज्जैन आये थे तब उन्होंने भगवान श्री महाकालेश्वर सहित अन्य शिव मंदिरों में अभियान की सफलता के लिए कामना भी की थी।

उज्जैन में विराजित भगवान महाकालेश्वर 12 ज्योतिर्लिंग में से एक हैं। श्री महाकालेश्वर को तीनों लोको के स्वामी का दर्जा प्राप्त है। उन्हें पाताल, धरती और आकाश में सर्वप्रथम और सर्व पूज्य कहा जाता है। चंद्रदेव भी उनके मस्तक पर विराजित हैं। भोोलेनाथ ने ही चंद्रदेव को रोगों से मुक्त िदिलाई थी। उन्हें चंद्रमौलिश्वर के रूप में भी पूजा जाता है। यही कारण है कि 24 मई को इसरो प्रमुख ने उज्जैन आकर भगवान महाकालेेश्वर से चंद्रयान 3 की सफलता के लिए कामना की थी।

इसी तरह श्री कुण्डेश्वर महादेव जो कि भगवान शिव के उज्जैन में विराजित पौराणिक स्थल 84 महादेव में 40वें स्थान में पूजे जाते हैं। मान्यता है कि कुण्डेश्वर महादेव का पूजन कार्य सिद्धि के लिये किया जाता है। उज्जैन के सांदीपनि आश्रम में स्थित कुंडेश्वर महादेव मंदिर 84 महादेव में एक हैं। यहां पर शुक्रवार को चंद्रयान 3 की सफलता पूर्वक लैंडिंग के लिए पूजन अभिषेक किया गया। पूजन के बाद चंद्रयान का मॉडल भी भोलेनाथ के नजदीक रखा गया था।

इसरो प्रमुख भी आये थे पूजन करने

मंदिर के पुजारी पंडित शैलेष व्यास ने बताया कि मई में इसरो प्रमुख जब उज्जैन आए थे तब भी वे यहां आये थे और उन्होंने कुण्डेश्वर मंदिर में पूजन कर चंद्रयान की सफलता के लिए कामना की थी। चंद्रयान लैडिंग की उलटी गिनती शुरू होने के बाद मंदिर में अभिषेक पूजन कर विक्रम लैंडर की सफलता के लिए प्रार्थना की गई।

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