पचास साल बाद भी मंडी की दुर्दशा
उज्जैन (राजेश रावत)। मप्र प्रदेश कृषि विपण बोर्ड के गठन को पचास साल हो गए हैं। परन्तु उज्जैन मंडी में आज भी पचास साल पुरानी व्यवस्था बनी हुई है। किसान परेशान हैं और व्यापारियों की समस्या को कोई सुनने वाला नहीं है। करोड़ों रुपए खर्च करके बनाया गया शेड अब तबेला बन गया है। यहां गायों को बांधा जा रहा है। मंडी के अफसर आंख बंद करके बैठे हुए हैं।
उज्जैन के आलू, प्याज, लहसुन मंडी के प्रांगण में उज्जैन मंडी ने सात करोड़ रुपए खर्च करके एक नया शेड बनाया है ताकि सब्जी और आलू,प्याज, लहसुन मंडी में किसानों को स्थान उपलब्ध कराया जा सके। परन्तु आज हालात यह हैं कि उक्त शेड में किसानों की उपज के स्थान पर गाय बांधी जा रही है। उसे देखने की फुर्सत उज्जैन कृषि उपज मंडी के अफसरों को नहीं है।
इसके अलावा इस मंडी में चारों तरफ गंदगी फैली हुई है। बाहर से आने वाले किसान कीचड़ के बीच मंडी में अपनी उपज बेचने को मजबूर हैं। चारों तरफ मंडी में किसान कीचड़ से भरे रास्ते से होकर निकलते हैं और उपज बेचकर मंडी के अफसरों को कोसते हुए जाते हैं। इसके अलावा चार दिन पहले बारिश में इस मंडी में पानी ही पानी भर गया था। नाले के पानी की निकासी की समस्या वर्षों बाद भी हल नहीं हो पाई है।
अध्यक्ष की दुकान में तखत पर आलू, प्याज
मंडी के अफसरों की लापरवाही का उदाहरण देखना है तो आप आलू, प्याज मंडी के अध्यक्ष ओपी हारोड की दुकान पर पहुंच सकते हैं। यहां दुकान में रखे तखत पर आलू,प्याज को नाले के गंदे पानी से बचाने के लिए रखी गई है। हारोड के पुत्र सुशील का कहना है कि हम लगातार शिकायत कर रहे हैं। परन्तु कोई सुनवाई नहीं हो रही। अफसर ध्यान ही नहीं दे रहे हैं। दुकान में दो -दो फिट पानी भर जाता है।
आज से उज्जैन मंडी में स्वर्ण जंयती समारोह का आयोजन
उज्जैन मंडी बोर्ड में आज से मप्र प्रदेश कृषि विपण बोर्ड के गठन को पचास साल होने के उपलक्ष्य में स्वर्ण जंयती समारोह का आयोजन 2 अगस्त से किया जा रहा है। उक्त जानकारी देते हुए उज्जैन कृषि उपज मंडी समिति के सचिव उमेश शर्मा बसेडिय़ा ने बताया कि बुधवार सुबह 11.30 बजे मंडी बोर्ड कार्यालय में पौधरोपण का आयोजन किया जाएगा। 3 अगस्त को 50 साल से मंडी में व्यापार करने और मंडी को सबसे ज्यादा राजस्व देने वाली मंडी बनाने वाले व्यापारी, कर्मचारी, हम्माल, तुलावटियों का सम्मान प्रशस्ति पत्र देकर किया जाएगा। इस दौरान स्वास्थ्य जांच शिविर भी लगाया जाएगा। 4 अगस्त को भोपाल में आयोजित कार्यक्रम में उज्जैन के कर्मचारी और अधिकारी शामिल होंगे।
मंडी में पांच हजार बोरियों की आवक
उज्जैन मंडी में मंगलवार को पांच हजार बोरियों की आवक हुई। इसमें लोकवान गेहंू की 1965 बोरियां 1676 के न्यूनतम दाम और 2902 के अधिकतम दाम पर बिकी। पूर्णा 2417 के न्यूनतम और 2811 के अधिकतम दाम पर बिका। वहीं पोषक गेहूं 2299 के न्यूनतम और 2510 के अधिकतम दाम पर बिका। चना काबली 10 हजार 250 के न्यूनतम और 12990 के अधिकतम दाम पर बिका। चना शंकर 4595 के न्यूनतम और 5375 के अधिकतम दाम पर बिका। सोयाबीन की 2114 बोरियां 2991 के न्यूनतम और 5091 के अधिकतम दाम पर बिकी।
बारिश में आलू,प्याज,लहसुन मंडी नदी बन जाती है। दुकानों में दो -दो फिट पानी भर जाता है। कुछ दिनों पहले मंडी सचिव उमेश शर्मा बसेडिया को मंडी का दौरा कराया था। उन्होंने आश्वासन दिया था कि गंदगी और पानी की समस्या का निराकरण कराया जाएगा। परन्तु आज तक कुछ नहीं हुआ। जब कलेक्टर मनीष सिंह थे, तब उन्हें भी मंडी का दौरान कराया था। उन्होंने भी आश्वासन दिया था। परन्तु कोई निराकरण नहीं हुआ। पूर्व अध्यक्ष बहादुर सिंह बोरमुंडला के कार्यकाल में भी समस्या निकारण की बात की थी। उन्होंने आश्वासन दिया था। परन्तु आज तक समस्या का निराकरण नहीं हुआ है।
-ओपी हारोड़, उज्जैन आलू,प्याज, लहसुन व्यापारी संघ अध्यक्ष