उज्जैन, अग्निपथ। हमें अधिक से अधिक प्रकृति के संपर्क तथा सानिध्य में रहना होगा। अभी पिछले दिनों कोरोना जैसी भयंकर बीमारी से बचने का सबसे अधिक सरल उपाय भी यही था और जो लोग प्रकृति के अधिक नजदीक रहे और जिन्होंने प्राकृतिक जीवन जिया वे कोविड की बीमारी का सामना करने में सफल रहे। उन्होंने कई प्रकार की एलोपैथिक दवाइयां से होने वाले दुष्प्रभावों का जिक्र करते हुए अधिक से अधिक प्रकृति के नजदीक रहने की बात की।
यह बात अभा प्राकृतिक चिकित्सा परिषद के राष्ट्रीय अधिवेशन में विक्रम विवि के कुलपति डॉ. अखिलेश कुमार पांडे ने कही। अधिवेशन शुक्रवार को विक्रम विश्वविद्यालय के स्वर्ण जयंती सभागार में प्रारंभ हुआ। उद्घाटन सत्र की अध्यक्षता अभा प्राकृतिक चिकित्सा परिषद के उपाध्यक्ष डॉ. विमल कुमार मोदी ने की। उद्घाटन सत्र में मुख्य अतिथि नागेंद्र नाथ दीक्षित और विशिष्ट अतिथि विधायक पारस जैन रहे।
सम्मेलन में कुसुम शा ने अपने उद्बोधन में कहा कि प्राकृतिक चिकित्सा आज समाज की आवश्यकता है इसका प्रचार प्रसार करने के लिए जो भी संभव हो हमें वह करना चाहिए। शीतल अवनीश गुप्ता ने कहा कि प्राकृतिक चिकित्सा को जन-जन तक पहुंचाने की आवश्यकता है। विक्रम विवि के प्रो. शैलेेंद्र कुमार शर्मा ने कहा कि प्राकृतिक रूप में उपलब्ध जड़ी बूटियों और वनस्पतियों के महत्व पर प्रकाश डाला।
रोटरी क्लब के अध्यक्ष मुकेश जौहरी ने प्राकृतिक चिकित्सा के अभियान को घर-घर तक पहुंचाने में रोटरी क्लब के योगदान का वादा किया। अभा प्रकृतिक चिकित्सा परिषद के महामंत्री डॉ अवधेश कुमार मिश्रा ने उज्जैन में प्राकृतिक चिकित्सा साधना केंद्र की स्थापना में हरसंभव सहयोग का कहा। मुख्य अतिथि वरिष्ठ नागरिक नागेंद्र नाथ दीक्षित ने अपने जीवन में किए गए प्राकृतिक चिकित्सा के प्रयोगों को प्रतिभागियों के साथ साझा किया। अध्यक्षीय संबोधन में डॉ विमल कुमार मोदी ने प्राकृतिक चिकित्सा को शरीर से गंदगी बाहर निकलने का और स्वास्थ्य प्रदान करने का एकमात्र तरीका बताया।
आज स्वास्थ्य संदेश यात्रा
प्राकृतिक चिकित्सा सम्मेलन के दूसरे दिन आज 23 सितंबर को सुबह 5 बजे स्वास्थ्य संदेश यात्रा निकाली जाएगी। उसके बाद चार वैज्ञानिक सत्र रखे गए हैं जिनमें देश के अलग-अलग प्रदेशों से आए प्राकृतिक चिकित्सा के विशेषज्ञ प्राकृतिक चिकित्सा से जुड़े अलग-अलग विषय पर अपने विचार साझा करेंगे।