इंदौर में पीडि़ता के डॉक्टरों से मिले कमलनाथ, बोले- बच्ची का स्वास्थ्य अब ठीक, लेकिन मानसिक हालत चिंताजनक
इंदौर, अग्निपथ। उज्जैन रेप की 12 वर्षीय पीडि़ता ऑपरेशन के बाद फिजिकली ठीक महसूस कर रही है लेकिन मेंटली तौर पर अभी डिस्टर्ब है। उसे अस्पताल में एडमिट हुए तीन दिन हो गए हैं, लेकिन वह अपने साथ हुई दरिंदगी को भूल नहीं पा रही है। उसके दिलों दिमाग में वहीं दरिंदगी का मंजर कौंध रहा है। वह अभी असहनीय दर्द के कारण छटपटा रही है। मानसिक रूप से वह बहुत चिड़चिड़ी हो गई और अनजान पुरुष स्टाफ को देखते ही चिल्लाने लगती है।
उसकी ऐसी स्थिति को देखते हुए उसके पास अस्पताल और पुलिस के महिला स्टाफ को ही जाने दिया जा रहा है। इधर, शनिवार सुबह पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने इंदौर के अस्पताल जाकर बच्ची का इलाज कर रहे डॉक्टरों से मुलाकात की। इसके बाद जानकारी दी कि बच्ची अब ठीक है। उसे दिल्ली शिफ्ट करने के लिए डॉक्टर से पूछा था लेकिन मुझे बताया है कि वह ठीक है, दिल्ली ले जाने की आवश्यकता नहीं है।
यह दर्द उज्जैन की 12 वर्षीय मासूम रेप पीडि़ता का है जो इंदौर के एमटीएच अस्पताल में एडमिट है। यूं तो अस्पताल में इसके पूर्व भी ऐसे कुछ मामले आ चुके हैं लेकिन इस मासूम के साथ हुई दरिंदगी को सुनकर ही लोगों के साथ अस्पताल स्टाफ की भी रुह कांप जाती है।
पुलिस और अस्पताल स्टाफ के अनुसार यहां लाते ही बच्ची का तुरंत इलाज शुरू किया गया।
इस दौरान उसके पास कोई भी पुरुष स्टाफ जाता या वहां से गुजरता तो वह चिल्लाने लगी। उसे अस्पताल की महिला स्टाफ ने नियंत्रित करने की कोशिश की तो भी उसका रवैया ऐसा ही था। इस दौरान उसके साथ आई महिला तहसीलदार व दो महिला पुलिसकर्मियों ने स्टाफ को वहां से जाने के लिए कहा और उसे संभाला।
बच्ची का इलाज कर रहे डॉक्टरों से मिले कमलनाथ
पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ शनिवार सुबह बच्ची से मिलने एमटीएच पहुंचे। उन्होंने बच्ची का इलाज कर रहे डॉक्टरों से जानकारी ली। कमलनाथ ने कहा, जैसा कि डॉक्टरों ने बताया बच्ची फिजिकली अभी ठीक है। ऑपरेशन के बाद रिकवरी हो रही है, लेकिन मनोस्थिति ठीक नहीं है। वह डिप्रेशन में है। इसके लिए साइकेट्रिस्ट की व्यवस्था कर रहे हैं। यह बड़ी दुखद घटना है।
इस तरह की घटनाएं प्रदेश के नाम को कलंकित करती हैं। ऐसी घटनाएं पूरे प्रदेश में रोज हो रही हैं जो सामने नहीं आती। मप्र महिला अपराध में देश में नंबर वन पर है। आदिवासी अत्याचार, भ्रष्टाचार में भी मप्र देश में नंबर वन है। आज प्रदेश को चौपट, भ्रष्ट व घोटाला प्रदेश बना दिया गया है। मैंने डॉक्टरों से बच्ची का इलाज दिल्ली कराने की बात है, लेकिन डॉक्टरों ने कहा कि अभी इसकी जरूरत नहीं है।
मानसिक स्थिति देखकर स्टाफ भी खा गया धोखा
मासूम का गुस्सा और चिड़चिड़ाहट काफी देर तक खत्म नहीं हुई। उसे दवाइयां देने या इंजेक्शन लगाने डॉक्टर या नर्स पास में आती तो वह और उत्तेजित हो जाती। उसकी हालत देखकर स्टाफ भी हैरान रह गया। वे इस संशय में थे कि वह मानसिक रूप से ही बीमार है या उसके साथ हुए हादसे के बाद ऐसी स्थिति हुई है। इसका कारण था कि इसके पूर्व उज्जैन पुलिस ने उसे भिखारी, मानसिक रूप से कमजोर आदि बताया था। इसके चलते अस्पताल स्टाफ भी फिर यही मानने लगा कि वह मानसिक रूप से बीमार है। इस बीच वरिष्ठ अधिकारियों के निर्देश पर आईसीयू में पुरुष मेडिकल स्टाफ के जाने पर सख्ती से प्रतिबंध किया गया।
दरिंदगी से सदमे में मासूम
मासूम के गुप्तांग में गहरा जख्म हैं। उसके साथ दरिंदगी ऐसी हुई कि बड़ा हिस्सा फट गया है और काफी ब्लीडिंग हुई है। उसे कई टांके आए हैं। बच्ची की सर्जरी होकर 72 घंटे हो चुके हैं। सर्जरी में जो टांके आए हैं उनके खुलने में ही एक माह का समय लगेगा। डॉक्टर की एक पैनल ने उसकी सर्जरी की जिसमें गायनिक, पीडियाट्रिक व एनिस्थिशिया एक्सपर्ट शामिल थे। बच्ची अभी सदमे में है।
वह नहाने या स्पंज के लिए भी किसी को हाथ नहीं लगाने देती। उसका बिहेवियर इरिटेबल हो गया है। उसे किसी भी प्रकार की दवाई देने, नारियल का पानी देने इस तरह की सॉफ्ट डाइट लेने आदि के लिए काफी समझाना पड़ रहा है। इसके चलते डॉक्टरों ने उसके लिए महिला काउंसलर की व्यवस्था की है। बच्ची ने ड्रेस मांगी तो अस्पताल प्रशासन ने उसे नए कपड़े खरीदकर पहनाए। अस्पताल में सख्त पहरा है। इंदौर पुलिस के अलावा उज्जैन व सतना पुलिस भी तैनात है।
बच्ची के पिता बोले- मानसिक रूप से कभी बीमार नहीं थी, अब हुई
उधर, सूत्रों के मुताबिक बच्ची के पिता व मामा कल से ही उसके पास है। दरअसल, बच्ची उन्हीं की भाषा ज्यादा अच्छे से समझती है। इसलिए उन्हें वहीं रोका गया है। महिला स्टाफ ने उनसे बात की तो पिता ने बताया कि बच्ची इसके पहले कभी भी मानसिक रूप से बीमार नहीं रही। वह पूरी तरह स्वस्थ्य थी और स्कूल भी जाती थी