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अर्जुन सिंह चंदेल
मध्यप्रदेश के नये मुखिया मोहन यादव जी ने शाजापुर जिलाधीश किशोर कन्याल द्वारा ट्रक चालकों और प्रशासन के बीच हुयी बैठक में चालकों को अपशब्द कहने की बात संज्ञान में आने के बाद संवेदनशीलता का परिचय देते हुए कन्याल को पद से हटाकर सचिवालय में पदस्थ कर नये जिलाधीश की नियुक्ति कर दी।
हाँलाकि सेवाकाल दौरान अधिकारियों का तबादला, मैदानी पदस्थापना, लूप लाईन में आना जाना सामान्य बात है किंतु शाजापुर जिलाधीश का तबादला सामान्य नहीं कहा जा सकता है। सुधि पाठकों को याद ही होगा कि कुछ दिनों पूर्व गुना में हुए सडक़ हादसे में तेरह लोगों की मौत के मामले को भी मुख्यमंत्री जी ने गंभीरता से लेते हुए गुना के जिलाधीश, परिवहन अधिकारी, मुख्य नगरपालिका अधिकारी को तत्काल स्थानांतरित करते हुए सजगता, सहिष्णुता, संवेदनशील होने का परिचय दिया था।
प्रशासनिक अधिकारियों पर त्वरित कार्यवाही करके मध्यप्रदेश के मुखिया ने आई.ए.एस. और आई.पी.एस. लॉबी को यह स्पष्ट संदेश भी दे दिया है कि आगामी दिनों में मध्यप्रदेश सरकार की दिशा क्या होगी। इस संदेश के माध्यम से यह भी समझाईस दी गयी है कि जनता के गाढ़े खून पसीने की कमाई से ही अधिकारियों को वेतन प्राप्त होता है। सरकारी कर्मचारी-अधिकारी जनता के सेवक हैं और उन्हें अपनी हद में रहकर ही सामान्य जन के प्रति जवाबदेह रहना होगा और अपने कत्र्तव्यों का पालन करना होगा।
बीते दिनों हुयी प्रशासनिक सर्जरी ने यह भी बता दिया है कि बीते 18 वर्षों के ‘शिवराज’में मुख्यमंत्री निवास की मूँछ के बाल बने अधिकारी-कर्मचारी होश में आ जाये और यह मान ले कि अब ‘शिवराज’ नहीं ‘मोहनराज’ है। त्रेतायुग और द्वापर युग की कार्यशैली के अंतर का ज्ञान रखने वाले अधिकारी ही ‘मोहन’ के साथ कदम-ताल कर पायेंगे अन्यथा वह मलाईदार पदों पर रह नहीं पायेंगे।
गुना और शाजापुर में शासन द्वारा की गयी त्वरित कार्यवाही से पीडि़त पक्ष जरूर मुख्यमंत्री को दुआए दे रहा होगा और प्रदेश की आठ करोड़ जनता के दिनों दिमाग में फिल्म ‘नायक’ के अभिनेता अनिल कपूर की जगह ‘मोहन’ यादव जी कुछ हद तक दिखायी दे रहे होंगे। आने वाला समय बतायेगा कि क्या सचमुच प्रदेश को अनिल कपूर की तरह मोहन यादव जी मिल गये हैं।
बीते लंबे 18 वर्षों के दौरान देश के ह्दय स्थल मध्यप्रदेश में राज करने वाले पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह जी चौहान के जादुई, तिलस्मी, व्यक्तित्व को तोडऩा भी मोहन यादव जी के राजनैतिक जीवन की सबसे बड़ी चुनौती होगा, और मुख्यमंत्री जी इस तिलस्म को तोडऩे में कामयाब हो गये तो वह 8 करोड़ प्रदेशवासियों के दिलो दिमाग में अपना स्थान बना पायेंगे। उम्मीद की जानी चाहिये जिस कार्यप्रणाली से मुख्यमंत्री कार्य कर रहे हैं वह हम सबकी उम्मीदों पर खरे उतरेंगे और भविष्य में सुशासन लाने के लिये ऐसे ही कुछ संवेदनशील और त्वरित निर्णयों से हम सब रूबरू होंगे।
जय मध्यप्रदेश