उज्जैनी विद्वत परिषद की बैठक में सर्वसम्मति से लिया गया निर्णय-उज्जैन को प्राइम मेरिडियन घोषित किया जाएगा
उज्जैन, अग्निपथ। उज्जयिनी विद्वत परिषद ने निर्णय लिया है कि शासन से मांग की जाएगी कि उज्जैन को प्राइम मेरिडियन घोषित किया जाए। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव को परिषद् का संरक्षक मनोनीत किया जाएगा तथा विक्रम एवं विक्रम संवत के वैश्विक फलक पर स्थापित करने के प्रयत्नों के लिए डॉ. मोहन यादव को नव विक्रम की उपाधि से अलंकृत किया जाए।
विक्रमादित्य की जीवित परंपरा गाथा सप्तशती सहित अन्य प्राचीन ग्रंथों में मिलती है, साथ ही वर्तमान में पुरातत्वविदों ने विक्रम कालीन सील मुद्रा तथा अन्य अभिलेख प्राप्त किए हैं जो विक्रम के गौरव का प्रमाण है, इस हेतु उज्जयिनी विद्वत् परिषद् का विशिष्ट अधिवेशन आयोजित होगा, जिसमें नरेंद्र मोदी के प्रति धन्यवाद ज्ञापित किया जाएगा। यह फैसला उज्जैन में बुधवार को संपन्न उज्जयिनी विद्वत परिषद की बैठक में सर्वस मति से लिया गया।
बैठक में उज्जयिनी विद्वत् परिषद् के अध्यक्ष प्रसिद्ध ज्योतिर्विद एवं पूर्व संभाग आयुक्त डॉ मोहन गुप्त, पाणिनि संस्कृत एवं वैदिक विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर सीजी विजय कुमार, विक्रम विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रोफेसर बालकृष्ण शर्मा, डॉक्टर केदारनाथ शुक्ल, डॉक्टर करुणा त्रिवेदी पंडित वासुदेव पुरोहित, पंडित नारायण उपाध्याय, डॉ रमण सोलंकी, डॉक्टर शुभम् शर्मा, डॉक्टर सदानंद त्रिपाठी, डॉक्टर संतोष पण्ड्या, वरिष्ठ अभिभाषक जियालाल शर्मा उपस्थित थे। बैठक में उज्जैन के वरिष्ठ संस्कृत विद्वान् डॉक्टर भगवतीलाल राजपुरोहित एवं वरिष्ठ संगीत साधक पंडित ओम् प्रकाश शर्मा को भारत शासन द्वारा पद्मजैसे राष्ट्रीय स मान से स मानित किए जाने की घोषणा होने पर शाल, श्रीफल, मौक्तिक माला, पुष्पमाला से सम्मान परिषद् के सदस्यों ने किया ।
बैठक में परिषद के अध्यक्ष डॉ. मोहन गुप्त ने कहा कि विश्व में काल की गणना उज्जैन के अनुसार होती है। अभी भी विश्व में ग्रह नक्षत्रों का परिगणन उज्जैन टाइम से ही होता है । उज्जैन से ही कर्क रेखा का निकलती है अत: यह विश्व की काल गणना का प्रामाणिक केंद्र है और एशिया के गौरव की बात है । जिस ग्रीनविच की चर्चा काल गणना के क्षेत्र में हो रही है वह एक छोटा सा स्थान है।
इस प्रकार उज्जैन के पास डोंगला भी उसी प्रकार का छोटा सा स्थान है जो भविष्य में काल गणना का प्रमुख केंद्र स्थापित हो सकेगा । प्रत्येक शासक अपने शासनकाल में अपना प्रतीक जोड़ देते हैं । डॉक्टर गुप्त ने कहा कि सभी विद्वान प्रतिभा संपन्न होते हैं। जिसकी जिसमें श्रद्धा होती है वह उस दिशा में अपनी प्रतिभा विकसित करता है । आज भारत अपनी पहचान स्थापित कर रहा है।
भारतीय संस्कृति और भारत के पुनरुत्थान का अवसर है। शताब्दियों पूर्व गणतंत्र में भी व्यवस्था हो गई थी तब तत्कालीन शासको ने उसमें आवश्यक सुधार किए थे । इस परंपरा का निर्वाह यदि आज भी होता है तो कोई दोष नहीं। भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव से संस्कृति के संरक्षण के प्रति बहुत अपेक्षा है । इन जन नायकों के नेतृत्व में भारतीय संस्कृति का गौरव वृद्धि को प्राप्त करेगा।