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अर्जुन सिंह चंदेल
बीते सप्ताह फरवरी 2024 के समाचार पत्रों के प्रथम पेज पर सिर्फ एक ही तरह का समाचार प्रतिदिन देखा गया, महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश में काँग्रेस छोडक़र भाजपा में जाने वालों की खबर। अखबारनवीसों की खबरों पर यदि यकीन कर लिया जाए तो ऐसा लगता है कि 28 दिसंबर 1885 को जन्म लेने वाली काँग्रेस पार्टी का 139 वर्षों बाद राजनैतिक जहाज डूबने की शुरुआत हो चुकी है।
वैसे भी एक अँग्रेज सर ए.ओ.ह्यूम द्वारा स्थापित यह पार्टी अपने जन्म के 34 वर्षों बाद तक तो कुलीन वर्ग की पार्टी ही मानी जाती थी, वह तो सन् 1919 में पंजाब के जलियावालाबांग में हुए नरसंहार के बाद गाँधी जी के काँग्रेस महासचिव बनने से काँग्रेस पार्टी को जनसमुदाय की पार्टी के रूप में मान्यता मिली।
अतीत में देखने से इस सत्य से इंकार नहीं किया जा सकता है कि भारत माता के सपूतों को तराशने का काम काँग्रेस पार्टी ने ही किया है। भारत माता की गोद में जन्मे बाल गंगाधर तिलक, लाला लाजपत राय, विपिन चंद पाल, गोपाल कृष्ण गोखले, फिरोजशाह मेहता, दादा भाई नरौजी, सरदार वल्लभ भाई पटेल, पंडित जवाहरलाल नेहरू, डॉ. राजेन्द्र प्रसाद, महादेव देसाई, सुभाषचंद्र बोस (नेताजी), लालबहादुर शास्त्री, श्रीमती इंदिरा गांधी, डॉ. भीमराव अंबेडकर जैसे व्यक्तियों की प्रतिभा को निखारने के लिये कर्मस्थल उपलब्ध करवाया और उन्हें महान बनाकर भारत माता की सेवा करने योग्य बनाया पर शायद यह सब बीते युग की बातें हो गयी है।
वर्ष 2023 के 5 राज्यों में हुए विधानसभा चुनावों के परिणामों ने काँग्रेस की मिट्टी पलीत करके रख दी है। मध्यप्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़ से काँग्रेस के हाथ से सत्ता चली गयी और भारतीय जनता पार्टी ने कुशल नेतृत्व और राजनैतिक सूझबूझ के कारण तीनों राज्यों के सत्ता सिंहासन पर काबिज होने में सफलता अर्जित कर ली। सिर्फ कर्नाटक में काँग्रेस की सत्ता में वापसी से आँक्सीजन मिल पायी।
वैसे राजनीति में हार-जीत तो चलती रहती है परंतु विधानसभा चुनाव परिणाम बाद तो काँग्रेस पार्टी को जैसे लकवा मारने जैसी स्थिति हो गयी है। विशेषकर मध्यप्रदेश में काँग्रेस छोडक़र भारतीय जनता पार्टी में जाने के लिये तो लाईन ही लग गयी है। बी
दिनों से चाहे जबलपुर, उज्जैन हो या इंदौर रोजाना काँग्रेस को अलविदा कहने वाले नेताओं के नाम आ रहे हैं जिसमें पूर्व विधायक से लेकर काँग्रेस के छुटभैये नेता शामिल है।
ताजा घटनाक्रम में महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री काँग्रेस के कद्दावर नेता अशोक चव्हाण ने विधायक पद से त्यागपत देकर भाजपा की सदस्यता ग्रहण कर सबको चौंका दिया है। चव्हाण के पूर्व महाराष्ट्र के पूर्व मंत्री बाबा सिद्धिकी और मिलिंद देवड़ा भी काँग्रेस को बाय-बाय कर चुके हैं।
काँग्रेस के सेनापति और कई जाने-माने सिपहसालार जिनमें ज्योतिरादित्य सिंधिया, सुष्मिता देवी, प्रियंका चतुर्वेदी, जितिन प्रसाद, अशोक तंवर, आर.पी.एन. सिंह, हार्दिक पटेल, अल्पेश डाकोर, हेमन्त विश्वकर्मा, सुनील जाखड़, अश्विनी कुमार, कपित सिब्बल, गुलाम नबी आजाद जैसे कद्दावर नेता जिन्होंने काँग्रेस को लोकप्रियता के शिखर पर पहुँचाने में अपना सर्वश्रेष्ठ लगा दिया था यह सभी नाम अब काँग्रेस पार्टी के पास नहीं है।
2024 के होने वाले लोकसभा आम चुनावों के लिये रणभेरी बज चुकी है भारतीय जनता पार्टी की ओर से अपराजेय यौद्धा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी सामने है दूसरी ओर विपक्षी दलों ने एकमत होकर ‘इंडिया’ बनाने की शुरुआत की थी परंतु बंगाल में ममता बनर्जी, दिल्ली में अरविंद केजरीवाल और बिहार के नीतिश कुमार ने इस ‘इंडिया’ के जन्म लेने के पहले ही गर्भपात करवाकर काँग्रेस को गहरे संकट में डाल दिया है।
वर्तमान हालातों के मद्देनजर लोकसभा चुनावों में भाजपा की सत्ता में पुन: वापसी और मोदी जी का प्रधानमंत्री बनना लगभग तय है यदि मध्यप्रदेश की बात करें तो यहाँ की 29 लोकसभा सीटों में से काँग्रेस का खाता भी खुलता नहीं दिख रहा है।