संसद में प्रधानमंत्री बोले- कोरोना काल में भारत ने खुद को संभाला, दुनिया को संभलने में मदद की


नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी राष्ट्रपति के अभिभाषण के धन्यवाद प्रस्ताव पर लोकसभा में जवाब दे रहे हैं। मोदी ने कहा कि कोरोना काल में भारत ने खुद को संभाला, साथ ही दुनिया को संभलने में मदद की। भाषण की शुरुआत में प्रधानमंत्री ने कहा, ‘दादा ठीक हो?’ उनका इशारा अधीर रंजन चौधरी की तरफ था। इसके बाद मोदी ने कहा, ‘राष्ट्रपति जी का भाषण भारत के 130 करोड़ नागरिकों की संकल्प शक्ति का परिचायक है। विकट और विपरीत काल में भी यह देश किस प्रकार से अपना रास्ता चुनता है, तय करता है और रास्ते पर अचीव करता हुआ आगे बढ़ता है, ये सारी बातें विस्तार से राष्ट्रपति जी ने अपने अभिभाषण में कही हैं। उनका एक-एक शब्द देशवासियों में एक नया विश्वास पैदा करने वाला है। हम उनका जितना आभार व्यक्त करें, कम हैं।’

सदन में महिला सांसदों की भागीदारी ज्यादा थी
मोदी ने कहा, ‘इस सदन में 15 घंटे से भी ज्यादा चर्चा हुई है। सदस्यों ने चर्चा को जीवंत बनाया है। सभी सदस्यों का आभार व्यक्त करता हूं। मैं विशेष रूप से महिला सांसदों का आभार व्यक्त करता हूं। उनकी भागीदारी भी ज्यादा थी। रिसर्च करके बातें रखने का उनका प्रयास था। अपनी बातों को तैयार करके उन्होंने इस सदन और चर्चा को समृद्ध किया है। इसलिए उनकी तैयारी, उनके तर्क और उनकी सूझबूझ के लिए मैं विशेष रूप से महिला सांसदों का अभिनंदन व्यक्त करता हूं।’

प्रधानमंत्री ने आगे कहा, ‘भारत आजादी के 75वें वर्ष के दरवाजे पर दस्तक दे रहा है। यह हर हिंदुस्तानी के लिए गर्व का पड़ाव है। यह आगे बढ़ने के पर्व का भी पड़ाव है। समाज व्यवस्था में हम कहीं पर भी देश के किसी भी कोने में हों, सामाजिक-आर्थिक व्यवस्था में हमारा स्थान कहीं पर भी हो, हम सभी को मिलकर आजादी के इस पर्व से प्रेरणा लेकर और संकल्प लेकर जब देश 2047 में सौ साल आजादी के मनाएगा तो अगले 25 साल में हमें देश को कहां ले जाना है, यह संकल्प हर देशवासी के दिल में हो, यह काम इस पवित्र धरती, इस संसद, इस पंचायत का है।’

हम अपनी जीजीविषा से विश्व के एक राष्ट्र के रूप में खड़े हैं
मोदी ने कहा कि आखिरी ब्रिटिश कमांडर जब यहां से गए तो वे ये कहते रहते थे कि भारत कई देशों का महाद्वीप है और कोई भी इसे एक राष्ट्र कभी नहीं बना पाया। ये घोषणाएं हुई थीं। लेकिन भारतवासियों ने इस आशंका को तोड़ा। हम हमारी अपनी जीजीविषा, सांस्कृतिक एकता, परंपरा से आज विश्व के एक राष्ट्र के रूप में खड़े हैं और विश्व के लिए आशा की किरण बनकर खड़े हैं। यह 75 साल की हमारी यात्रा है।

हर राष्ट्र की नियति होती है, जिसे वह प्राप्त करता है
प्रधानमंत्री ने कहा कि कुछ लोग कहते थे कि इंडिया वाज मिरैकल डेमोक्रेसी। हमने यह भ्रम तोड़ा है। हमारी हर सोच, हर पहल, हर प्रयास लोकतंत्र की भावना से भरा होता है। अनेक चुनाव आए, सत्ता परिवर्तन आए। परिवर्तित सत्ता व्यवस्था को भी स्वीकार करके सब आगे बढ़े। हम विविधिताओं से भरा देश हैं। क्या कुछ नहीं है विविधिताओं से भरा हुआ। इसके बावजूद भी हमने एक लक्ष्य, एक राह अपनाकर इसे करके दिखाया। आज जब हम भारत की बात करते हैं तो स्वामी विवेकानंद जी की बात को याद करूंगा। एवरी नेशन हैज ए मैसेज टू डिलिवर, ए मिशन टू ए डेस्टिनेशन वी रीच। हर राष्ट्र की एक नियति होती है, जिसे वह प्राप्त करता है।

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