आरटीआई में दी झूठी जानकारी लोकायुक्त जांच में खुलासा

खिडक़ धांधली में लोकायुक्त ने मुख्यालय को भेजी रिपोर्ट, तीन कर्मचारियों के खिलाफ पेश होगा चालान

उज्जैन,अग्निपथ। खिडक़ से मवेशी छोडऩे में की गई धांधली को छूपाने के लिए निगम अधिकारियों ने सुचना के अधिकार की भी धज्जियां उड़ा दी। भ्रष्टाचार के साथ आरटीआई में झूठी जानकारी देना सिद्ध होने पर लोकायुक्त ने जांच पूर्ण कर बुधवार को मुख्यालय को चालान पेश की अनुमति के लिए रिपोर्ट भेज दी।

मोहन नगर निवासी राजेश पिता मोहनलाल यादव ने खिडक़ से मवेशी छोडऩे की काटी गई रसीदों की नगर निगम से सुचना के अधिकारी में जानकारी ली थी। धांधली होता पाए जाने पर उसने 7 जुलाई 2017 को लोकायुक्त में शिकायत की थी। मामले में प्रथम दृष्टया आरोप सही पाए जाने पर 24 अप्रैल 2019 को लोकायुक्त ने तात्कालीन स्वास्थ निरीक्षक पुरषोत्तम दुबे, खिडक़ प्रभारी जितेंद्र थनवार व वर्कशॉप प्रभारी उमेश बेस के खिलाफ केस दर्ज कर दिया।

मामले में डीएसपी वेदांत शर्मा ने नगर निगम से जानकारी मांगी। कई पत्र भेजने के बाद बमुश्किल निगम ने जानकारी भेजी, लेकिन यादव को दी जानकारी से भिन्न मिली। एक ही मामले की अलग-अलग जानकारी से भ्रष्टाचार उजागर हो गया। नतीजतन डीएसपी शर्मा ने धांधली सिद्ध होने पर विवेचना पूर्ण कर चालान स्वीकृति के लिए मुख्यालय को प्रतिवेदन भेज दिया।

नकली कट्टे से धांधली

लोकायुक्त जांच में पता चला खिडक़ में असली व नकली कट्टे पर रसीद काटते थे। मवेशी मालिक से ज्यादा राशि लेकर डूप्लीकेट में कम दर्शाते थे। जैसे नकली कट्टे 1700 रुपए की रसीद काटी,असल में ऑफिस कट्टे में 700 रुपए दर्शाए। दूसरी रसीद में 300 को 800 कर दिए। आरटीआई जानकारी में दूसरे कट्टे मिलने से निगमकर्मियों धांधली उजागर हो गई।

निगमायुक्त नहीं दे पाए सहीं जानकारी

लोकायुक्त सूत्रों के अनुसार विवेचना के लिए निगम को 27 अप्रैल 2019 से 1 दिसंबर तक 10 नोटिस भेजकर जानकारी मांगी। पहले संबंधित अधिकारी टालते रहे। अंत में डीएसपी शर्मा खुद पहुंचे और मामले की गंभीरता बताई तो निगमायुक्त क्षितिज सिंघल भी असल जानकारी नहीं दे पाए।

अब आगें

मामले में तीनों आरोपियों पर भ्रष्टाचार अधिनियम की धारा 7, 420, 467, 468,471 व 120 बी में केस दर्ज है। मु यालय से अनुमति मिलते ही लोकायुक्त टीम उन्हें गिर तार कर कोर्ट में चालान पेश करेगी। बाद में कोर्ट सुनवाई करेगी। आरोप सिद्ध होने पर आरोपियों को 4-4 साल की सजा और अर्थदंड हो सकता है।

इनका कहना है…

खिडक़ में योजनाबंद्ध तरीके से हुए भ्रष्टाचार की विवेचना पूर्ण होने पर चालान स्वीकृति के लिए मुख्यालय प्रतिवेदन पेश किया है। -वेदांत शर्मा, डीएसपी लोकायुक्त

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