विक्रम विवि में भी हो सकेगी डीएनए की जांच

46 करोड़ की लागत से खुल रही है फॉरेंसिक की सेंट्रल लैब, पढ़ाई भी करायेंगे

उज्जैन, अग्निपथ। फॉरेंसिक साइंस का कोर्स शुरू करने के बाद विक्रम की बड़ी पहल विक्रम विश्वविद्यालय में फॉरेंसिक की सेंट्रल लैब खोलने की तैयारी की जा रही है। इसके लिए विवि परिसर में अलग से एक बिल्डिंग का निर्माण कराया जाएगा, जहां पर सेंट्रल लैब खुलेगी और डीएनए एनालिसिस से लेकर कई तरह की जांच यहां हो सकेगी। पूरे संभाग के कॉलेज के विद्यार्थी भी यहां फॉरेंसिक साइंस के रिसर्च के लिए आ सकेंगे।

अगले साल तक विक्रम विश्वविद्यालय में सेंट्रल लैब बनकर तैयार हो जाएगी इस दिशा में तैयारी कर ली गई है व मप्र की ये आधुनिक लैब होगी, जिसमें अत्याधुनिक उपकरण, डिजिटल सॉफ्टवेयर रहेंगे। अकार्बनिक पदार्थों की पहचान के लिए किए जाने वाले एफटीआईआर टेस्ट यहां हो सकेगा।

फॉरेंसिक, इंजीनियरिंग, एग्रीकल्चर समेत अन्य डिपार्टमेंट के लिए इसमें 430 तरह के उपकरण शामिल रहेंगे, जो सेंट्रल लैब में होंगे। विवि सूत्रों का कहना है कि मप्र शासन के भवन निर्माण मंडल इंदौर के माध्यम से उक्त सेंट्रल लैब का निर्माण किया जाएगा। ये एक तरह से संभाग की पहली आधुनिक व एडवांस फॉरेंसिक लैब होगी। डीएनए, फिंगर प्रिंट ही नहीं कई तरह की जांच व रिसर्च पर यहां विषय विशेषज्ञों के साथ विद्यार्थी काम कर सकेंगे।

डीएनए समेत अन्य जांच सेंट्रल लैब में हो जाएगी

46 करोड़ के लगभग की राशि बिल्डिंग से लेकर उपकरणों पर खर्च होगी, जिसका बड़ा फायदा विद्यार्थियों समेत पुलिस को भी मिलेगा। डीएनए समेत कई जांच के लिए सेंपल उन्हें सागर, भोपाल भेजना पड़ते है जो जांच सेंट्रल लैब खुलने के बाद यही हो जाएगी, जिससे जांच रिपोर्ट भी जल्दी मिलेगी व समय की भी बचत होगी। फारेंसिक साइंस पाठ्यक्रम शुरू किए जाने के बाद इस दिशा में विद्यार्थियों को एक बड़ी सौगात सेंट्रल लैब के रूप में विश्वविद्यालय देने जा रहा है जिसकी तैयारी कर ली गई है। डीएनए, फिंगर प्रिंट से लेकर कई तरह की जांच व रिसर्च यहां सकेंगे।

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